कासरगोड: केरल के बेलूर गांव में भूली-बिसरी परंपरा से जुड़ी अहम खोज हुई है. यहां घर बनाने के लिए मिट्टी खोदने के दौरान कई प्राचीन मूर्तियां और कलाकृतियां मिली हैं. माना जाता है कि ये सामान सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी की हैं. ये आकृतियां संकेत देती हैं कि उस दौर में भूत पूजा जैसी प्रथाएं प्रचलित थीं. यह खोज इतिहास की उन परंपराओं को समझने का एक नया रास्ता खोल सकती है, जिन्हें अब तक भुला दिया गया था.
खुदाई में क्या-क्या मिलाः राठी राधाकृष्णन की मालिकाना हक वाली जगह पर खुदाई में ये वस्तुएं पाई गईं. सुअर, हिरण, मुर्गी, केकड़ा, बकरी और सांप जैसी जानवरों की आकृतियां मिली हैं. इसके अलावा, धार्मिक और अनुष्ठान संबंधी प्रथाओं से जुड़ी वस्तुएं भी मिलीं हैं. जिनमें मालाएं, हेयरपिन, एक मीटर ऊंचा दीपक, एक तलवार, झंडे के पत्तों की तीन आकृतियां, एक त्रिशूल और एक हथौड़ा भी है.
क्या कहते हैं शोधकर्ताः नेहरू कॉलेज में ऐतिहासिक शोधकर्ता और शिक्षक डॉ. नंदकुमार कोरोथ के अनुसार, खोजी गई आकृतियां प्रतिज्ञा समर्पण की परंपरा का हिस्सा है. सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी के दौरान उत्तरी केरल में प्रचलित थी. ये कलाकृतियां इस क्षेत्र में भूत पूजा प्रथाओं का प्रमाण है. डॉ. नंदकुमार कोरोथ ने नेहरू कला एवं विज्ञान महाविद्यालय में एमए इतिहास के छात्र एवं जनमैत्री बीट अधिकारी टी.वी. प्रमोद द्वारा सूचित किए जाने के बाद घटनास्थल का दौरा किया.
अनुसंधान की तैयारीः प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता प्रो. अजीत कुमार ने सुझाव दिया है कि कुछ आकृतियां, विशेषकर नमस्कार मुद्रा वाली आकृतियां, इस क्षेत्र के ऐतिहासिक राजवंश इक्केरी नायकों की कला से जुड़ी हो सकती हैं. शोधकर्ताओं ने संकेत दिया है कि इन निष्कर्षों के पूर्ण महत्व का पता लगाने के लिए आगे के अध्ययन किए जाएंगे. यह खोज क्षेत्र के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास और प्राचीन परंपराओं के बारे में जानकारी प्रदान करती है.
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