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DDA की जमीन को निजी बताकर बेचने के आरोपी 3 अधिकारियों के खिलाफ LG ने ACB जांच की दी मंजूरी - LG APPROVES ACB INVESTIGATION

-डीडीए की जमीन को निजी व्यक्तियों को कथित रूप से बेचने का मामला. -एसडीएम को एक सप्ताह के भीतर पेश होने के लिए कहा गया.

उपराज्यपाल वीके सक्सेना
उपराज्यपाल वीके सक्सेना (ETV Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 5, 2024, 6:24 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी सरकार के राजस्व विभाग में तैनात तीन अधिकारियों के खिलाफ एसीबी जांच को मंजूरी दे दी है. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत उपराज्यपाल ने प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 17 ए के तहत राजस्व विभाग के तीन अधिकारियों के खिलाफ एसीबी द्वारा जांच को मंजूरी दी है.

उन्होंने सतर्कता विभाग को भी मामला प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. इस मामले में शामिल दक्षिण जिले हौज खास के तत्कालीन एसडीएम को एक सप्ताह के भीतर पेश होने के लिए कहा गया है. उपराज्यपाल सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में राजस्व विभाग के पूर्व उप-रजिस्ट्रार डीसी साहू, पूर्व कानूनगो रमेश कुमार और पूर्व तहसीलदार अनिल कुमार के खिलाफ जांच की मंजूरी दे दी गई है. ये पहले हौज खास, दक्षिण जिला, राजस्व विभाग, एनसीटी सरकार से जुड़े थे.

यह है मामला:दरअसल मामला एनओसी जारी करके डीडीए की जमीन को निजी व्यक्तियों को कथित तौर पर बेचने से जुड़ा है. दक्षिणी दिल्ली के हौज खास इलाके में खसरा नंबर 351 वाली भूमि 1965 में डीडीए द्वारा अधिग्रहित की गई थी. 2019 में, बाला देवी नाम की एक महिला ने एसडीएम, हौज खास के पास एक आवेदन दायर किया, जिसमें खसरा नंबर 351 के सीमांकन की मांग की गई. राजस्व अधिकारियों द्वारा कुल 44 बीघा और 19 बिस्वा क्षेत्रफल में से सीमांकन के बाद, 1 बीघा और 5 बिस्वा भूमि को निजी के रूप में सीमांकित किया गया था.

सतर्कता विभाग की तरफ से देरी: इस मामले में कोर्ट में सुनवाई के दौरान, डीडीए ने विपरीत रुख अपनाया और बताया कि डीडीए की जमीन पर अवैध निर्माण था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया है और प्राधिकरण ने जमीन पर कब्जा कर लिया है. राजस्व रिकॉर्ड साफ तौर से बताने के बावजूद कि भूमि सरकार (डीडीए) की थी, दक्षिण जिले के राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बाला देवी को एनओसी जारी कर दी. इसके बाद, तत्कालीन सब-रजिस्ट्रार, डीसी साहू, अधिग्रहित भूमि के विक्रय पत्र को पंजीकृत करने के लिए चले गए. धोखाधड़ी के इस कथित कृत्य के परिणामस्वरूप सरकार को राजस्व हानि हुई. चूंकि, सतर्कता विभाग की तरफ से इन मामलों कार्रवाई में देरी हुई थी, इसलिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामलों से निपटने वाले सतर्कता विभाग के अधिकारियों को अधिनियम में निर्धारित समय-सीमा का सख्ती से पालन करने और संवेदनशील मामलों में देरी से बचने का निर्देश दिया गया था.

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