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पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाले 'पायलट बाबा' का बिहार में हुआ था जन्म, सासाराम में स्थापित है आश्रम - PILOT BABA - PILOT BABA

Birthplace of Pilot Baba in Rohtas: कपिल सिंह के रूप में जन्मे पायलट बाबा ने भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर के रूप में कार्य किया और पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 की जंग में भाग लिया था. उनके निधन से देशभर में फैले उनके समर्थक दुखी हैं. वहीं, बिहार के रोहतास जिले में भी शोक का माहौल है, क्योंकि यहीं पर उनका पैतृक गांव है. जानें क्या कहते हैं उनके गांव के लोग?.

PILOT BABA PASSED AWAY
महामंडलेश्वर पायलट बाबा का निधन (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 22, 2024, 1:51 PM IST

Updated : Aug 22, 2024, 2:16 PM IST

रोहतास: जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का 86 वर्ष में निधन हो गया. दअरसल जिले के नोखा के बिशनपुर में 15 जुलाई 1938 को पायलट बाबा का जन्म हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव से हुई थी, बाद में उनके मेधा बुद्धि के कारण उनका चयन भारतीय वायुसेना में हो गया. बताया जाता है कि सन 1957 में भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त करने के बाद उन्होंने लड़ाकू विमान की ट्रेनिंग ली थी.

पायलट बाबा (ETV Bharat)

भारतीय वायुसेना में रहे विंग कमांडर : पायलट बाबा, जिनका असली नाम कपिल सिंह था वो भारतीय वायुसेना के पूर्व विंग कमांडर थे. जिन्होंने 1965 और 1971 के युद्धों में अपनी सेवा दी थी, अपने करियर के मध्य में उन्होंने आध्यात्मिक जीवन अपना लिया था. वो समाधि की अपनी महारत के लिए एक वैश्विक आध्यात्मिक लीडर बन गए. 1962 से लेकर 1971 तक उन्हें तीन युद्ध लड़ने का मौका मिला. ऐसा दावा किया जाता है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध में अब लड़ाकू विमान उड़ाया करते थे.

33 साल में रिटायरमेंट, फिर आध्यात्म का रास्ता : बताया जाता है कि साल 1957 में कमीशन हासिल करने के बाद कपिल सिंह (पायलट बाबा) कई बार मिशन पर गए. पायलट बाबा को कई बड़ी लड़ाइयों के दौरान उनके साहस के लिए याद किया जाता है. इस बीच, अचानक सिर्फ 33 साल की उम्र में उन्होंने अपनी नौकरी से रिटायरमेंट का फैसला लिया और संन्यासियों कि तरह जीवन जीने लगे. अब सवाल ये कि एक कुशल पायलट अचानक सन्यासी क्यों बन गया?.

जब अपने गुरू से मिले पायलट बाबा! :दरअसल, बताया जाता है कि 1962 के युद्ध के दौरान जब लड़ाकू विमान का रेडियो संपर्क टूट गया और उनका विमान दिशाहीन हो गया. ऐसे में उन पर गुरु की विशेष कृपा हुई. लोग बताते है कि खुद हरि बाबा उनके कॉपिट में आए और उनके विमान की लैंडिंग में मदद की. और पायलट बाबा अपने गुरु हरि बाबा की वजह से जीवित बच गए. उसके बाद उनके जीवन में विराग आ गया. दावा किया जाता है कि उन्होंने हिमालय में बरसों तपस्या की, जिस दौरान उन्हें समाधि कला का ज्ञान हो गया और वो भारत के अलग-अलग क्षेत्र में भू समाधि लेने के कारण वह काफी चर्चित हो गए.

रोहतास में पायलट बाबा का आश्रम. (ETV Bharat)

कई देशों में ली भू समाधि : इसके बाद उनकी ख्याति विदेश तक पहुंच गई. दुनिया के अलग-अलग देशों में उन्होंने कई दिनों तक भू समाधि लेकर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया. साथ ही एयर टाइट ग्लास के अंदर खुद को बंद कर भी वह मृत्यु की अवस्था के करीब पहुंचकर लौटने की कला में पारंगत हो गए. जैसे-जैसे उनकी ख्याति फैलने लगी वो साधु-संतों के बीच भी काफी चर्चित हो गए.

कई देशों में पायलट बाबा के आश्रम : उनके क्रियाकलापों को देखते हुए जूना अखाड़ा ने उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी. बता दें कि शंकराचार्य के बाद महामंडलेश्वर सबसे बड़ी उपाधि होती है. जो साधु-संतों और कई मठों के स्वामी होने के बाद ही प्राप्त होती है. उनके भारत के अलावा दुनिया के अलग-अलग देश में कई आश्रम है. भारत में हरिद्वार, उत्तरकाशी, नैनीताल तथा सासाराम में इनका आश्रम है. साथ ही नेपाल, जापान, सोवियत संघ सहित कई देशों में उनके आश्रम में हजारों अनुयाई रहते हैं.

पायलट बाबा ने लिखी कई धार्मिक पुस्तकें: दुनिया के अलग-अलग देश में उन्होंने सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए बहुत काम किया है. जापान में हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार के लिए उन्होंने मठ और आश्रम का गठन किया. जहां हजारों लोग आज हिंदू धर्म को मानते और पूजा अर्चना करते हैं. पायलट बाबा आश्रम के बीरेंद्र बताते है कि पायलट बाबा आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध लेखक भी थे. उन्होंने कई धार्मिक पुस्तकों के अलावा यात्रा वृतांत भी लिखा. उनकी प्रकाशित पुस्तक कई खंडों में है.

पायलट बाबा के अनुयायी. (ETV Bharat)

"दुनिया के अलग-अलग देशों में उनके द्वारा लिखित पुस्तक की बिक्री होती है. उनकी पुस्तक कैलाश मानसरोवर, ज्ञान के मोती,हिमालय के रहस्यों की खोज, अंतर यात्रा- द इनर जर्नी, आप से स्वयं की तीर्थ यात्रा, 'हिमालय कह रहा है' आदि पुस्तके काफी चर्चित हैं. इसके अलावा उन्होंने कई लेख तथा यात्रा वृतांत भी लिखी है. जिसका प्रकाशन नहीं हो सका है."-बीरेंद्र, अनुयाई

चर्चा में रही पीएम के साथ वाली तस्वीर: वहीं सिद्धनाथ बताते है कि उनके नाम से उनके गांव बिशनपुर में भी एक्सिस शिक्षण संस्थान स्थापित है. इसके अलावा कई शिक्षण संस्थान को स्थापित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. बता दें कि हाल के दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी तस्वीर काफी चर्चित रही. जिसमें पीएम झुक कर उन्हें प्रणाम कर रहे हैं और वह उन्हें आशीर्वाद देते नजर आ रहे हैं.

''बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी कुछ साल पहले पायलट बाबा आश्रम में आए थे और आश्रम के कई खंडों का उद्घाटन भी किया था. कई शिक्षण संस्थान को स्थापित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने उनके गांव बिशनपुर में भी एक्सिस शिक्षण संस्थान स्थापित किया."- सिद्धनाथ,अनुयाई

महामंडलेश्वर पायलट बाबा का निधन (ETV Bharat)

कोकिलाबेन अस्पताल में ली आकिरी सांस: वहीं पिछले कुछ सालों से पायलट बाबा गुर्दा रोग से पीड़ित थे. ऐसे में दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. कुछ दिन पहले उन्हें मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया था. सासाराम के पायलट बाबा आश्रम की देखरेख करने वाले मनीष कुमार सिंह उर्फ बबलू सिंह ने बताया कि पायलट बाबा का निधन मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में हुआ है.

''उनके निधन की सूचना मिलते ही पूरे आश्रम में शोक की लहर दौड़ गई है. आश्रम में शोक सभा का आयोजन किया गया. अगले आदेश तक आश्रम को आम लोगों के लिए निषेध कर दिया गया है."- मनीष कुमार सिंह, पायलट बाबा आश्रम

निधन से पैतृक गांव में शोक की लहर: जिला मुख्यालय सासाराम के आश्रम में लगभग 75 फीट ऊंची गौतम बुद्ध की प्रतिमा है. भगवान शिव की 111 फीट ऊंची प्रतिमा भी इस आश्रम में अवस्थित है. साथ ही उनके आश्रम में गुरु नानक देव से लेकर भगवान महावीर तक की प्रतिमा है. महात्मा गांधी और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की भी मूर्तियां स्थापित है. संत रविदास, कबीर दास की भी प्रतिमा पायलट बाबा आश्रम में देखने को मिलती है. दुनिया के अलग-अलग देशों से उनके भक्त आश्रम में आते रहते हैं. उनके निधन की सूचना से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है.

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Last Updated : Aug 22, 2024, 2:16 PM IST

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