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अथ श्री महाकुंभ कथा; नागा साधु कौन हैं, ये कुंभ में ही क्यों बाहर निकलते हैं, शंकराचार्य से सुनिए कितना कठिन है नागा बनना - MAHA KUMBH MELA 2025

नागा साधु बनने की क्या है प्रक्रिया? इनको क्यों वीर पुरुष, धर्म रक्षक और धर्मवीर की उपाधि मिली है.

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नागा साधु कौन हैं, ये कुंभ में ही क्यों बाहर निकलते हैं? (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 10, 2025, 6:41 AM IST

प्रयागराज: अथ श्री महाकुंभ कथा पार्ट-1, पार्ट-2 और पार्ट-3 अब तक आप लोगों ने समुद्र मंथन की पौराणिक कहानी, प्रयागराज कुंभ के महत्व और कल्पवास के महात्म के बारे में जाना. अब ईटीवी भारत की खास पेशकश पार्ट-4 में हम आपको ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के जरिए बता रहे हैं, नागा साथु कौन हैं? इनका क्या महात्म है? और नागा बनने के क्या कायदे और कानून हैं?

शंकराचार्य, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बताते हैं कि नागा शब्द नग से बना है. नग का अर्थ होता है पहाड़. अग, नागच्छेतीती नगहः, आगच्छेतीती अगहः. अग और नग ये दोनों ही इनको कहा जाता है. जो न चले, एक ही जगह पर स्थिर रहे, उसका नाम है नग. माने, जो दृण हो, दृणता का प्रतीक हो, कभी टले न, टस से मस न हो, ऐसी विचारधारा रखने वाला जो व्यक्ति है वो नागा कहा जाता है.

ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज की वाणी. (Video Credit; ETV Bharat)

नागा नग्न क्यों रहते हैं: जब मनुष्य संन्यास लेता है तो वह सब कुछ त्याग कर देता है और पूर्णनग्न होकर उत्तर में हिमालय की ओर प्रस्थान करता है. इसी समय गुरुजन उनको रोकते हैं और कटीवस्त्र देकर उनको साधना करने का आदेश देते हैं. गुरुजन रोक लेते हैं, इसलिए संन्यासी रुक जाते हैं अन्यथा वो पूर्णनग्न होकर हिमालय में संन्यास लेने के लिए जाना चाहते हैं. इसलिए जो संन्यासी बिना वस्त्र के रहते हैं वे नागा कहलाते हैं. इनको दिगंबर भी कहते हैं. अर्थात सनातन धर्म में नागा साधु उन्हें कहा जाता है जो जीवन में प्रभु की भक्ति में लीन रहते हैं और कभी भी वस्त्र धारण नहीं करते.

नागाओं का महात्म क्या है: प्राचीन काल में कई आक्रांता ऐसे आए जो अपने धर्म को फैलाने के लिए दूसरों पर जुल्म करते थे. उन आक्रांताओं को रोकने के लिए ये नागा साधु आगे आए और उन्होंने कई लड़ाईयां लड़ीं. अपने धर्म की रक्षा के लिए नागाओं ने अपने प्राण तक दे दिए. इसी के चलते आम जनमानस में इनका महत्व व महात्म और बढ़ गया. वीर पुरुष, धर्म रक्षक और धर्मवीर के रूप में उनकी मान्यता हुई. वीडियो में स्वामी जी की जुबानी सुनिए, नागाओं के जीवन के नियम...

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