लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में पहली बार लेटरल एंट्री से प्रवेश को मंजूरी मिली है. विश्वविद्यालय ने यूजीसी की गाइडलाइन को यूजी और पीजी कोर्स में लागू कर दिया है. प्राविधिक शिक्षा की तरह अब विश्वविद्यालय यूजी व पीजी कोर्स में स्टूडेंट्स लेटरल एंट्री पर सीधे विषम सेमेस्टर में प्रवेश ले सकेंगे. साथ ही विश्वविद्यालय में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्ति की शुरुआत होगी. इसके जरिए अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ विश्वविद्यालय में आकर पढ़ाएंगे. इससे स्टूडेंट्स को एक्सपर्ट के साथ व्यावहारिक ज्ञान भी मिलेगा. लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में बुधवार विद्या परिषद की बैठक में यह फैसला हुआ. अब इन सभी प्रस्ताव को मंजूरी के लिए कार्य परिषद की बैठक में रखा जाएगा.
लेटरल एंट्री पर ऐसे होंगे प्रवेश
यूजी के 3, 5 एवं 7 और पीजी के तीसरे सेमेस्टर में प्रवेश को अनुमति दे दी गई है. स्टूडेंट्स कॉलेज से कॉलेज या कॉलेज से विश्वविद्यालय में आ सकेंगे. विश्वविद्यालय के बाहर के स्टूडेंट्स को नैक ए प्लस और उससे ऊपर के ग्रेड वाले संस्थानों से आने पर ही प्रवेश मिलेगा. वहीं, ऐसे स्टूडेंट्स का एनईपी 2020 के अनुरूप 4 वर्षीय यूजी पाठ्यक्रम में पंजीकृत होना अनिवार्य है. अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स से स्टूडेंट्स के क्रेडिट ट्रांसफर होंगे. सेमेस्टर 7 में प्रवेश के लिए स्टूडेंट्स का छठे सेमेस्टर तक सीजीपीए 7.5 या इससे ऊपर होना चाहिए.
प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस से बढ़ेगा व्यावहारिक ज्ञान
विश्वविद्यालय में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर अपनी फील्ड के एक्सपर्ट की नियुक्ति को मंजूरी मिली है. इसकी सीमा एक से लेकर तीन साल की होगी. विशेष परिस्थितियों में यह समय सीमा 4 साल तक बढ़ाई जाएगी. विश्वविद्यालयम कुल स्वीकृत पद के सापेक्ष 10 प्रतिशत प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पद पर एक्सपर्ट रखे जाएंगे. इसमें उद्योग या विश्वविद्यालय से वित्तपोषित पेशेवर को मौका मिलेगा. इससे पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या को विकसित एवं डिजाइन करने में मदद मिलेगी. साथ ही नवाचार और उद्यमिता परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने में ये अहम भूमिका निभाएंगे.