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जालौर सिरोही के मतदाता 'बाहरी' को करते हैं पंसद, कांग्रेस खेलेगी वैभव पर दांव!

लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. वहीं, कांग्रेस भी जल्द ही अपनी पहली लिस्ट जारी कर सकती है. इस बीच बात करें मारवाड़ के जालौर-सिरोही लोकसभा सीट की तो यहां ज्यादातर प्रतिनिधित्व बाहरी रहा है. ऐसे में यहां से पूर्व सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत का नाम तय माना जा रहा है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट....

Former CM Ashok Gehlot
Former CM Ashok Gehlot

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 5, 2024, 7:38 PM IST

जालौर सिरोही के मतदाता 'बाहरी' को करते हैं पंसद

जोधपुर.मारवाड़ में जालौर-सिरोही ऐसा लोकसभा क्षेत्र है, जहां आजादी के बाद से 2019 तक के 17 बार हुए चुनावों में 12 उम्मीदवारों ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है. इनमें सिर्फ तीन ही स्थानीय हैं, जबकि 9 बाहरी थे. कहा जा सकता है कि जालौर सिरोही क्षेत्र की जनता बाहरी उम्मीदवार को पसंद करती है. माना जा रहा है कि इस बार कांग्रेस से यहां पूर्व सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के नाम का एलान हो सकता है. पूर्व सीएम खुद इसको लेकर सक्रिय हो गए हैं. क्षेत्र के कांग्रेसी विधायकों और नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं.

मंगलवार को उन्होंने लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक रतन देवासी, समरजीतसिंह, मोतीराम के साथ ही पूर्व विधायक एवं मंत्री सुखराम विश्नोई, संयम लोढ़ा और कांग्रेस नेता पुखराज पाराशर के साथ बैठक की. इसमें वैभव गहलोत भी मौजूद रहे. वैभव गहलोत अगर चुनाव जीत जाएंगे तो उनकी सक्रिय राजनीतिक पारी शुरू हो जाएगी. कांग्रेस को मारवाड़ में एक सीट भी मिल जाएगी. अगर ऐसा होता है तो यह भाजपा के लिए बड़ा झटका होगा.

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कांग्रेस के बाहरी आए ज्यादा रास :जालौर-सिरोही लोकसभा क्षेत्र पहले चुनाव में जालौर-बाड़मेर के नाम से था. पहला चुनाव ही बाहरी हिम्मतसिंह ने बतौर निर्दलीय लड़कर जीता था. इसके बाद 1957 में कांग्रेस ने व्यवसायी सूरज रतन दमानी, 1962 में हरीश चंद्र माथुर, 1971 में नरेंद्र कुमार सांघी, 1984, 1991 और 1999 में बूटासिंह ने यहां से चुनाव जीता. 1998 में बूटासिंह ने निर्दलीय चुनाव भी जीता था. कांग्रेस ने 6 बार बाहरी उतारे थे. 1971 में स्वतंत्र पार्टी से देवकीनंदन पाटोदिया, 1977 में जनता पार्टी से हुक्माराम ने यहां से चुनाव जीता था. भाजपा से 1989 में कैलाश मेघवाल और 2004 सुशीला बंगारू ने चुनाव जीता था.

तीन स्थानीय बने पांच बार सांसद :कांग्रेस में बाहरी उम्मीदवारों का चलन शुरू से ही रहा था. सुरक्षित होने के बाद 1980 एक बार विरदाराम फुलवारिया, जो स्थानीय थे, उनको टिकट दिया गया वो चुनाव जीत गए थे. इसके बाद कांग्रेस ने बूटासिंह को यहां से उतारना शुरू कर दिया. विरोध हुआ तो 1996 स्थानीय परसराम मेघवाल को उतारा और वो जीत गए, लेकिन फिर बूटासिंह आ गए थे. 2009 में भाजपा ने देवजी पटेल को उतारा, जिन्होंने लगातार 2019 तक तीन चुनाव जीते. भाजपा ने 18वीं लोकसभा के लिए सिरोही के लुंबाराम की घोषणा कर दी है, जबकि कांग्रेस वैभव गहलोत पर दांव खेलने जा रही है.

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जोधपुर से हारे थे वैभव, तैयारियों में जुटे :वैभव गहलोत को कांग्रेस ने 2019 में जोधपुर से सांसद का चुनाव लड़वाया था. अशोक गहलोत बतौर सीएम और सरकार के दर्जनों मंत्रियों ने पूरा जोर लगाया था. खुद गहलोत ने जोधपुर के भीतरी शहर में पैदल घूम कर वोट मांगे थे, लेकिन इसके बावजूद वैभव गहलोत को गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 लाख से अधिक मतों से हराया था.

कांग्रेस के पास हैं तीन सीटें :जालौर-सिरोही लोकसभा क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें पांच जालौर के और तीन सिरेाही के हैं. इनमें जालौर में दो और सिरोही में एक सीट पर भाजपा से विधायक हैं, जबकि शेष पांच सीटों में चार पर भाजपा और एक पर भाजपा समर्थित निर्दलीय विधायक हैं. कांग्रेस के पास तीन विधायक होने से कांग्रेस को उम्मीद है कि अगर वैभव गहलोत को टिकट मिलता है तो वो यहां से चुनाव जीत जाएंगे.

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