लातेहार: लोकसभा 2024 शुरू होने वाला है. चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों से जुड़े लोग इसकी तैयारी में जुट गये हैं और अपनी-अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में लगे हैं. वहीं युवाओं ने भी चुनाव को लेकर अपने मुद्दे तय कर लिए हैं. ईटीवी भारत ने जब युवाओं से चुनावी मुद्दों पर बात की तो ज्यादातर युवाओं ने शिक्षा और रोजगार को अपना मुख्य मुद्दा बताया.
दरअसल, चतरा संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं. इसमें चतरा जिले के चतरा और सिमरिया दोनों विधानसभा क्षेत्र, लातेहार जिले के लातेहार और मनिका दोनों विधानसभा क्षेत्र और पलामू जिले का पांकी विधानसभा क्षेत्र शामिल है. लेकिन इनमें से चार विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां आज तक उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं हो पायी है. सबसे खराब स्थिति लातेहार जिले में उच्च शिक्षा की है. पूरे जिले में एक भी कॉलेज ऐसा नहीं है, जहां पीजी की पढ़ाई होती हो. मनिका विधानसभा क्षेत्र में एक सरकारी डिग्री कॉलेज है, लेकिन यहां सिर्फ स्नातक कला की ही पढ़ाई होती है. इस कॉलेज में विज्ञान की पढ़ाई की भी कोई व्यवस्था नहीं है. लोकसभा चुनाव में युवाओं के लिए ये मुद्दा बेहद अहम रहने वाला है.
युवाओं के लिए मुख्य चुनावी मुद्दा
ईटीवी भारत ने जब युवाओं से उनके चुनावी मुद्दों पर बात की तो ज्यादातर युवाओं ने साफ कहा कि उच्च शिक्षा और रोजगार के अवसर उनके लिए पहला चुनावी मुद्दा हैं. इसके अलावा पूरा चतरा लोकसभा क्षेत्र खनिज संपदा से परिपूर्ण है, लेकिन राजनीतिक उदासीनता के कारण आज तक इस क्षेत्र में औद्योगिक विकास की कोई पहल नहीं की गयी है. जिसके कारण यहां के युवा या तो बेरोजगार रह जाते हैं या फिर रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं. युवाओं की मानें तो आज तक इस क्षेत्र में एक भी ऐसा जन प्रतिनिधि नहीं हुआ जो शिक्षा और रोजगार जैसी बुनियादी जरूरतों के प्रति गंभीरता दिखाता हो.
शिक्षा और रोजगार पर युवाओं का फोकस
ईटीवी भारत से बात करते हुए शिल्पी कुमारी ने कहा कि शिक्षा और रोजगार इस क्षेत्र की मुख्य समस्या है. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में उनका मुद्दा शिक्षा और रोजगार होगा. यह क्षेत्र आज तक पिछड़ा हुआ है. प्रियंका कुमारी ने कहा कि शिक्षा और रोजगार के साथ-साथ महिला सुरक्षा उनकी मुख्य मांग होगी. उन्होंने कहा कि लातेहार जिले में उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. जिले में स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए आज तक कोई पहल नहीं की गयी है. जिसका खामियाजा यहां के विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता है. इन मुद्दों के प्रति जन प्रतिनिधि पूरी तरह से उदासीन बने हुए हैं.