प्रयागराज : संगम नगरी में 13 जनवरी से चल रहे महाकुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगा ली है. संगम तट पर अभी भी श्रद्धालुओं की भीड़ जुट रही है. 144 साल बाद बने अद्भुत संयोग के बाद महाकुंभ का भव्य और दिव्य स्वरूप देखने को मिल रहा है. पूरे भारत की संस्कृति सभ्यता का मिलन भी महाकुंभ में हो रहा है. मेले में कई भव्य पंडाल सजे हैं. इनमें से एक पंडाल ऐसा भी है, जहां उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृति भी देखने को मिल रही है.
महाकुंभ में उत्तर और दक्षिण भारत की झलक. (Video Credit; ETV Bharat) शंकराचार्य का है यह शिविर :कांची के शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती के कांची मठ शिविर दक्षिण और उत्तर के मिलन का साक्षी बन रहा है. यहां पहुंचने के बाद आपको यह एहसास ही नहीं होगा कि आप कुंभ में उत्तर के हिस्से में स्थित हैं. आपको लगेगा कि आप दक्षिण भारत में पहुंच गए हैं. दरअसल शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती 12 फरवरी को महाकुंभ में पहुंचेंगे. वह अपने भक्तों के साथ 26 फरवरी तक यहीं रहेंगे. ऐसे में अब बड़ी संख्या में दक्षिण भारत से भक्तों का यहां आना शुरू हो रहा है.
दक्षिण के पांचों हिस्सों से पहुंच रहे लोग :इस दक्षिण भारत के खास शिविर की देखरेख और संयोजन करने वाले वीएस सुब्रमण्यम मणि ने बताया कि पूरे महाकुंभ परिसर में इकलौता यह पंडाल है, जहां पर दक्षिण भारत के पांचों हिस्से जिसमें तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, पांडिचेरी शामिल हैं, यहां से रोजाना लाखों भक्त पहुंच रहे हैं. दक्षिण भारत के भक्त यहां पर रह रहे हैं. यहां के दक्षिण भारतीय व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे हैं. यहां दक्षिण भारतीय आयोजनों के साक्षी बन रहे हैं.
महाकुंभ का अनोखा शिविर. (Photo Credit; ETV Bharat) यहां पर होने वाले आयोजनों में जो भी आहुतियां या पूजा-पाठ का क्रम चल रहा है, वह भी दक्षिण भारत से आए पंडितों के द्वारा ही पूरा किया जा रहा है. भागवत से लेकर अन्य तरह के सभी धार्मिक अनुष्ठान दक्षिण भारत से आए पुजारी और कर्मकांडी ब्राह्मण ही पूरा करा रहे हैं.
सैकड़ों की मौजूदगी में हो रहा शिविर का संचालन :वीएस सुब्रमण्यम मणि ने बताया कि शिविर में अब तक लगभग 500 लोग मौजूद हैं. वे दक्षिण भारत के अलग-अलग हिस्से से आए हैं, जबकि लगभग 200 लोग प्रतिदिन आकर यहां से जा रहे हैं, जो सिर्फ स्नान के लिए पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि 12 फरवरी के बाद 13 फरवरी से यहां पर दक्षिण भारत के बड़े हिस्से से लोगों का आना होगा. अलग-अलग लोगों ने अपनी कन्फर्मेशन कर दी है और उनको यहां पर बुलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस शिविर की सबसे खास बात यह है कि यह उत्तर और दक्षिण का अदभुत मिलन का साक्षी है.
उत्तर और दक्षिण भारतीय व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे श्रद्धालु. (Photo Credit; ETV Bharat) उत्तर और दक्षिण भारत का मिलता है खाना :उन्होंने बताया कि यहां पर खाने के लिए एक तरफ जहां दक्षिण भारतीय व्यंजन परोसे जाते हैं तो वहीं उत्तर भारतीय व्यंजन भी यहां पर आए मेहमानों को दिया जाता है. जिससे उन्हें दोनों राज्यों का स्वाद मिल सके. उन्हें यह एहसास भी रहे कि वह महाकुंभ में मौजूद हैं. महाकुंभ की पवित्र धरती से दक्षिण और उत्तर के मिलन का एक बड़ा संदेश देने की कोशिश इस शिविर के जरिए की जा रही है.
इस पवित्र शिविर में सुबह नाश्ते में दक्षिण भारतीय व्यंजन के तहत इडली, सांभर, बड़ा चटनी दी जा रही है. दोपहर में रसम, सांभर चावल और पापड़ के साथ मिठाई में हलवा परोसा जा रहा है. रात के भोजन में उत्तर भारतीय व्यंजनों के तहत दाल, चावल, रोटी-सब्जी, बाटी-चोखा, चूरमा आदि अलग-अलग दिन परोसा जा रहा है.
ईटीवी भारत की टीम देख हुए खुश :शिविर में ईटीवी भारत की टीम को देखकर लोग बेहद खुश हो गए. उनका कहना था कि ईटीवी भारत जिस तरह से महाकुंभ के हर हिस्से को कवर करने की कोशिश कर रहा है, उसके जरिए हमारे दक्षिण भारत के लोगों को भी इसकी जानकारी मिल रही है कि महाकुंभ में क्या-क्या हो रहा है. इससे लोग यहां आने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं.
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