ETV Bharat / state

बागेश्वर खड़िया खनन मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई, उत्तराखंड खनन इकाई के डिप्टी डायरेक्टर होंगे पेश - BAGESHWAR ILLEGAL CHALK MINING

बागेश्वर में खड़िया खनन से घरों में दरार मामले में हाईकोर्ट सख्त, ज्यूलोजिकल एवं खनन इकाई उत्तराखंड के डिप्टी डायरेक्टर को पेश होने के निर्देश.

uttarakhand high court
उत्तराखंड हाईकोर्ट (photo- ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 14, 2025, 9:35 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले की कांडा तहसील के कई गांवों में खड़िया खनन से आई दरारों के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर पंजीकृत की गई जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी.नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ती मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने की. कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए ज्यूलोजिकल एवं खनन इकाई उत्तराखंड के डिप्टी डायरेक्टर को व्यक्तिगत और कमेटी के अन्य सदस्यों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख निर्धारित की गई है.

आज हुई सुनवाई पर राज्य सरकार ने बागेश्वर जिले के 61 खड़िया खदानों की जांच रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की. कोर्ट ने रिपोर्ट का अवलोकन किया. कोर्ट ने संतुष्टि के लिए गठित कमेटी के अध्यक्ष ज्यूलोजिकल एवं खनन इकाई उत्तराखंड के डिप्टी डायरेक्टर को स्वयं व्यक्तिगत रूप से 17 फरवरी को पेश होने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने कमेटी के अन्य सदस्यों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने अगली तिथि तक खड़िया खनन पर लगी रोक को जारी रखा है.

कोर्ट ने कहा कि इस क्षेत्र में अवैध खनन से ग्रामीणों को हो रहे नुकसान की भरपाई का मुआवजा सरकार से ना वसूलकर अवैध खनन कर्ताओं से वसूला जाएगा. वहीं, सुनवाई पर राज्य सरकार ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रशासन ने खड़िया खनन कार्य में लगी कई बड़ी मशीनों को सीज कर दिया है. खदानों की निगरानी ड्रोन कैमरों से की जा रही है. जिसकी वर्तमान रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जा चुकी है.

मामले के अनुसार पूर्व में कांडा तहसील के ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि अवैध खड़िया खनन से उनकी खेतीबाड़ी, घर, पानी की लाइनें चौपट हो चुकी हैं. ऐसे में जो व्यक्ति धन से संपन्न थे, उन्होंने अपना आशियाना हल्द्वानी और अन्य जगह पर बना लिया है. अब गांवों में निर्धन लोग ही बचे हुए हैं. उनके जो आय के साधन थे, उन पर अब खड़िया खनन के लोगों की नजर टिकी हुई है. इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को प्रत्यावेदन भी दिए गए, लेकिन उनकी समस्या का कुछ हल नहीं निकला, इसलिए अब हम न्यायालय की शरण में आए हैं. उनकी समस्या का समाधान किया जाए.

ये भी पढ़ें-

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले की कांडा तहसील के कई गांवों में खड़िया खनन से आई दरारों के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर पंजीकृत की गई जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी.नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ती मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने की. कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए ज्यूलोजिकल एवं खनन इकाई उत्तराखंड के डिप्टी डायरेक्टर को व्यक्तिगत और कमेटी के अन्य सदस्यों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख निर्धारित की गई है.

आज हुई सुनवाई पर राज्य सरकार ने बागेश्वर जिले के 61 खड़िया खदानों की जांच रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की. कोर्ट ने रिपोर्ट का अवलोकन किया. कोर्ट ने संतुष्टि के लिए गठित कमेटी के अध्यक्ष ज्यूलोजिकल एवं खनन इकाई उत्तराखंड के डिप्टी डायरेक्टर को स्वयं व्यक्तिगत रूप से 17 फरवरी को पेश होने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने कमेटी के अन्य सदस्यों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने अगली तिथि तक खड़िया खनन पर लगी रोक को जारी रखा है.

कोर्ट ने कहा कि इस क्षेत्र में अवैध खनन से ग्रामीणों को हो रहे नुकसान की भरपाई का मुआवजा सरकार से ना वसूलकर अवैध खनन कर्ताओं से वसूला जाएगा. वहीं, सुनवाई पर राज्य सरकार ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रशासन ने खड़िया खनन कार्य में लगी कई बड़ी मशीनों को सीज कर दिया है. खदानों की निगरानी ड्रोन कैमरों से की जा रही है. जिसकी वर्तमान रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जा चुकी है.

मामले के अनुसार पूर्व में कांडा तहसील के ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि अवैध खड़िया खनन से उनकी खेतीबाड़ी, घर, पानी की लाइनें चौपट हो चुकी हैं. ऐसे में जो व्यक्ति धन से संपन्न थे, उन्होंने अपना आशियाना हल्द्वानी और अन्य जगह पर बना लिया है. अब गांवों में निर्धन लोग ही बचे हुए हैं. उनके जो आय के साधन थे, उन पर अब खड़िया खनन के लोगों की नजर टिकी हुई है. इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को प्रत्यावेदन भी दिए गए, लेकिन उनकी समस्या का कुछ हल नहीं निकला, इसलिए अब हम न्यायालय की शरण में आए हैं. उनकी समस्या का समाधान किया जाए.

ये भी पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.