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मानसून की मार से संकट में किसान, विपक्ष ने सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग की - Less rain in Bihar

bihar declare drought बिहार में मौसम विभाग ने सामान्य से अधिक बारिश होने की भविष्यवाणी की थी. शुरुआत में कई जिलों में मानसून काफी सक्रिय रहा. जुलाई के दूसरे सप्ताह से मानसून सुस्त पड़ गया. मौसम विभाग की भविष्यवाणी फेल होते दिख रही है. बारिश कम होने का असर धान की रोपनी पर पड़ रहा है. वैसे तो बिहार में समान्यतः 15 अगस्त तक धान की रोपनी होती है, लेकिन मानसून की स्थिति से किसान परेशान हैं तो विपक्ष सुखाड़ घोषित करने की मांग कर रहे हैं. पढ़ें, विस्तार से.

बिहार में सुखे की स्थिति.
बिहार में सुखाड़ की स्थिति. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 28, 2024, 3:38 PM IST

Updated : Jul 28, 2024, 4:16 PM IST

पटना: बिहार में इस बार मानसून शुरू में जरूर सक्रिय रहा लेकिन उसके बाद से सुस्त पड़ गया है मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार पूरे बिहार में केवल 314.3 मिमी बारिश हुई है जो सामान्य से काफी कम है. बिहार के कृषि मंत्री मंगल पांडे का कहना है कि सामान्य रूप से 462.9 मिली मीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन 32% कम बारिश हुई है. इससे धान की खेती करने वाले किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है.

सुखाड़ की ओर बढ़ रहा बिहारः कम बारिश होने के कारण बिहार सुखाड़ की ओर बढ़ रहा है. राजद विधायक और पूर्व कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने सुखाड़ घोषित करने की मांग की है. राजद विधायक का कहना है कि सरकार को किसने की चिंता करनी चाहिए क्योंकि अभी तक 15% ही रोपनी हो पाई है. विधानसभा सत्र में भी सीपीआई एमल के विधायक अजीत कुशवाहा ने किसानों को बिजली 30 घंटा देने की मांग की थी.

ETV GFX. (ETV Bharat)

"धान और अन्य खरीफ फसलों को बचाने के लिए सरकार ने डीजल अनुदान देने का फैसला लिया है. उसके लिये आवेदन भी लेना शुरू हो गया है. 75 रुपए प्रति लीटर की दर से 750 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दो सिंचाई के लिए डेढ़ हजार रुपये दिया जाएगा. तेलहन और दलहन फसलों के लिए तीन सिंचाई अनुदान मिलेगा."-मंगल पांडे, कृषि मंत्री

32% सामान्य से कम बारिशःग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का असर मानसून पर पड़ रहा है. इस बार बिहार के अधिकांश जिले के किसान कम बारिश के कारण परेशान हैं. बिहार के कृषि मंत्री मंगल पांडे का कहना है कि इस वर्ष 36 लाख 7973 हेक्टेयर में धान की रोपनी की जानी है, लेकिन अभी तक 17 लाख 3802 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो पाई है. इसी प्रकार मक्का 293887 हेक्टेयर में किया जाना है लेकिन अभी तक 193018 हेक्टेयर में ही मक्का की बुआई हो पाई है.

कब तक कर सकते हैं रोपनीः धान की रोपनी 15 अगस्त तक किसान करते हैं, लेकिन 31 जुलाई तक धान रोपनी के लिए आदर्श माना जाता है. उसके बाद धान के उत्पादकता पर असर पड़ता है. इस बार मौसम विभाग की तरफ से बिहार में औसत से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की गई थी. जुलाई में मानसून की सक्रियता के बाद फिर से मानसून सुस्त हो गया है. इस वजह से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं.

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Last Updated : Jul 28, 2024, 4:16 PM IST

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