जबलपुर: मध्य प्रदेश सरकार ने जबलपुर के कुंडम गांव का नाम कुंडेश्वर धाम कर दिया है. वहीं सतना के कूंची का नाम बदलकर चंदनगढ़ कर दिया है. जबकि रामपुर बघेलान तहसील के गांव कुंडिया का नाम कर्णपुर कर दिया है. इसकी बाकायदा अधिसूचना भी जारी की गई है. हालांकि इस इलाके के लोगों का कहना है कि उनकी मांग सिहोरा को जिला बनाने की थी. कुंडम का नाम बदलने की तो कभी कोई मांग की ही नहीं गई, फिर सरकार ने इसका नाम क्यों बदला है? इस क्षेत्र में एक कुंडेश्वर तीर्थ है, जहां से हिरन नदी निकलती है. इस स्थान के नाम से इस जगह का नाम कुडम रखा गया था.
बुनियादी सुविधाओं से वंचित है कुंडम
राज्य सरकार ने जबलपुर की कुंडम तहसील का नाम बदलकर कुंडेश्वर धाम कर दिया है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय से अनापत्ति लेकर यह नाम परिवर्तन किया है. बता दें कि कुंडम गांव एक छोटा सा आदिवासी गांव है. यहां 70% आबादी आदिवासी गोंड समाज की है. यह गांव जबलपुर से 35 किलोमीटर दूर है. जबलपुर से अमरकंटक जाते समय बीच में यह कस्बा पड़ता है. यह जबलपुर के बेहद पिछड़े इलाकों में से एक है. यहां अभी भी लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान रहते हैं. ज्यादातर लोग खेती-बाड़ी और मजदूरी करके ही अपना भरण पोषण करते हैं.
भगवान शंकर की वजह से पड़ा कुंडेश्वर नाम
कुंडम में भगवान शंकर का एक मंदिर है. जिसे कुंडेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में एक बहुत पुरानी काले रंग के पत्थर से बनी भगवान शंकर की मूर्ति विराजित है. इसी मंदिर के पास में एक कुंड है. जिससे नर्मदा नदी की एक सहायक नदी हिरण निकली है. इसलिए इस जगह को लोग एक पवित्र स्थान के रूप में मानते हैं और यहां पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं.
नाम बदलने से मिलेगी प्रसिद्धि
सिहोरा विधानसभा के वर्तमान विधायक संतोष वरकडे का कहना है कि"यह मांग बहुत पहले की गई थी. हालांकि इससे बहुत परिवर्तन नहीं होगा, लेकिन यदि भगवान शिव के नाम से इस जगह का नाम रखा जा रहा है, तो इस जगह को थोड़ी प्रसिद्धी मिलेगी और सरकार की नजर में कम से कम यह जगह आ जाएगी. जिससे इस स्थान के विकसित होने की संभावनाएं बन जाएगी."