सिवान:बिहार का सिवान लोकसभा सीटहॉट सीटों में से एक है, जिसपर तमाम पार्टियों की नजर होती है. 2024 के चुनाव की तैयारी में अभी से तमाम दलों के नेता जुड़ गए हैं. कई नेता पार्टियों के दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं. इस सीट पर छठे चरण में 25 मई को वोटिंग होनी है.
4 बार सांसद रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन: सिवान लोकसभा का पहला चुनाव सन 1957 में हुआ था,जिसमे सबसे पहले सांसद कांग्रेस पार्टी से झूलन सिन्हा थे. यही नहीं सन 1971 तक सिवान लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. वैसे सिवान कई वजहों से हमेशा चर्चा में रहा ,जिसमे अपने अंदाज में राजनीति करने वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन का नाम है जो 4 बार सांसद रहे.
बिहार के एकमात्र मुस्लिम सीएम:इसमें सबसे दिलचस्प बात यह रही कि 1957 से 2019 तक जब भी चुनाव हुए हमेशा समीकरण बदलते ही रहे. साल 1984 में कांग्रेस पार्टी से जीते अब्दुल गफूर सूबे के मुख्यमंत्री बने और केंद्रीय मंत्री पद पर भी रहे. अब्दुल गफूर ने केंद्र में दो मंत्री मंडल की कमान संभाली. उन्होंने केंद्रीय निर्माण एवं आवास और शहरी विकास का विभाग संभाला. अब्दुल गफूर बिहार विधान परिषद के सभापति भी रहे.
सिवान संसदीय सीट.. कभी कांग्रेस का था दबदबा : सिवान की जनता हमेशा चुनाव में अलग-अलग समीकरण के आधार पर वोटिंग करती रही है और सांसद चुन कर लोकसभा भेजने का काम किया है. पहला चुनाव सन 1957 में हुआ. झूलन सिन्हा संसद कांग्रेस कोटे से बने. 1962 में फिर कांग्रेस से मो.यूसुफ सांसद बने.
1977 में कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी: 1962 से लेकर 1967,1971,1980 तक चार बार मो. यूसुफ सांसद रहे. 1994 में कांग्रेस पार्टी से फिर अब्दुल गफूर सांसद बने और मुख्यमंत्री भी बने. हवा का रुख बदला तब 1977 में मृत्यंज प्रसाद भाजपा कोटे से सांसद बने.
2019 में जदयू का कब्जा: 1989 में जनार्दन तिवारी, 1991 में वृषिण पटेल जनता दल से तो 1996 से लेकर 2004 तक मोहम्मद शहाबुद्दीन ने सीट पर कब्जा किया. वहीं 2009 में फिर ओम प्रकाश यादव निर्दलीय जीते और भाजपा में शामिल हो गए. फिर 2014 में ओम प्रकाश यादव ही जीते जिसके बाद 2019 में यह सीट एनडीए गठबंधन से जदयू को चली गयी, जिसमें कविता सिंह सांसद बनीं और ओम प्रकाश का टिकट कट गया.
सिवान में जातिगत समीकरण:सिवान लोकसभा सीट से कई दिग्गज नेता अपनी किस्मत आजमाने की फिराक में हैं. 2009 से लेकर सिवान में लगातार जातिगत आधारित पर ही वोटिंग हुई है. पूरे बिहार की अगर बात करें तो आज भी यहां की राजनीति शहाबुद्दीन परिवार के इर्द गिर्द ही घूमती नजर आएगी.
कौन हो सकते हैं चेहरे? : 2024 की जंग में फिर नई सरकार बनाने के बाद जहां जदयू कि सिटिंग कंडिडेट कविता सिंह हैं. वहीं एनडीए से ये सीट इस बार भी जेडीयू के खाते में गई है और पार्टी ने यहां से जीरादेई के पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा की पत्नी विजय लक्ष्मी कुशवाहा को मैदान में उतारा है. दूसरी तरफ हेना शहाब चौथी बार किस्मत आजमा सकती हैं. हालांकि हेना शहाब किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगी यह अभी क्लियर नहीं हो पाया है. क्योंकि अब राजद से शहाबुदीन परिवार के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं.
निर्दलीय ताल ठोक सकते हैं ओम प्रकाश यादव: अगर सिवान जदयू कोटा में जाता है तो सीधे महागठबंधन से टक्कर होगी. अबकी बार महागठबंधन में सीपीआई भी शामिल है. वहीं भाजपा नेता एवं पूर्व सांसद ओम प्रकाश यादव पहले ही कह चुके हैं कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह बगावत पर उतर सकते हैं.
सिवान सीट का मुकाबला दिलचस्प:ओम प्रकाश यादव फिर निर्दलीय चुनाव में उतर सकते हैं. ऐसे में मुकाबला काफी दिलचस्प हो सकता है. वहीं राजद ने अगर हेना शहाब को टिकट नहीं दिया तो हेना शहाब का भी लड़ना तय माना जा रहा है. यानी यूं कह लें कि कई दिग्गज अपनी किस्मत फिर अजमाएगें.क्या चाहते हैं वोटर्स: आपको बता दें कि 2024 लोकसभा पर अलग-अलग लोगों की अलग अलग राय है. एक बिजनेसमैन का कहना है कि सिवान में कुछ काम हुए और अभी कुछ बाकी भी हैं. लेकिन देश मे जो राम मंदिर बना उसका फायदा नरेंद्र मोदी यानी भाजपा को मिलेगा.
"अबकी बार फिर एक बार मोदी सरकार ही आएगी. विकास के नाम पर वोटिंग होगी. वर्तमान सांसद ने काम किया है. रेलवे पुल को स्वीकृति दिलवाई लेकिन काम शुरू नहीं हो सका. जो काम होना चाहिए था वो नहीं हुआ."- संजय श्रीवास्तव, व्यवसायी
"सिवान में विकास हुआ है लेकिन और होना चाहिए. राम मंदिर का फायदा बीजेपी को मिलता दिख रहा है. दूसरी पार्टियों को मुश्किल हो सकती है."- आईएस कुशवाहा, छात्र
राजनीतिक पार्टियों का दावा:वहीं जन सुराज के जिलाध्यक्ष इंतखाब आलम ने कहा कि जदयू मंडल तो भाजपा कमंडल की राजनीति करती है. जात पात की राजनीति होती है. सिवान में जदयू कोटे से सांसद हैं. उनके कार्यकाल में कुछ भी काम नहीं हुआ है.
"स्कूल हो या इंटर स्टेट बस स्टैंड,स्वास्थ्य की लचर व्यवस्था है. जन सुराज जन-जन को ये बात बताएगी और हमारा प्रयास है कि चुनाव में अच्छे लोग चुनकर आएं."-इंतखाब आलम,जिलाध्यक्ष,जन सुराज
आधी आबादी की भागीदारी सराहनीय: कुल आबादी 36 लाख 70 हजार 683 है. इसमें लगभग 21 लाख 95 हजार 957 मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट में दर्ज है. जिसमें 11 लाख 975 पुरुष मतदाता हैं. वहीं 10 लाख 95 हजार महिला वोटरों की संख्या है. यानी अगर देखा जाए तो पुरुष एवं महिला वोटरों में सिर्फ 1 लाख ही अंतर है. यही नहीं वोट परसेंटेज में महिलाओं की हमेशा भागीदारी सराहनीय रही है.