लखनऊ :लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का पूरा फोकस जातीय समीकरणों पर पूरी तरह से फिट बैठने का रहा है. सबसे ज्यादा फोकस इस बार अति पिछड़ी जातियों पर रहा. इसमें कुर्मी और निषाद जैसी अन्य पिछड़ी जातियों के उम्मीदवारों को अधिक तवज्जो दिया गया. अखिलेश यादव ने मुस्लिम और यादव समाज से आने वाले नेताओं को कुर्मी, निषाद या अन्य अति पिछड़ी जातियों की तुलना में कम हिस्सेदारी दी है. राजनीतिक विश्लेषक इसे अखिलेश यादव की राजनीति के नई तौर तरीके से जोड़कर देख रहे हैं.
दरअसल 2024 की चल रही लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया के अंतर्गत अखिलेश यादव की कोशिश है कि जातीय समीकरण पर पूरा फोकस किया जाए. जिससे भारतीय जनता पार्टी को चुनाव हराने में सफलता मिल सके. यही कारण है कि उन्होंने जाति समीकरण के आधार पर ही टिकट वितरण करने की पूरी कोशिश की है.
समाजवादी पार्टी की कोशिश यह भी रही है कि टिकट वितरण के माध्यम से किसी भी तरह से धार्मिक ध्रुवीकरण का संदेश न जाने पाए. जाति समीकरण के आधार पर ही अपनी चुनावी रणनीति और कामकाज को उसी के अनुरूप आगे बढ़ाया जाए. यही कारण रहा कि समाजवादी पार्टी के टिकट वितरण में इस बार मुस्लिम-यादव से ज्यादा सबसे ज्यादा फोकस अति पिछड़ी जातियों पर रहा है.
इनमें मौर्य, कुशवाहा, कुर्मी, शाक्य, सैनी जैसे बिरादरी से आने वाले चेहरों को चुनाव लड़ाया जा रहा है. समाजवादी पार्टी के अब तक घोषित 57 उम्मीदवारों में से सिर्फ 4 मुस्लिम, 9 सामान्य वर्ग से, 15 अनुसूचित जाति से और 29 प्रत्याशी पिछड़े वर्ग से आते हैं.
समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव ने इस बार टिकट वितरण में पिछले दलित अल्पसंख्यक यानी PDA के फार्मूले का पूरा ख्याल रखने की कोशिश की है. सबसे ज्यादा इस बार उनका जोर समाजवादी पार्टी के आधार वोट बैंक को और अधिक बढ़ाने वाली प्रमुख पिछड़ी जातियों पर रहा.
इन्हीं समीकरणों को ध्यान में रखते हुए समाजवादी पार्टी ने 9 सीटों जिनमें प्रतापगढ़, बस्ती, गोंडा, अंबेडकर नगर, बांदा, लखीमपुर खीरी, कुशीनगर, पीलीभीत, श्रावस्ती जैसे इलाकों में कुर्मी पटेल बिरादरी से उम्मीदवार उतारे हैं.
समाजवादी पार्टी ने अब तक घोषित प्रत्याशियों में सिर्फ चार सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. इनमें गाजीपुर, संभल, रामपुर और कैराना सीट शामिल है. उत्तर प्रदेश में करीब 20% मुस्लिम आबादी मानी जाती है लेकिन समाजवादी पार्टी के अभी तक घोषित प्रत्याशियों में इनकी हिस्सेदारी मात्र 7 फीसद ही है.
इसी तरह एटा, फर्रुखाबाद, बिजनौर, जौनपुर और फूलपुर में समाजवादी पार्टी ने शाक्य, मौर्य, सैनी, कुशवाहा समाज से आने वाले प्रत्याशियों को टिकट दिया है. गौतम बुद्ध नगर से गुर्जर, अकबरपुर से पाल, सुल्तानपुर, मिर्जापुर, संत कबीर नगर, गोरखपुर से अति पिछड़ी जाति के निषाद बिरादरी से उम्मीदवार उतारे हैं.
दो सीट अलीगढ़ और मुजफ्फरनगर से समाजवादी पार्टी ने जाट प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. फैजाबाद और मेरठ जैसी सामान्य सीटों पर समाजवादी पार्टी ने अनुसूचित जाति से आने वाले नेताओं को चुनाव लड़ाया है. इसे दलित को पार्टी के साथ जोड़ने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है.