पटना: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में शुक्रवार 19 अप्रैल को बिहार में चार सीटों पर मतदान हुआ. मतदाताओं में उम्मीद के मुताबिक उत्साह नहीं दिखा. बिहार चुनाव आयोग के अनुसार हीट वेव और लू के थपेड़ों के कारण वोटर्स में काफी उदासीनता दिखी. 2019 के मुकाबले 2024 में 5% कम मतदान हुआ. लो वोटिंग प्रतिशत के कारण नेताओं का चुनावी गणित गड़बड़ाने लगा है. एनडीए और इंडिया ब्लाक में फिर से हिसाब किताब लगाना शुरू कर दिया है.
गया में वोटिंग प्रतिशत कुछ बेहतर रहाः पहले चरण में जमुई, नवादा, गया और औरंगाबाद में चुनाव हुए. सबसे अधिक वोटिंग प्रतिशत गया में रहा, जहां 52% लोगों ने मतदान किया. 2019 के चुनाव में यह आंकड़ा 56% के आसपास था. इस बार लगभग 4% कम मतदान हुआ. गया लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और महागठबंधन उम्मीदवार पूर्व कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत के बीच सीधा मुकाबला है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी गया लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार किए थे.
जमुई-औरंगाबाद में सीधा मुकाबलाः जमुई लोकसभा सीट पर 50% मतदान हुए. 2019 के लोकसभा चुनाव में 55.26 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट किए थे. कुल मिलाकर 5.26 प्रतिशत कम मतदान 2024 में हुआ. जमुई लोकसभा सीट पर चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती और महागठबंधन उम्मीदवार अर्चना रविदास के बीच मुकाबला है. प्रधानमंत्री मोदी ने जमुई लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया था. औरंगाबाद लोकसभा सीट पर 50% मतदान हुआ. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी लगभग 49.85% मतदान हुआ था. औरंगाबाद सीट पर वोटों का प्रतिशत 2019 और 2024 में लगभग बराबर रहा. औरंगाबाद लोकसभा सीट पर महागठबंधन उम्मीदवार अभय कुशवाहा और एनडीए के सुशील सिंह के बीच सीधा मुकाबला है.
नवादा में सबसे कम वोटिंगः सबसे चौका देने वाले आंकड़े नवादा से निकाल कर आए हैं. नवादा में सबसे कम वोटिंग हुई है. 41% लोगों ने ही मतदान किया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में 52.50% लोगों ने मतदान किया था. 2019 के मुकाबले लगभग 11% वोटिंग कम हुई है. नवादा लोकसभा सीट पर त्रिकोणात्मक मुकाबला है राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से भाजपा के विवेक ठाकुर है तो महागठबंधन ने श्रवण कुशवाहा को मैदान में उतारा है. राष्ट्रीय जनता दल की स्थानीय इकाई ने श्रवण कुशवाहा के खिलाफ राजबल्लभ यादव के भाई विनोद यादव को सहयोग किया है.
एंटी इनकंबेंसी फैक्टर: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडे लो वोटिंग टर्नआउट के पीछे वोटर की एनडीए के प्रति उदासीनता बताते हैं. अरुण पांडे कहते हैं कि एंटी इनकंबेंसी फैक्टर साफ तौर पर देखने को मिली है. जनता की उदासीनता यह बताती है कि मोदी लहर का जो दावा किया जा रहा था वह हकीकत से परे है. लालू प्रसाद यादव ने बैकवर्ड फॉरवर्ड चुनाव करने की कोशिश की थी उन्हें भी कामयाबी नहीं मिली. जहां तक सवाल बढ़त का है तो गया लोकसभा सीट पर लड़ाई कठिन दिख रही है. लेकिन बाकी की तीनों सीट नवादा, औरंगाबाद और जमुई में एनडीए को बढ़त मिल रही है.
लालू का प्रयोग सफल नहींः वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत प्रत्यूष का मानना है कि शुक्रवार का दिन होने के चलते वोटिंग टर्न आउट कम हुआ. अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जुमे का नमाज अदा करते हैं ऐसे में 1:00 बजे तक मतदान केंद्र पर उनकी उपस्थिति ना के बराबर थी. 2:00 के बाद जो लोग आए होंगे उसमें काफी कम लोगों को वोट करने का मौका मिल पाया होगा. पहले चरण में कैंडिडेट की चर्चा कहीं नहीं थी. मोदी फैक्टर काम कर रहा था. लालू प्रसाद यादव ने जो मंडल का मॉडल का प्रयोग किया था, वह भी सफल होता नहीं दिखा. अगर सफल होता तो मतदाता वोट करने आते.