क्या फिर कांग्रेस व बीजेपी की प्रयोगशाला बनेगा एमपी ? बीजेपी ने क्यों बदले क्लस्टर इंचार्ज ? - bjp change cluster incharge
MP laboratory of BJP : मध्यप्रदेश क्या 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी की प्रयोगशाला बनेगा ? 2019 के लोकसभा चुनाव में भोपाल से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने देश में हिंदुत्व का नैरेटिव सेट करने की कोशिश की थी. बीजेपी इस बार फिर कई प्रयोग करने जा रही है.
भोपाल।फरवरी महीना लगते ही काग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल इलेक्शन गियर डाल चुके हैं. विधानसभा चुनाव में सबक लेने के बाद अब लोकसभा में कांग्रेस युवा चेहरों पर दांव का दम दिखा रही है तो बीजेपी क्लस्टर प्रभारियों के सहारे बूथ की ताकत बढ़ाने की तैयारी में हैं. खास बात ये है कि जो जहां का किलेदार है, पार्टी के नए प्रभारियों ने कमान संभालते ही सबसे पहले उन्हें उनके इलाके से अलग किया है. एमपी में लोकसभा के नए चुनाव प्रभारी डॉ.महेन्द्र सिंह, लोकसभा सह चुनाव प्रभारी सतीश उपाध्याय ने अपनी आमद दर्ज करा दी. अपने फैसले से ये बता दिया कि आने वाले समय में भी पार्टी नेता से लेकर कार्यकर्ता ऐसे फैसलों के लिए तैयार रहें.
बीजेपी की भूल सुधार
बीजेपी अपनी भूल सुधार में देर नहीं करेगी. क्लस्टर प्रभारियों की पहले जैसे उनके मुफीद इलाकों में नियुक्ति की गई थी. नए प्रभारियों ने सबसे पहले वो जमावट तोड़ी है. ग्वालियर चंबल का प्रभार देख रहे नरोत्तम मिश्रा अब सागर भेजे जाएंगे. विंध्य देख रहे राजेन्द्र शुक्ल को भोपाल का जिम्मा संभालना है. महाकौशल के नेता कहे जाने वाले प्रहलाद पटेल विंध्य का मोर्चा संभालेंगे. इंदौर की सियासत में खुद को समेटे कैलाश विजयवर्गीय जबलपुर संभालेंगे. इंदौर अब जगदीश देव़ड़ा के हिस्से है.
क्लस्टर प्रभारियों में उमा, शिवराज क्यों नहीं
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया कहते हैं विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद लिए गए फैसले के साथ ये बता दिया गया कि बीजेपी में अब केन्द्रीय नेतृत्व ही फैसले लेगा और स्वीकार्य करने होंगे. क्लस्टर प्रभारियों को लेकर फैसला लिया जा चुका था. लेकिन चूंकि जिन इलाकों से नेता आते हैं, उन्हीं इलाकों का प्रभार दे दिया गया था. जो आगे चलकर उम्मीदवार के चयन तक को प्रभावित कर सकता था. लिहाजा पार्टी के नए चुनाव प्रभारी क्लस्टर प्रमुखों के प्रभार बदलने में जरा देर नहीं लगाई. कांग्रेस के मीडिया सलाहकार पीयुष बबेले का कहना है कि बीजेपी मे वरिष्ठ नेताओं की बेइज्जती जारी है. जो क्लस्टर प्रभारी बनाए गए हैं. उनमें दो पूर्व मुख्यमंत्रियों शिवराज सिंह चौहान और उमा भारती को कोई जगह ही दी गई. क्लस्टर प्रभारी नहीं बनाए जा सके ये नेता अब कनस्तर ही बजाएंगे.
उधर, एमपी में सदन से लेकर संगठन तक पीढ़ी परिवर्तन दिखा चुकी कांग्रेस अब 29 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार के चयन में भी प्रयोग कर सकती है. पार्टी के नेता सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि इस बार पार्टी 14 से 15 युवा चेहरों को भी चुनाव में मौका दे सकती है. बाकी सीटों पर सीनियर नेताओं को उतारा जा सकता है. एमपी में लंबा वक्त किलेदारों के समर्थकों पर मुहर लगाती रही कांग्रेस में भी बदलाव की बयार है. सवाल ये है कि ये बदलाव कांग्रेस की स्थिति बदल पाएंगे.