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रोजी रोटी बॉर्डर पार लेकिन वोटर हिन्दुस्तानी, बिहार के 2 लाख मतदाता बिगाड़ सकते हैं चुनावी समीकरण - Lok Sabha elections 2024 - LOK SABHA ELECTIONS 2024

Bihari Voters In Nepal: लोकसभा चुनाव 2024 का दो चरण का मतदान हो चुका है. बिहार में अभी भी 5 चरण का मतदान शेष है. कुछ लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां के मतदाता सीमा पार नेपाल में रहते हैं. चुनाव शुरू होने से 72 घंटे पहले ही सीमा को सील कर दिया जाता है. ऐसे में सीमा पर रहने वाले करीब 2 लाख मतदाता चुनावी समीकरण बदलने में अहम भूमिका निभाते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

नेपाल में भारतीय मतदाता
नेपाल में भारतीय मतदाता

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 27, 2024, 7:18 AM IST

पटनाःबिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से आधा दर्जन से अधिक लोकसभा की सीटें ऐसी है जो नेपाल की सीमा से सटी हुई है. मोतिहारी, झंझारपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर, वाल्मीकि नगर, बेतिया, किशनगंज और सुपौल शामिल है. नेपाल में भारतीय मतदाता रोजी रोजगार के लिए जाते हैं. लंबे समय तक वहां रहते भी हैं.

72 घंटे पहले सील हो जाता सीमाः भारत और नेपाल के बीच बेटी-रोटी का संबंध रहा है. इसलिए सीमा पर किसी तरह की रोक टोक नहीं है लेकिन चुनाव के समय 72 घंटे पहले बिहार से लगे नेपाल सीमा को सील कर दिया जाता है. जो बिहारी वहां वे अगर 72 घंटे पहले भारत सीमा में आ गए तो ठीक है नहीं तो वे वोटिंग से वंचित हो जाते हैं. जानकार कहते हैं कि नेपाल में बिहारी की आबादी ढाई लाख से अधिक है और इसमें से बड़ी संख्या में वोट डालने पहुंचते हैं.

नेपाल में रोजगार करते हैं भारतीयः बिहार से नेपाल की लगी सैंकड़ों किलोमीटर की सीमा में आधा दर्जन से अधिक लोकसभा की सीट ऐसी है जिस पर नेपाल में रह रहे बिहार प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे तो नेपाल में मधेशियों की आबादी काफी अच्छी संख्या में है लेकिन बड़ी संख्या में बिहारी ऐसे भी हैं जिन्हें नेपाल की नागरिकता नहीं मिली है. ऐसे लोग चुनाव के समय बिहार में अपने घर आकर वोट डालते हैं. ढाई लाख से अधिक बिहारी नेपाल में रोजगार करते हैं.

"नेपाल में रह रहे बिहार के लोगों को पंचायत चुनाव में भाग लेने के लिए तो पैसा देकर अपने गांव में बुलाया जाता है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हजारों की संख्या में लोग नेपाल सीमा सील होने से एक दिन पहले पहुंच जाते हैं."-अशोक कुमार, स्थानीय मुखिया, मोतिहारी

मतदान करने के बाद फिर चले जाते नेपालः धनेश्वर साह और परमेश्वर साह दोनों भाई हैं. पूर्वी चंपारण जिले के फेनहारा के रहने वाले हैं. यह क्षेत्र शिवहर लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है. धनेश्वर साह ने बताया कि नेपाल के काठमांडू में रहते हैं. वहां अपना व्यापार का काम करते हैं. चुनाव के दौराम मतदान करने आते हैं और फिर वापस चले जाते हैं.

"प्रत्येक चुनाव में हमलोग वोट देने के लिए आते हैं. फिर वोट देकर चले जाते हैं. हमारे वोट देने से ही सरकार बनती और बिगड़ती है. इसलिए हमलोग वोट देने आते हैं."-धनेश्वर साह, स्थानीय निवासी

मोतिहारी और सीतामढ़ी 50 हजार मतदाता नेपाल मेंः विशेषज्ञ प्रो. नवल किशोर चौधरी के अनुसार सबसे अधिक मोतिहारी और सीतामढ़ी के लोग नेपाल में रहते हैं. एक अनुमान के अनुसार 50000 से अधिक आबादी दोनों लोकसभा सीट के लोग नेपाल में रहते हैं. इसी तरह 20000 से 25000 की आबादी प्रत्येक लोकसभा सीट पर नेपाल में रह रहे. बिहारी अपने वोट से प्रभावित करते हैं हालांकि इस पर कभी भी अध्यन नहीं हुआ.

"कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है कि कितने लोग वोट करने के लिए आते हैं. इसपर कोई अध्यन नहीं हुआ है. काफी संख्या में लोग नेपाल में रहते हैं. कुछ लोग वोट करने के लिए पहुंचते हैं."- प्रो. नवल किशोर चौधरी, विशेषज्ञ

नागरिकता मिलने के बाद क्या होगा? मोतिहारी के रहने वाले अशोक कुमार के अनुसार"चुनाव के समय नेपाल के बॉर्डर पर मेला का नजारा रहता है. नेपाल में रह रहे लोगों का संबंध बिहार से कभी खत्म नहीं होने वाला है. यदि नेपाल की नागरिकता मिल भी जाती है तो उसके बावजूद शादी और अन्य फंक्शन त्यौहार में एक दूसरे के यहां जाते हैं."

बिहार के साथ साथ यूपी में भी वही हालः बिहार के अलावे उत्तर प्रदेश का भी 7 जिला 570 किलोमीटर की लंबाई में नेपाल से सटा है. कई लोकसभा सीट नेपाल सीमा से लगी है. वहां भी हजारों लोग चुनाव देने पहुंचते हैं लेकिन सबसे ज्यादा बिहार के सीतामढ़ी, मोतिहारी, शिवहर, वाल्मीकि नगर और मधुबनी जैसे लोकसभा सीटों पर नेपाल में रह रहे बिहारी असर डालते हैं. नेपाल में रह रहे बिहारी पर लोकसभा सीट से जुड़े हुए प्रत्याशियों और दलों की भी नजर रहती है.

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