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निकाय चुनाव: 'छोटी सरकार' के लिए कई चुनौतियां, वोटर्स कड़ा इम्तिहान लेने को हैं तैयार, जानें लोगों की राय - UTTARAKHAND NIKAY CHUNAV 2025

देहरादून निकाय चुनाव को लेकर लोगों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी. कुछ लोगों में निकाय को लेकर उत्साह दिखा तो कुछ ने समस्याओं को गिनाया.

NIKAY CHUNAV in Dehradun
देहरादून निकाय चुनाव को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया (Photo-ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 11, 2025, 12:49 PM IST

Updated : Jan 11, 2025, 5:30 PM IST

देहरादून (नवीन उनियाल): नगर निगम देहरादून में करीब 7,65,000 मतदाता हैं. इनमें करीब 2 लाख मतदाता निम्न वर्ग से आते हैं. जो हर दिन मेहनत कर दो जून की रोटी पाने के लिए संघर्ष करता दिखाई देता है. चुनाव का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत ने सबसे पहले इसी वर्ग की राय जानने की कोशिश की. देहरादून नगर निगम दफ्तर से ईटीवी भारत संवाददाता ने शहर के अलग-अलग इलाकों में जाकर लोगों की समस्याओं को सुना और चुनावी माहौल को समझने की कोशिश की.

पांच सालों में कैसी होगी शहर की सूरत:देहरादून की जनता ने चुनाव के जरिए शहर का मेयर और 100 वार्डों में पार्षद का चुनाव करना है. यानी शहर की तमाम जरूरी और मूलभूत सुविधाओं को पाने के लिए आम लोगों का यह मतदान काफी जरूरी होगा. शहर की सूरत अगले 5 साल कैसी होगी यह भी नगर निगम का नया बोर्ड तय करेगा. लेकिन इस बोर्ड को तय करने वाले मतदाता कैसे लोगों को चाहते हैं यह भी जानना बेहद जरूरी है.

देहरादून निकाय चुनाव को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया (ETV Bharat)

पहाड़ी वोटर्स की संख्या अच्छी खासी:देहरादून नगर निगम क्षेत्र में पांच विधानसभाएं आती हैं, यानी यह पूरा क्षेत्र पांच विधायकों की विधानसभा तक पहुंचती है. नगर निगम में धर्मपुर विधानसभा का क्षेत्र बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर्स वाला है, जबकि पूरे नगर निगम में ही पहाड़ी वोटर की अच्छी खासी संख्या है. या यूं कहें कि पहाड़ी वोटर देहरादून नगर निगम में निर्णायक भूमिका में हैं. हालांकि कैंट विधानसभा से जुड़े क्षेत्र में सिख वोटर की भी अच्छी खासी संख्या है. यहां कई वीवीआईपी इलाके हैं और राजधानी होने के कारण नीति निर्धारक भी नगर निगम में ही मतदाता के रूप में मौजूद हैं.

प्रवासी मजदूर नहीं हैं शहर के वोटर:लेकिन एक और वर्ग है, जिसे नजरअंदाज तो नहीं किया जा सकता. यह वर्ग उन मेहनतकश लोगों का है, जो रोजमर्रा की जरूरत के लिए सबसे ज्यादा संघर्ष करते हुए दिखाई देते हैं. मजदूरों से बात करें तो हर रोज सुबह ठेकेदारों या अन्य लोग इनका इंतजार करते हैं, जो किसी निर्माण के लिए उन्हें दैनिक मजदूरी पर काम देते हैं. इन लोगों की सबसे बड़ी समस्या महंगाई, बेरोजगारी ही है. लेकिन इसके अलावा एक बड़ी समस्या पुलिस प्रशासन और किसी भी जनप्रतिनिधि के उनकी समस्या के लिए आगे नहीं आने की भी है. हालांकि जिन मजदूरों से हमने बात की उनमें अधिकतर लोग दूसरे राज्यों से रोजी-रोटी के लिए देहरादून पहुंचे थे और वह यहां के वोटर भी नहीं हैं.

देहरादून निकाय चुनाव का रण (Photo-ETV Bharat Graphic)

मलिन बस्तियों में रहते हैं कई लोग:वैसे देहरादून में कुल 129 मलिन बस्तियां हैं. यह लोग इन्हीं मलिन बस्तियों में रहते हैं. हालांकि इनमें से कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपना वोटर कार्ड बनवा लिया है और वैध, अवैध किसी भी रूप में वह अब इन बस्तियों में रह रहे हैं. पूर्व में हुए एक आकलन के अनुसार इन बस्तियों में 40000 मकान मौजूद हैं. यह एक बड़ी संख्या है और यहां रहने वाले कई लोगों के वोटर के रूप में शामिल होने के बाद इन बस्तियों में पानी की लाइन बिजली आपूर्ति सब हो चुकी है. हालांकि इसके बावजूद बस्तियों को वैध करने के लिए स्थायी समाधान आज तक नहीं हुआ है.

ऑटो और टैक्सी चालकों की राय:परेशानियां केवल मजदूर वर्ग के सामने ही नहीं है, ऑटो चालक और टैक्सी वाले भी अपनी अलग राय दे रही है. कुछ तो मौजूदा स्थिति से संतुष्ट हैं लेकिन कुछ को लगता है कि सड़कों पर गड्ढे हैं पेट्रोल भी कुछ महंगा है. लेकिन जैसे तैसे परिवार का भरण पोषण करने के लिए इनका संघर्ष जारी है. चुनाव तो यह नगर निगम में मेयर और वार्डों में पार्षद पद के लिए है. कई लोग भाजपा को वोट देने की बात कहने लगे, यानी चुनाव छोटी सरकार का है लेकिन लोग प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर ही इस बार वोट देने की बात कहते दिखाई दिए. इतना ही नहीं ऐसे लोगों को ना तो महंगाई परेशान कर रही है और ना ही सड़क पर गड्ढों से उन्हें कोई दिक्कत है.

लोगों ने गिनाई शहर की समस्याएं (Photo-ETV Bharat)

प्रत्याशियों के जीत का किया दावा:अपनी चुनावी चर्चा के बीच रेसकोर्स से गुजरते हुए दो प्रत्याशियों के कार्यालय भी दी गई जो ठीक आजू-बाजू ही बनाए गए थे. वार्ड नंबर 80 में यहां कांग्रेस के प्रत्याशी ने अब तक पार्षद पद पर जीत हासिल की थी. यह एक महिला सीट है जहां कांग्रेस के कार्यालय में कुछ लोग बैठे दिखाई दिए. जिन्होंने कांग्रेस की फिर से इस सीट पर जीत का अपना एक अलग तर्क दिया.

लोगों ने उठाए शहर के विकास के मुद्दे (Photo-ETV Bharat)

सब्जी विक्रेताओं को महंगाई लगी कम:इस दौरान टीम ने सब्जी मंडी जाकर भी महंगाई और तमाम दूसरे मुद्दों को समझने की कोशिश की. यहां भी सब्जी विक्रेताओं को महंगाई कुछ कम लग रही थी. वह बात अलग है कि सब्जी और फलों के दाम कम होने की बात कहने वाले यह विक्रेता बाजार ठंडा होने की बात भी कह रहे थे और ग्राहकों के मंडी में नहीं आने की बात कहते सुनाई दे रहे थे. एक तरफ सब्जी विक्रेता महंगाई कम होने की दलील दे रहे थे तो वही खरीदार महंगाई से बुरा हाल होने की बात कहते दिखाई दिए.

बीजेपी के जीत का किया दावा (Photo-ETV Bharat)

ऑटो और टैक्सी चालकों की राय:वैसे तो देहरादून नगर निगम का माहौल कुछ मिला-जुला सा दिखाई दिया. लेकिन यहां लोग कम से ज्यादा मोदी फैक्टर को ज्यादा तवज्जो देते हुए दिखाई दिए. कुल मिलाकर 23 जनवरी का इंतजार मतदाताओं में दिखाई दिया और साइलेंट वोटर के रूप में अपना अंतिम फैसला मतदान केंद्र पर जाहिर करने की मंशा में मतदाता दिखाई दिया.

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Last Updated : Jan 11, 2025, 5:30 PM IST

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