उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

हाथियों का देश रहा है भारत, विश्व के 60 फीसदी हाथी हिंदुस्तान में: प्रो. रमन सुकुमार - VARANASI NEWS

वाराणसी में ह्यूमन वाइल्डलाइफ इंटरेक्शन: लेसन फ्रॉम इंडियन एलीफैंट पर व्याख्यान में दावा.

वाराणसी में  लेसन फ्रॉम इंडियन एलीफैंट पर व्याख्यान का आयोजन.
वाराणसी में लेसन फ्रॉम इंडियन एलीफैंट पर व्याख्यान का आयोजन. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 6, 2025, 12:35 PM IST

वाराणसी:हाथी और मनुष्य का संबंध सदियों पुराना है. भारत की बात करें तो यहां पर विश्व के 60 फीसदी हाथी पाए जाते हैं. यह बात एक काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आईआईएससी बैंगलोर के प्रोफेसर रमन सुकुमार ने की. जी हां महामना सभागार में ह्यूमन वाइल्डलाइफ इंटरेक्शन: लेसन फ्रॉम इंडियन एलीफैंट विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया था, जहां वन्य जीवों को लेकर के चर्चा की गई.

इस दौरान प्रोफेसर सुकुमार ने कहा कि जीनोम सीक्वेंसिंग से पता चला की भारत में हाथियों के 5 विशिष्ट लीनीयेज पाये जाते है और उनका माइग्रेशन उत्तर से दक्षिण में हुवा है. विश्व के 60 प्रतिशत हाथी भारत में पाए जाते है. इसलिए हाथीयों के संवर्धन के लिए भारत की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. हाथियों का रेंज एक्सपेंशन उनके हैबिटेट डिस्ट्रक्शन के कारण हो रहा है, जिसकी वजह से हाथियों का मानव के साथ आमना-सामना बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि हाथी हमारे पर्यावरण के लिए बहुत आवश्यक हैं, उनकी आवश्यकता को देखते हुए भारत सरकार द्वारा हाथी संरक्षण के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.


माइग्रेशन उत्तर से दक्षिण में हुआ:उन्होंने बताया कि विकास की दौड़ से पिछले 45 वर्षों में हाथी और मानव का टकराव कम से कम 4 गुना बढ़ गया है, जिसका प्रमुख कारण पर्यावरण में बदलाव, शहरीकरण, औद्योगीकरण है. ऐसा नहीं है कि इस दौरान हाथियों की संख्या में घटोत्तरी हुई है. इस समयावधि में हाथियों की संख्या 15000 से 30000 हो गई है, जो उनको अपने इलाके से बाहर निकलने को बाध्य कर रही है और मानव के साथ एनकाउंटर को बढ़ावा दे रही है. हाथियों में नर हाथी ज्यादा प्रभावी और ताकतवर होता है और मानव के साथ हुवे ज्यादातर कॉन्फ्लिक्ट में नर की ही भागीदारी होती है. उन्होंने आगे बताया की चिड़ियाघरों में रहने वाले हथियों में स्ट्रेस हॉर्मोन जंगल में रहने वाले हथियो से ज्यादा पाया जाता है.

कई दशक से वन्य जीव संरक्षण पर कर रहे काम:पिछले कुछ दशकों में, प्रोफेसर सुकुमार ने वन्यजीव संरक्षण पर भारत सरकार की नीति निर्धारण में बड़े पैमाने पर योगदान दिया है. वह 1992 में शुरू की गई देश की प्रमुख कांजेर्वेशन, प्रोजेक्ट एलिफेंट के प्रमुख कर्ता धर्ता थे. वह 1997-2004 के दौरान एशियाई हाथी विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष थे. प्रोफेसर सुकुमार के 200 से अधिक वैज्ञानिक शोध पत्र प्रकाशित हुए है. उन्होंने हाथी पर चार उच्चस्तरीय किताबें लिखी हैं. उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले है, जिनमें से सबसे उल्लेखनीय 2006 में जापान से अंतर्राष्ट्रीय कॉसमॉस पुरस्कार है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details