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मथुरा में बैकुंठ द्वार से रंगनाथ भगवान ने दिए दर्शन; साल में सिर्फ एक बार खुलता दरवाजा - RANGANATH TEMPLE MATHURA

भक्तों ने बैकुंठ द्वार से जाकर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के किए दर्शन पूजन. दर्शन करने मात्र से होती बैकुंठ लोक की प्राप्ति

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लाखों भक्तों ने बैकुंठ द्वार से जाकर भगवान के किए दर्शन (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 10, 2025, 6:11 PM IST

मथुरा: कान्हा की नगरी मथुरा में दक्षिण भारत शैली के प्रमुख मंदिर रंगनाथ रंगजी मंदिर में शुक्रवार को लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ी. मौका था साल में एक बार खुलने वाला बैकुंठ द्वार जो सिर्फ बैकुंठ एकादशी पर ही खुलता है. बैकुंठ द्वार पर विराजमान होकर मां लक्ष्मी जी और विष्णु जी ने भक्तों को दर्शन दिए. बैकुंठ एकादशी पर लाखों श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजा अर्चना और वृंदावन की परिक्रमा की. साथ ही रंगनाथ भगवान को पालकी में विराजमान कर मंदिर परिसर में भ्रमण कराया गया.

पौराणिक मान्यता है कि बैकुंठ द्वार से जो भक्त भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के दर्शन करता है उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है. दक्षिण भारत शैली के प्रमुख मन्दिर में शुक्रवार को बैकुंठ एकादशी हर्षोल्लास के साथ मनाई गई. वृंदावन रंगनाथ मंदिर में शुक्रवार को बैकुंठ द्वार भी खोला गया. जो कि साल में एक बार ही दर्शन के लिए खोला जाता है. शुक्रवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में भगवान रंगनाथ माता गोदा जी पालकी में विराजमान हो कर बैकुंठ द्वार पहुंचे. यहां भगवान रंगनाथ की पालकी करीब आधा घंटे तक द्वार पर खड़ी रही ताकि बैकुंठ द्वार खुलने का समय होने के बाद ही भगवान ने उनको दर्शन दिए

रंगनाथ रंगजी मंदिर मथुरा की तस्वीर (Video Credit; ETV Bharat)

भगवान रंगनाथ की सवारी बैकुंठ द्वार पर पहुंचने पर मंदिर के श्री महंत गोवर्धन रंगाचार्य जी के सेवायत पुजारियों ने पाठ किया करीब आधा घण्टे तक हुए पाठ और अर्चना के बाद भगवान रंगनाथ, शठ कोप स्वामी, नाथ मुनि स्वामी और आलवर संतों की कुंभ आरती की गई. वैदिक मंत्रोचार के बीच हुए पूजा पाठ के बाद भगवान रंगनाथ की सवारी मंदिर प्रांगण में भ्रमण करने के बाद पौंडानाथ मन्दिर जिसे भगवान का निज धाम बैकुंठ लोक कहा जाता है. यहां मन्दिर के लोगों ने भगवान को भजन गा कर सुनाए.

बैकुंठ द्वार से जाने के लिए लाखों भक्त गुरुवार रात से ही मंदिर परिसर में एकत्रित होना शुरू हो गए. मन्दिर के पुजारी स्वामी राजू ने बताया कि 21 दिवसीय बैकुंठ उत्सव में 11 वें दिन बैकुंठ एकादशी पर्व पर बैकुंठ द्वार खोला जाता है. ये एकादशी वर्ष की सर्वश्रेष्ठ एकादशियों में से एक मानी जाती है. मान्यता है कि बैकुंठ एकादशी पर जो भी भक्त बैकुंठ द्वार से निकलता है उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है.

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