लखनऊ: केंद्र सरकार की ओर से संसद में प्रस्तुत किए गए वक्फ संशोधन बिल की मजलिसे उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने निंदा की है. साथ ही इसे वक्फ संशोधन बिल नहीं, बल्कि वक्फ खत्म करो बिल करार दिया है. कहा है कि इस बिल की 14 धाराएं पूरी तरह वक्फ विरोधी हैं और सरकार इसका उपयोग वक्फ संपत्तियों पर कब्जा जमाने के लिए करना चाहती है. जोर देकर कहा कि सरकार वक्फ को अपने नियंत्रण में लेने की साजिश कर रही है, जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा.
मौलाना कल्बे जवाद नकवी शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद आसिफी मस्जिद में पत्रकारों से कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने बिल को जिस तरीके से राज्यसभा में पेश किया, वह असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है. उन्होंने समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने असंबंधित व्यक्तियों की राय को महत्व दिया, जबकि प्रभावित पक्षों की राय को दरकिनार कर दिया.
मौलाना ने सवाल उठाया कि अगर सरकार पारदर्शिता चाहती है तो, केवल मुसलमानों से ही वक्फ संपत्तियों के दस्तावेज क्यों मांगे जा रहे हैं? उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भारत में सिर्फ मुसलमानों के ही वक्फ मौजूद हैं? मंदिरों को इस प्रक्रिया में क्यों शामिल नहीं किया गया? आगे कहा कि हजारों मंदिर सरकारी जमीन पर बने हुए हैं, कई मंदिर तो वक्फ की संपत्ति पर भी बने हैं, तो क्या सरकार उनसे भी दस्तावेज़ मांगेगी?
मौलाना ने कहा कि कई सरकारी इमारतें वक्फ जमीन पर बनी हुई हैं, जिनके दस्तावेज भी मौजूद हैं, तो आखिर उन इमारतों को कब मुसलमानों को वापस किया जाएगा? सवाल उठाया कि अगर सरकार सच में देश और जनता की भलाई चाहती है, तो सिर्फ मुसलमानों की वक्फ़ संपत्तियों पर कब्ज़ा करने से देश कैसे तरक्की करेगा? कहा कि अन्य धर्मों के वक्फ भी अरबों-खरबों की संपत्ति के मालिक हैं, लेकिन उन्हें इस बिल के दायरे में क्यों नहीं लाया जा रहा? मंदिरों में जो अकूत सोना-चांदी मौजूद है, उसे भी देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
मौलाना ने कहा कि कि वह इस बिल को कतई स्वीकार नहीं करेंगे और जल्द ही इसके खिलाफ एक संगठित आंदोलन शुरू किया जाएगा. उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि इस बिल को रोकने के लिए सभी विपक्षी दलों को एकजुट होकर वोटिंग करनी होगी. उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से इस बिल का विरोध करने की अपील की. कहा कि अगर बिहार और आंध्र प्रदेश की सरकारें इस बिल के खिलाफ खड़ी हो जाएं, तो इसे संसद में पारित होने से रोका जा सकता है.
मौलाना ने कहा कि विपक्ष को अब सिर्फ वॉकआउट करने से काम नहीं चलेगा. उन्होंने विपक्षी दलों से वोटिंग में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने और बिल को रोकने की अपील की. इसके साथ ही मौलाना कल्बे जवाद ने उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मंत्री के उस बयान की भी निंदा की, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि वक्फ़ संशोधन बिल का विरोध वे लोग कर रहे हैं, जो कब्रों की जमीन 5-5 लाख रुपये में बेच रहे हैं.
मौलाना ने इस आरोप को 'सफेद झूठ' बताते हुए चुनौती दी कि अगर मंत्री इस आरोप को साबित नहीं कर सके, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना होगा. उन्होंने कहा कि अगर आरोप साबित हो जाता है, तो मैं अपने सभी पदों से इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग सिर्फ पद और निजी स्वार्थ के लिए इस बिल का समर्थन कर रहे हैं, जो कि कौम के गद्दार हैं. कहा कि वक्फ संपत्तियां इमाम-ए-ज़माना (अज) की मिल्कियत हैं, और इन पर कब्ज़े की साजिश किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
सहारनपुरम में उलेमा बोले- वक्फ की संपत्ति अल्लाह की संपत्ति : देवबंदी उलेमाओं ने वक्फ संपत्ति को अल्लाह की संपत्ति करार दिया है. इससे छेड़छाड़ अल्लाह से जंग का एलान करना बताया है. प्रसिद्ध देवबंदी उलेमा मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने कहा है कि जो बिल सदन में पेश किया गया है, वह पूरी तरह मुसलमानों और वक्फ बोर्ड के खिलाफ है. जो धर्मगुरु समर्थन में हैं, दरअसल वह धर्मगुरु है ही नहीं. ऐसे लोग संपत्ति को हड़पने में लगे हैं. सरकार से भी अनुरोध करेंगे कि वह वक्फ की संपत्ति में किसी भी तरह की छेड़छाड़ ना करे. अगर सरकार ने यह बिल वापस नहीं लिया तो सभी इस्लामिक संगठन और उलेमा एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे.
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