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सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बदला सियासी पैंतरा, अति पिछड़ी जातियों के ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतारे, पढ़िए डिटेल - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

इस बार के लोकसभा चुनाव 2024 में सपा ने मुस्लिम और यादव जाति के उम्मीदवारों से कहीं ज्यादा अति पिछड़ी जातियों से आने वाले लोगों को अपना प्रत्याशी बनाया है. इसे सपा मुखिया के पीडीए फार्मूले से जुड़े नए पैंतरे से जोड़कर देखा जा रहा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 18, 2024, 8:57 AM IST

लखनऊ :लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का पूरा फोकस जातीय समीकरणों पर पूरी तरह से फिट बैठने का रहा है. सबसे ज्यादा फोकस इस बार अति पिछड़ी जातियों पर रहा. इसमें कुर्मी और निषाद जैसी अन्य पिछड़ी जातियों के उम्मीदवारों को अधिक तवज्जो दिया गया. अखिलेश यादव ने मुस्लिम और यादव समाज से आने वाले नेताओं को कुर्मी, निषाद या अन्य अति पिछड़ी जातियों की तुलना में कम हिस्सेदारी दी है. राजनीतिक विश्लेषक इसे अखिलेश यादव की राजनीति के नई तौर तरीके से जोड़कर देख रहे हैं.

दरअसल 2024 की चल रही लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया के अंतर्गत अखिलेश यादव की कोशिश है कि जातीय समीकरण पर पूरा फोकस किया जाए. जिससे भारतीय जनता पार्टी को चुनाव हराने में सफलता मिल सके. यही कारण है कि उन्होंने जाति समीकरण के आधार पर ही टिकट वितरण करने की पूरी कोशिश की है.

lok sabha election 2024

समाजवादी पार्टी की कोशिश यह भी रही है कि टिकट वितरण के माध्यम से किसी भी तरह से धार्मिक ध्रुवीकरण का संदेश न जाने पाए. जाति समीकरण के आधार पर ही अपनी चुनावी रणनीति और कामकाज को उसी के अनुरूप आगे बढ़ाया जाए. यही कारण रहा कि समाजवादी पार्टी के टिकट वितरण में इस बार मुस्लिम-यादव से ज्यादा सबसे ज्यादा फोकस अति पिछड़ी जातियों पर रहा है.

इनमें मौर्य, कुशवाहा, कुर्मी, शाक्य, सैनी जैसे बिरादरी से आने वाले चेहरों को चुनाव लड़ाया जा रहा है. समाजवादी पार्टी के अब तक घोषित 57 उम्मीदवारों में से सिर्फ 4 मुस्लिम, 9 सामान्य वर्ग से, 15 अनुसूचित जाति से और 29 प्रत्याशी पिछड़े वर्ग से आते हैं.

समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव ने इस बार टिकट वितरण में पिछले दलित अल्पसंख्यक यानी PDA के फार्मूले का पूरा ख्याल रखने की कोशिश की है. सबसे ज्यादा इस बार उनका जोर समाजवादी पार्टी के आधार वोट बैंक को और अधिक बढ़ाने वाली प्रमुख पिछड़ी जातियों पर रहा.

इन्हीं समीकरणों को ध्यान में रखते हुए समाजवादी पार्टी ने 9 सीटों जिनमें प्रतापगढ़, बस्ती, गोंडा, अंबेडकर नगर, बांदा, लखीमपुर खीरी, कुशीनगर, पीलीभीत, श्रावस्ती जैसे इलाकों में कुर्मी पटेल बिरादरी से उम्मीदवार उतारे हैं.

समाजवादी पार्टी ने अब तक घोषित प्रत्याशियों में सिर्फ चार सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. इनमें गाजीपुर, संभल, रामपुर और कैराना सीट शामिल है. उत्तर प्रदेश में करीब 20% मुस्लिम आबादी मानी जाती है लेकिन समाजवादी पार्टी के अभी तक घोषित प्रत्याशियों में इनकी हिस्सेदारी मात्र 7 फीसद ही है.

सपा का अति पिछड़ी जातियों के उम्मीदवारों पर भरोसा.

इसी तरह एटा, फर्रुखाबाद, बिजनौर, जौनपुर और फूलपुर में समाजवादी पार्टी ने शाक्य, मौर्य, सैनी, कुशवाहा समाज से आने वाले प्रत्याशियों को टिकट दिया है. गौतम बुद्ध नगर से गुर्जर, अकबरपुर से पाल, सुल्तानपुर, मिर्जापुर, संत कबीर नगर, गोरखपुर से अति पिछड़ी जाति के निषाद बिरादरी से उम्मीदवार उतारे हैं.

दो सीट अलीगढ़ और मुजफ्फरनगर से समाजवादी पार्टी ने जाट प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. फैजाबाद और मेरठ जैसी सामान्य सीटों पर समाजवादी पार्टी ने अनुसूचित जाति से आने वाले नेताओं को चुनाव लड़ाया है. इसे दलित को पार्टी के साथ जोड़ने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है.

समाजवादी पार्टी ने अब तक घोषित प्रत्याशियों में 9 उम्मीदवार सामान्य जाति से दिए हैं, इनमें चंदौली और धौरहरा में ठाकुर जाति से आने वाले प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया गया है. लखनऊ, उन्नाव, बरेली, मुरादाबाद और घोसी से भी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सामान्य जाति से आते हैं.

राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन कहते हैं कि अखिलेश यादव नई तरह की राजनीति पर ध्यान दे रहे हैं. उनका कोर वोट बैंक मुस्लिम, यादव हैं. वह तो उनके साथ जुड़ा ही हुआ है, अन्य जो पिछड़ी जातियां हैं, उन्हें अपने साथ और अधिक जोड़ने की कवायद के साथ उन्होंने इन बिरादरी से आने वाले नेताओं को टिकट देने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है. सपा के टिकट वितरण में अति पिछड़ी जातियों पर ज्यादा फोकस देखने को मिला है.

सपा मुखिया ने इस चुनाव में पैंतरा बदला है.

समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों पर एक नजर

1-आगरा से सुरेशचंद्र कदम, 2-मेरठ से अतुल प्रधान, 3- बिजनौर से दीपक सैनी, 4- मुरादाबाद से रुचि वीरा, 5- रामपुर से मोहिबुल्लाह नदवी, 6- कैराना से इकरा हसन, 7- बदायूं से आदित्य यादव, 8- लखनऊ से रविदास मेहरोत्रा, 9- बागपत से मनोज चौधरी, 10- संभल से जियाउर्रहमान बर्क, 11- गौतमबुधनगर से राहुल अवाना. 12- पीलीभीत से भगवत शरण गंगवार.


13- घोसी से राजीव राय, 14- मिर्जापुर से राजेन्द्र सिंह बिन्द, 15- मिश्रिख से मनोज राजवंशी, 16- सुल्तानपुर से भीम निषाद, 17- इटावा से जितेंद्र दोहरे, 18- जालौन से नारायण दास अहिरवार, 19- आजमगढ़ से धर्मेन्द्र यादव,20- नगीना से मनोज कुमार, 21- अलीगढ़ से बीजेन्द्र सिंह, 22- हाथरस से जसवीर बाल्मीकि, 23- लालगंज से दरोगा सरोज, 24- बरेली से प्रवीण सिंह एरण.

25- हमीरपुर से अजेंद्र सिंह राजपूत, 26-वाराणसी से सुरेन्द्र सिंह पटेल, 27- मुजफ्फरनगर से हरेंद्र मलिक, 28- आंवला से नीरज मौर्य, 29- शाहजहांपुर से राजेश कश्यप, 30- हरदोई से ऊषा वर्मा, 31- मोहनलालगंज से आरके चौधरी, 32- प्रतापगढ़ से डॉ. एसपी सिंह पटेल, 33- बहराइच से रमेश गौतम, 34-गोंडा से श्रेया वर्मा, 35- गाजीपुर से अफजाल अंसारी, 36- चंदौली से वीरेन्द्र सिंह.

37- मैनपुरी से डिंपल यादव, 38- फिरोजाबाद से अक्षय यादव, 39- लखीमपुर खीरी से उत्कर्ष वर्मा, 40- धौरहरा आनंद से भदौरिया, 41- एटा से देवेश शाक्य, 42- उन्नाव से अन्नू टंडन, 43- फर्रुखाबाद से डॉ. नवल किशोर शाक्य, 44- अकबरपुर से राजाराम पाल, 45- बांदा शिव शंकर सिंह पटेल.


46- फैजाबाद से अवधेश प्रसाद, 47- अंबेडकर से नगर लालजी वर्मा, 48- बस्ती से राम प्रसाद चौधरी, 49- गोरखपुर से काजल निषाद, 50- फूलपुर से अमरनाथ मौर्य, 51- श्रावस्ती से श्री राम शिरोमणि वर्मा, 52- डुमरियागंज से भीष्म शंकर "कुशल" तिवारी, 53- संतकबीरनगर से लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद, 54- सलेमपुर से रमाशंकर राजभर, 55- जौनपुर से बाबू सिंह कुशवाहा, 56- मछलीशहर से प्रिया प्रिया सरोज, 57- सुल्तानपुर से राम भुआल निषाद, 58- भदोही ललितेश पति त्रिपाठी (टीएमसी).

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