चंडीगढ़: हरियाणा में दस लोकसभा सीटों के लिए 25 मई को मतदान होना है. सभी पार्टियां यानी बीजेपी, कांग्रेस (इंडी गठबंधन), जेजेपी और इनेलो अपनी पूरी ताकत प्रचार में झोंक चुकी हैं. वहीं इन सभी पार्टियों के दिग्गज नेता भी पार्टी उम्मीदवारों के साथ इस तपती गर्मी में अपना पूरा पसीना बहा रहे हैं. सभी दल खुद के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए मतदाता तक पहुंचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
इस बार किसकी लहर? इस बार लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 की तरह किसी पार्टी की लहर नहीं दिखाई दे रही. जिसकी वजह से सभी सीटों पर कांटे की टक्कर होने की उम्मीद जताई जा रही है. बढ़ती गर्मी कहें या फिर कुछ अन्य वजह. इस बार लोगों में चुनाव का माहौल उस तरह का दिखाई नहीं दे रहा. जैसा कि पिछले चुनाव में दिखा था. इसकी वजह से सभी दल बार-बार मतदाताओं के दर पर तपती गर्मी में लगातार दस्तक देने के लिए मजबूर हो गए हैं.
बीजेपी और कांग्रेस में से किसका पलड़ा भारी? ऐसे में सवाल ये है कि क्या हरियाणा में लोकसभा चुनाव जनता वर्सेस बीजेपी है? विपक्ष के गठजोड़ में कोई धार है? जिसकी वजह से विपक्ष इस बार सत्ता पक्ष को चुनाव में सत्ता से बाहर करने की बात कर रहा है.
'जनता का स्थानीय मुद्दों पर फोकस': राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी ने कहा "इस बार हरियाणा में जनता स्थानीय मुद्दों को लेकर ज्यादा फोकस है, फिर चाहे बात किसानों की हो, जवानों की हो, बेरोजगारी और महंगाई की हो. लोग उनसे सीधे जुड़े मुद्दों को लेकर मुखर दिखाई देते हैं. इसलिए कह सकते हैं कि विपक्ष को इस बार ज्यादा ताकत लगाने की जरूरत दिखाई नहीं दे रही."
'ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी के खिलाफ रोष': उन्होंने कहा "लोगों का विपक्ष को उनसे संबंधित मुद्दों की वजह से समर्थन खुद ब खुद मिलता दिख रहा है. इसी वजह से हरियाणा के ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कहीं ना कहीं बीजेपी को लेकर मुखर दिखाई देते हैं. लग रहा है कि लोग इस बार बदलाव का मन बनाकर चल रहे हैं. लोगों की ये सोच कितनी वोट में तब्दील होती है. इसका पता तो चार जून को चलेगा, लेकिन माहौल जनता वर्सेस बीजेपी का ही इस चुनाव में दिखाई दे रहा है."
किसानों के मुद्दे पर बैकफुट पर बीजेपी? इस मुद्दे पर राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मोदगिल ने कहा "भले ही विपक्ष के पास कोई चेहरा पीएम का दिखाई नहीं दे रहा हो, लेकिन जनता क्या सोच रखती है. इस बात की अहमियत लोकतंत्र में ज्यादा है. लोग हरियाणा में किसानों और जवानों को लेकर लोग ज्यादा संजीदगी रखते हैं. वहीं बीजेपी से कुछ मुद्दों को लेकर उनमें नाराजगी दिखाई देती है.
'एंटी इनकंबेंसी भी फैक्टर': राजेश मोदगिल ने कहा "बीजेपी लोगों की नाराजगी को मतदान केंद्र तक कितना पाट पाती है इसका पता चुनावी नतीजे बताएंगे. विपक्ष के प्रचार में सत्ता पक्ष के मुकाबले कम धार दिखाई दी है, लेकिन हरियाणा की जनता में कहीं ना कहीं दस साल केंद्र और राज्य के शासन की एंटी इनकंबेंसी दिखाई देती है. इसलिए कह सकते हैं कि ये चुनाव बीजेपी वर्सेस जनता का दिखाई पड़ता है. जिसकी वजह से सभी सीटों पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है."
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