पटनाःबिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से आधा दर्जन से अधिक लोकसभा की सीटें ऐसी है जो नेपाल की सीमा से सटी हुई है. मोतिहारी, झंझारपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर, वाल्मीकि नगर, बेतिया, किशनगंज और सुपौल शामिल है. नेपाल में भारतीय मतदाता रोजी रोजगार के लिए जाते हैं. लंबे समय तक वहां रहते भी हैं.
72 घंटे पहले सील हो जाता सीमाः भारत और नेपाल के बीच बेटी-रोटी का संबंध रहा है. इसलिए सीमा पर किसी तरह की रोक टोक नहीं है लेकिन चुनाव के समय 72 घंटे पहले बिहार से लगे नेपाल सीमा को सील कर दिया जाता है. जो बिहारी वहां वे अगर 72 घंटे पहले भारत सीमा में आ गए तो ठीक है नहीं तो वे वोटिंग से वंचित हो जाते हैं. जानकार कहते हैं कि नेपाल में बिहारी की आबादी ढाई लाख से अधिक है और इसमें से बड़ी संख्या में वोट डालने पहुंचते हैं.
नेपाल में रोजगार करते हैं भारतीयः बिहार से नेपाल की लगी सैंकड़ों किलोमीटर की सीमा में आधा दर्जन से अधिक लोकसभा की सीट ऐसी है जिस पर नेपाल में रह रहे बिहार प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे तो नेपाल में मधेशियों की आबादी काफी अच्छी संख्या में है लेकिन बड़ी संख्या में बिहारी ऐसे भी हैं जिन्हें नेपाल की नागरिकता नहीं मिली है. ऐसे लोग चुनाव के समय बिहार में अपने घर आकर वोट डालते हैं. ढाई लाख से अधिक बिहारी नेपाल में रोजगार करते हैं.
"नेपाल में रह रहे बिहार के लोगों को पंचायत चुनाव में भाग लेने के लिए तो पैसा देकर अपने गांव में बुलाया जाता है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हजारों की संख्या में लोग नेपाल सीमा सील होने से एक दिन पहले पहुंच जाते हैं."-अशोक कुमार, स्थानीय मुखिया, मोतिहारी
मतदान करने के बाद फिर चले जाते नेपालः धनेश्वर साह और परमेश्वर साह दोनों भाई हैं. पूर्वी चंपारण जिले के फेनहारा के रहने वाले हैं. यह क्षेत्र शिवहर लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है. धनेश्वर साह ने बताया कि नेपाल के काठमांडू में रहते हैं. वहां अपना व्यापार का काम करते हैं. चुनाव के दौराम मतदान करने आते हैं और फिर वापस चले जाते हैं.