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नैनीताल सीट पर पंत परिवार का रहा दबदबा, कुमाऊं से एक ही बार महिला सांसद बनी, वो भी कार्यकाल नहीं कर पाई पूरा - Nainital Lok Sabha seat

Nainital Lok Sabha seat उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की नैनीताल लोकसभा सीट का इतिहास काफी रोचक रहा है. यहां पर आजादी के बाद भारत रत्न स्वर्गीय पंडित गोविंद बल्लभ पंत के परिवार का दबदबा रहा है. इला पंत कुमाऊं की एक मात्र महिला सांसद रही है. इला पंत के बाद आजतक कोई भी महिला कुमाऊं क्षेत्र से संसद में नहीं गई है.

नीताल लोकसभा सीट
नीताल लोकसभा सीट

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 22, 2024, 2:23 PM IST

Updated : Mar 22, 2024, 9:04 PM IST

नीताल लोकसभा सीट

हल्द्वानी: लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बच चुकी है. सभी प्रत्याशी जोर-शोर से प्रचार-प्रसार में जुड़े हुए हैं. उत्तराखंड में लोकसभा सभा की पांच सीटें हैं, जिन पर पहले चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है. बीजेपी पांचों सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है, लेकिन कांग्रेस ने दो सीटों हरिद्वार और नैनीताल-उधमसिंह सीट पर अभीतक अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. आज हम आपको उसी नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट के चुनावी इतिहास के बारे में बताते हैं, जिस पर कभी भारत रत्न स्वर्गीय पंडित गोविंद बल्लभ पंत के परिवार का दबदबा रहा है. इला पंत अभीतक कुमाऊं की एक मात्र महिला सांसद रही हैं.

नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा सीट का इतिहास बताने से पहले आपको जानकारी दे दें कि यहां से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट को मैदान में उतारा है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अजय भट्ट का सीधा मुकाबला उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत से हुआ था. हालांकि इस चुनाव में हरीश रावत को करारी हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार कांग्रेस ने अभीतक नैनीताल सीट पर अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.

नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट से बीजेपी ने अजय भट्ट को दोबार अपना उम्मीदवार बनाया है.

कुमाऊं मंडल की नैनीताल संसदीय सीट सबसे हॉट सीट मानी जाती है और नेताओं की नैनीताल संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की पहली प्राथमिकता रही है. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत नारायण दत्त तिवारी की नैनीताल संसदीय सीट कर्मभूमि रह चुकी है और यहां से सांसद बनकर वो केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं.

कुमाऊं मंडल में नैनीताल-उधमसिंह नगर और अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मात्र दो संसदीय सीट हैं, लेकिन अल्मोड़ा संसदीय सीट अधिकतर आरक्षित होने के चलते नेताओं की पहली पसंद नैनीताल लोकसभा सीट रहती है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने वर्तमान सांसद अजय भट्ट पर एक बार फिर से दांव खेला है.

नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा सीट

आजादी के बाद शुरुआत के पांच चुनाव कांग्रेस जीती: नैनीताल संसदीय सीट पर आजादी के बाद से देखा गया है कि भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत परिवार का दबदबा रहा है. यहां से उनके दामाद, बेटे और बहू भी सांसद रह चुके हैं. देश के पहले चुनाव में 1951-52 में गोविन्द बल्लभ पंत के जवाईं सीडी पांडे और 1957 के दूसरे चुनाव में भी कांग्रेस के ही सीडी पांडे सांसद बनने में सफल रहे. लगातार पांच बार कांग्रेस यहां से विजयी होती रही.

अभी तक कुमाऊं की एकमात्र महिला सांसद रहीं इला पंत: यहीं नहीं नैनीताल संसदीय सीट पर गोविंद बल्लभ पंत की बहू इला पंत एकमात्र महिला सांसद रह चुकी हैं. आजादी के बाद कई वर्षों तक कुमाऊं की राजनीति में पंत परिवार का दबदबा रहा. कई रिकार्ड भी अभी तक उन्हीं के नाम कायम हैं.

अभी नहीं टूट पाया केसी पंत का रिकॉर्ड: गोविंद बल्लभ पंत के पुत्र और इला पंत के पति केसी पंत ने 1962 से लगातार तीन चुनाव जीते, यानी वो लगातार 15 सालों से तक सांसद रहे हैं, अभीतक नैनीताल लोकसभा सीट पर ये रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ सका है.

नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा सीट

1998 में इला पंत ने बीजेपी के टिकट पर लड़ा था चुनाव: वर्ष 1998 में हुए आम चुनाव में नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट से भाजपा ने पंत परिवार की बहू इला पंत को चुनाव मैदान में उतारा था, जबकि मूल रूप से पंत परिवार कांग्रेस से ही जुड़ा रहा था. इस सीट पर कांग्रेस का ही वर्चस्व माना जाता था, तब राजनीति में महिलाओं की भागीदारी भी बहुत कम थी. 1999 में दोबारा लोकसभा चुनाव हो गए थे, इसलिए उनका कार्यकाल कम रहा.

आजादी के बाद और उत्तराखंड बनने से पहले नैनीताल लोकसभा सीट पहाड़, भाबर व तराई वाले तीन तरह की भूमि के मिश्रणों वाली लोकसभा सीट हुआ करती थी. इसमें उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की बहेड़ी विधानसभा सीट भी शामिल थी. राज्य बनने के बाद 2005 से 2007 तक नए सिरे से परिसीमन की प्रक्रिया चली तो नैनीताल जिले की रामनगर विधानसभा सीट गढ़वाल (पौड़ी) लोकसभा सीट में शामिल हो गई, जबकि नैनीताल लोकसभा सीट से उत्तर प्रदेश के बहेड़ी को अलग कर दिया गया.

राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार गणेश जोशी ने बताया कि 1980 में देश में मध्यावधि चुनाव हुए. जिसमें जनता पार्टी के भारत भूषण को हरा कर कांग्रेस के नायायण दत्त तिवारी सांसद बने. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में चुनाव हुए तो कांग्रेस के सत्येंद्र चन्द्र गुड़िया सांसद बने. उसके बाद 1989 के चुनाव में कांग्रेस के सत्येन्द्र गुड़िया को जनता दल के डॉ. महेन्द्र सिंह पाल ने हराया, लेकिन जनता दल की सरकार भी अपने आपसी झगड़ों के कारण अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और 1991 में मध्यावधि चुनाव हुए.

1991 में हार गए थे एनडी तिवारी: रामलहर के बीच 1991 में हुए आम चुनाव में नैनीताल सीट पर भारी उलट फेर हुआ और भाजपा के एक अनजान युवा चेहरे बलराज पासी ने कांग्रेस के नेता एनडी तिवारी को चुनाव में मात दे दी. इस तरह इस सीट पर पहली बार भाजपा को कब्जा जमाने में सफलता मिली.

महिला उम्मीदवारों को किया किनारे: कुमाऊं में हमेशा से ही कांग्रेस और बीजेपी ने महिला प्रत्याशियों को टिकट देने में कंजूसी की है. उत्तराखंड बनने के बाद से भारतीय जनता पार्टी ने कुमाऊं मंडल से अभी तक किसी भी महिला प्रत्याशी को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है, लेकिन हालांकि अल्मोड़ा सीट से हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत चुनाव अवश्य लड़ीं, लेकिन कभी जीत नहीं सकीं.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार गणेश जोशी के मुताबिक राजनीतिक पार्टियां महिला आरक्षण की बात तो करती हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी की है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियों को चाहिए कि महिलाओं को राजनीति में बराबर हिस्सेदारी देनी चाहिए.

Last Updated : Mar 22, 2024, 9:04 PM IST

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