देहरादून (नवीन उनियाल): नगर निगम देहरादून में करीब 7,65,000 मतदाता हैं. इनमें करीब 2 लाख मतदाता निम्न वर्ग से आते हैं. जो हर दिन मेहनत कर दो जून की रोटी पाने के लिए संघर्ष करता दिखाई देता है. चुनाव का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत ने सबसे पहले इसी वर्ग की राय जानने की कोशिश की. देहरादून नगर निगम दफ्तर से ईटीवी भारत संवाददाता ने शहर के अलग-अलग इलाकों में जाकर लोगों की समस्याओं को सुना और चुनावी माहौल को समझने की कोशिश की.
पांच सालों में कैसी होगी शहर की सूरत:देहरादून की जनता ने चुनाव के जरिए शहर का मेयर और 100 वार्डों में पार्षद का चुनाव करना है. यानी शहर की तमाम जरूरी और मूलभूत सुविधाओं को पाने के लिए आम लोगों का यह मतदान काफी जरूरी होगा. शहर की सूरत अगले 5 साल कैसी होगी यह भी नगर निगम का नया बोर्ड तय करेगा. लेकिन इस बोर्ड को तय करने वाले मतदाता कैसे लोगों को चाहते हैं यह भी जानना बेहद जरूरी है.
पहाड़ी वोटर्स की संख्या अच्छी खासी:देहरादून नगर निगम क्षेत्र में पांच विधानसभाएं आती हैं, यानी यह पूरा क्षेत्र पांच विधायकों की विधानसभा तक पहुंचती है. नगर निगम में धर्मपुर विधानसभा का क्षेत्र बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर्स वाला है, जबकि पूरे नगर निगम में ही पहाड़ी वोटर की अच्छी खासी संख्या है. या यूं कहें कि पहाड़ी वोटर देहरादून नगर निगम में निर्णायक भूमिका में हैं. हालांकि कैंट विधानसभा से जुड़े क्षेत्र में सिख वोटर की भी अच्छी खासी संख्या है. यहां कई वीवीआईपी इलाके हैं और राजधानी होने के कारण नीति निर्धारक भी नगर निगम में ही मतदाता के रूप में मौजूद हैं.
प्रवासी मजदूर नहीं हैं शहर के वोटर:लेकिन एक और वर्ग है, जिसे नजरअंदाज तो नहीं किया जा सकता. यह वर्ग उन मेहनतकश लोगों का है, जो रोजमर्रा की जरूरत के लिए सबसे ज्यादा संघर्ष करते हुए दिखाई देते हैं. मजदूरों से बात करें तो हर रोज सुबह ठेकेदारों या अन्य लोग इनका इंतजार करते हैं, जो किसी निर्माण के लिए उन्हें दैनिक मजदूरी पर काम देते हैं. इन लोगों की सबसे बड़ी समस्या महंगाई, बेरोजगारी ही है. लेकिन इसके अलावा एक बड़ी समस्या पुलिस प्रशासन और किसी भी जनप्रतिनिधि के उनकी समस्या के लिए आगे नहीं आने की भी है. हालांकि जिन मजदूरों से हमने बात की उनमें अधिकतर लोग दूसरे राज्यों से रोजी-रोटी के लिए देहरादून पहुंचे थे और वह यहां के वोटर भी नहीं हैं.
मलिन बस्तियों में रहते हैं कई लोग:वैसे देहरादून में कुल 129 मलिन बस्तियां हैं. यह लोग इन्हीं मलिन बस्तियों में रहते हैं. हालांकि इनमें से कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपना वोटर कार्ड बनवा लिया है और वैध, अवैध किसी भी रूप में वह अब इन बस्तियों में रह रहे हैं. पूर्व में हुए एक आकलन के अनुसार इन बस्तियों में 40000 मकान मौजूद हैं. यह एक बड़ी संख्या है और यहां रहने वाले कई लोगों के वोटर के रूप में शामिल होने के बाद इन बस्तियों में पानी की लाइन बिजली आपूर्ति सब हो चुकी है. हालांकि इसके बावजूद बस्तियों को वैध करने के लिए स्थायी समाधान आज तक नहीं हुआ है.