लखनऊ :बहुजन समाज पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव 2024 कई मायने में खास है. वजह ये है कि बीएसपी की स्थिति विधानसभा में पूरी तरह लड़खड़ा चुकी है. विधान परिषद में भी बसपा का प्रतिनिधित्व नहीं है. अब उम्मीद लोकसभा चुनाव से ही है. हालांकि राह काफी कठिन है. साल 2024 में बसपा के लिए 2019 का प्रदर्शन दोहरा पाना मुश्किल लग रहा है. बीएसपी ने साल 2009 में अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन करते हुए 21 लोकसभा सीटें जीती थीं. उसके बाद हर चुनाव में बसपा को घाटा उठाना पड़ा. 2014 में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. 2019 में 10 सीटें जीतने में सफल हुई. अब 2024 के चुनावी नतीजे ही बसपा का भविष्य तय करेंगे.
बहुजन समाज पार्टी ने साल 2014 में अकेले दम पर उत्तर प्रदेश समेत देश भर में चुनाव लड़ा था. यह फैसला चुनाव परिणाम आने के बाद पूरी तरह गलत साबित हो गया. बहुजन समाज पार्टी एक सीट भी जीतने में कामयाब नहीं हो पाई. साल 1985 के बाद 29 साल में साल 2014 में ऐसा दौर आया जब पार्टी खाता तक नहीं खोल पाई. हालांकि बीच की अवधि के दौरान पार्टी अच्छा प्रदर्शन करने में भी कामयाब हुई.
2019 में बसपा ने सपा से मिलाया था हाथ :बहुजन समाज पार्टी ने 2014 में नतीजे पक्ष में न आने से सबक लेते हुए अपनी धुर विरोधी समाजवादी पार्टी से 2019 के लोकसभा चुनाव में हाथ मिला लिया. नतीजा ये हुआ कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी 10 सीटें जीतने में कामयाब हो गई. अब 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर बहुजन समाज पार्टी अकेले ही लड़ रही है.
वर्तमान में पार्टी की जो स्थिति है उससे राजनीतिक जानकार यह भी कयास लगा रहे हैं कि कहीं बहुजन समाज पार्टी का हश्र 1985 और 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह ही न हो जाए. ऐसा न हो कि पार्टी का हाल इस लोकसभा चुनाव में फिर से 10 साल पीछे वाला हो जाए और 2014 की तरह 2024 में खाता ही न खुल पाए.
कब कितनी सीटों पर उतारे प्रत्याशी, कितने को मिली जीत :नौवीं लोकसभा 1989 में बीएसपी 245 सीटों पर चुनाव लड़ी और चार सीटें जीतने में सफल हुई. 10 वीं लोकसभा 1991 में 231 सीटों पर चुनाव लड़ी और तीन सीटें जीतने में सफल हुई. 11वीं लोकसभा चुनाव 1996 में 210 सीटों पर चुनाव लड़ी और 11 सीटों पर जीत हासिल की. 12 वीं लोकसभा में 1998 में 251 सीटों पर चुनाव लड़ी और पांच सीटें जीतने में कामयाब हुई.