बिलासपुर के कुष्ठ रोगी भीख मांगकर कर रहे गुजर बसर, नेताओं के वादे से इनका उठा विश्वास - leprosy patients of bilaspur
बिलासपुर के कुष्ठ रोगी को शासकीय योजनाओं के लाभ के लिए भी जद्दोजहद करना पड़ रहा है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे ये कुष्ठ रोगी भीख मांगकर अपना गुजर बसर कर रहे हैं. बीते पांच सालों में किसी राजनीतिक दल ने इनकी सुध नहीं. ऐसा आरोप यहां के कुष्ठ रोगी लगा रहे हैं.
कुष्ठ रोगी भीख मांगकर कर रहे गुजर बसर (ETV bharat chhattisgarh)
बिलासपुर:बिलासपुर के चुचुहियापारा इलाके के नयापारा में कुष्ठ रोगियों की बस्ती है. यहां रह रहे कुष्ठ रोगियों को शासकीय मदद तो मिलती है, लेकिन वो मदद इनके लिए काफी नहीं है. सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली सुविधा इनके लिए कम पड़ जाती है. आलम यह है कि ये रोगी भीख मांग कर अपना जीवन बसर करते हैं. यही कारण है चुनावी माहौल में ये कुष्ठ रोगी नेताओं के वादों के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं.
आर्थिक तंगी से जूझ रहे कुष्ठ रोगी:दरअसल, बिलासपुर के नेता वोट पाने के लिए मतदाताओं से कई तरह के वादे करते हैं. नेता वोटरों को विकास के सपने दिखाते हैं, लेकिन जीतने के बाद ये नेता अपने वादे भूल जाते हैं. बिलासपुर के नयापारा के कुष्ठ रोगी बस्ती में लगभग 15 परिवार रहते हैं, इनमें 50 सदस्य है. इनमें सभी कुष्ठ रोग से ग्रसित हैं. इन रोगियों को कई तरह की सुविधाओं की जरूरत है. घर के टूटे छत, पानी के लिए नया बोरिंग के साथ ही अन्य सुविधाओं की इनको जरूरत है. बारिश में इनकी बस्ती में पानी भर जाता है, जिससे उनकी बीमारी वाले हिस्सों की स्किन फटने और सड़ने लगती है. इससे इन रोगियों को शारीरिक तकलीफ होती है. इसके अलावा अस्पताल, दवाई और जीवन यापन के लिए आर्थिक मदद की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन इन्हें शासन की योजनाओं के तहत मिलने वाली सुविधाएं कम पड़ जाती है. ऐसे में यह अब भी नेताओं के किए वादों को याद कर इसके पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं.
20 सालों से हो रही समस्या:कुष्ठ बस्ती में रहने वाले बुधराम नेताम ने ईटीवी भारत को बताया कि, "पिछले 20 सालों से वह कई समस्याओं का सामना करते आ रहे हैं. शुरुआत में जिस जगह बस्ती बनाई गई थी, वहां फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के लोग आकर उन्हें बेदखल करने के लिए परेशान करते रहे. इसके बाद जैसे-तैसे वे मानें तो बस्ती में सुविधाओं का अभाव था. कुछ सामाजिक संगठनों की ओर से हमारे लिए मकान तैयार करवाया गया. मकान में टीन का शेड लगाया गया है. अब यह सड़ने लगा है, शेड इतना सड़ गया है कि बारिश का पानी घर के अंदर आता है और हम भीग जाते हैं."
बारिश के दिनों में काफी परेशानी होती है. बारिश के दिनों में बस्ती में जलजमाव की स्थिति पैदा हो जाती है. पानी से हमारा पैर पक जाता है और पैरों में इन्फेक्शन हो जाता है. पिछले दिनों हुए चुनाव में कई नेता बस्ती में वोट मांगने आए थे. हमने उनसे अपनी समस्या बताई थी. सभी नेता हमारी समस्या सुनकर उसे पूरा करने का आश्वासन देकर गए. लेकिन वादा पूरा नहीं किया. यहां सरकारी राशन मिलता है. राशन दुकान भी दूर है. एक बार में राशन भी नहीं मिलता. -सुलोचना यादव, कुष्ठ रोगी
भीख मांग कर करते हैं गुजारा:इन कुष्ठ रोगियों की मानें तो गर्मी के दिनों में बोरिंग का पानी कम आता है. वाटर लेवल नीचे जाने की वजह से पानी की दिक्कत होती है. नया बोरिंग लगवाना चाहते हैं, इसके अलावा नए शेड में एक मकान में 12 से 15 हजार रुपए खर्च आएगा. ये कुष्ठ रोगी भीख मांगकर जीवन बसर करते हैं. ऐसे में 12 से 15 हजार रुपए का खर्च इनके लिए संभव नहीं है. शासन की योजनाओं में उन्हें केवल मुफ्त दवा मिलती है. वह भी सरकारी अस्पताल तक जाने के बाद. बस्ती में समस्याएं तो बहुत है और इन समस्याओं के विषय में भी पिछले 20 सालों से लगातार वोट मांगने आने वाले नेताओं को जानकारी दी गई है. सभी नेता चुनाव के दौरान आकर वादे करते हैं. लेकिन उनके वादे वादे ही रह गए. चुनाव जीतने के बाद कोई भी नेता वापस पलट कर नहीं आता, जिसकी वजह से इन कुष्ठ रोगियों की मूलभूत समस्या खत्म नहीं होती.
कुष्ठ रोगियों की बस्ती का अटका है विकास: बता दें कि नयापारा पहले बिल्हा विकासखंड के बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में पड़ता था, लेकिन परिसीमन के बाद ये बेलतरा विधानसभा में आ गया. वहीं, बेलतरा विधानसभा और नयापारा बस्ती के बीच बिलासपुर विधानसभा और मस्तूरी विधानसभा है. ऐसे में नेता इस क्षेत्र को भूल जाते हैं. हर बार विकास की योजना तैयार होती है, जिसमें नयापारा नक्शे से गायब होता है. यही वजह है कि नयापारा के साथ ही कुष्ठ रोगी बस्ती का विकास अटका हुआ है. यही कारण है कि इनका नेताओं के वादों से विश्वास उठ गया है.