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लखनऊ KGMU में दिल के मरीजों की जांच मुश्किल; दो-दो महीने बाद की मिल रही डेट, भटक रहे मरीज - KGMU LUCKNOW

लखनऊ के KGMU में दिल के मरीजों की जांच में डेढ़ से दो महीने का वक्त लग रहा है. इससे मरीज परेशान हैं.

दिल की जांच कराने के लिए भटक रहे मरीज.
दिल की जांच कराने के लिए भटक रहे मरीज. (Photo Credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 11, 2025, 2:46 PM IST

लखनऊ:केजीएमयू के हृदय रोग विभाग में जांच कराना आसान नहीं है. हालत यह है कि 2डी ईको जांच के लिए डेढ़ महीने बाद मार्च की तारीख दी जा रही है. केजीएमयू के विभागों में बीमारी के हिसाब से मरीज का ओपीडी या फिर भर्ती करके इलाज किया जाता है. कई बार मरीज को एक से ज्यादा बीमारियां होती हैं. ऐसे में मुख्य विभाग में इलाज चलता रहता है और अन्य समस्याओं के लिए संबंधित विभाग को रेफरेंस भेजा जाता है. इसके बाद डॉक्टर जरूरत पड़ने पर जांच कराते हैं.

बहराइच से इलाज कराने के लिए पहुंचे ज्ञान चतुर्वेदी के पिता ने उन्हें 18 जनवरी को केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग की ओपीडी में दिखाया था. डॉक्टर ने हार्ट समस्या होने की आशंका जताते हुए 2डी ईको जांच कराने की सलाह दी. जांच के लिए परिजन लारी कॉर्डियोलॉजी पहुंचे. लेकिन, जांच के लिए उन्हें 26 मार्च की तारीख दी गई है. परिजनों ने मजबूरी में निजी केंद्र से जांच कराने की बात कही.

दिल की प्रमुख जांच 2डी ईको के लिए अन्य विभागों में भर्ती मरीजों को डेढ़ महीने बाद की तारीख दी जा रही है. इससे डॉक्टर भी परेशान हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर जो मरीज आज भर्ती है, उसे जांच के लिए डेढ़ महीने की तारीख किस आधार पर दी जा रही है. डॉक्टर इसलिए भी परेशान हैं कि जब तक दिल की जांच नहीं हो पाएगी, उन्हें अंदाजा नहीं लगेगा कि मरीज की वास्तविक समस्या क्या है? कार्डियोलॉजी विभाग में भर्ती मरीज जांच के लिए बाहर जा नहीं सकते. उधर, जांच के लिए लंबी तारीख मिल रही है. इसका नतीजा है कि ज्यादातर वार्ड में बाहरी सेंटर वाले अपनी मशीन लगाकर जांच कर रहे हैं. इसके लिए कई जगह स्टाफ वसूली भी कर रहा है.

ऑपरेशन के वक्त आसान नहीं ईसीजी करवाना:किसी भी सर्जरी के समय कुछ बुनियादी टेस्ट किए जाते हैं. इनमें ईसीजी भी है. केजीएमयू के किसी भी विभाग में सर्जरी कराने वाले को इसके लिए कार्डियोलॉजी विभाग जाना पड़ता है. यहां एक दिन में जांच कराना सबके बस की बात नहीं है. रोजाना सौ से ज्यादा सर्जरी होती है, लेकिन इसके लिए ठोस व्यवस्था नहीं की गई है. केजीएमयू मीडिया सेल के इंचार्ज प्रो. केके सिंह ने कहा कि गंभीर मरीजों की जांच तुरंत कर दी जाती है. जिन मरीजों को मार्च की तारीख दी जा रही है, उनके बारे में जानकारी हासिल करनी होगी.

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