रांची:आमतौर पर किसी भी राज्य में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के समय प्रत्याशियों के नाम और गठबंधन के बीच सीटों के तालमेल का मामला सुर्खियों में रहता है. लेकिन झारखंड में अलग हवा बह रही है. यहां वेलफेयर स्कीम की बाढ़ आई हुई है. सभी दलों को आधी आबादी की चिंता सता रही है. बुजुर्ग, विधवा, दिव्यांगों के सामाजिक सुरक्षा की दुहाई दी जा रही है. राज्य सरकार की तरफ से खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह बीड़ा उठा लिया है. चुनाव प्रचार की रफ्तार में फिलहाल हेमंत सोरेन सबसे आगे दिख रहे हैं. हर वोटर तक पहुंचने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे हैं. वॉइस मैसेज के जरिए जनता से संपर्क साध रहे हैं. यह सिलसिला नवरात्रि के दौरान ही शुरू हो गया था.
प्रचार की रेस में सीएम हेमंत आगे
8 अक्टूबर को बल्क वॉइस मैसेज के जरिए सीएम हेमंत सोरेन ने झारखंड वासियों को मंईयां सम्मान योजना की याद दिलाई थी. यह सिलसिला विजयादशमी के दिन तक चला. अब 13 अक्टूबर से उन्होंने सर्वजन पेंशन योजना पर फोकस किया है. मुख्यमंत्री अपने संदेश की शुरुआत जोहार शब्द से करते हुए खुद को बेटा और भाई का हवाला देकर यह बता रहे हैं कि उनकी सरकार जरूरतमंदों को लेकर कितनी संवेदनशील है। कैसे सर्वजन पेंशन योजना का लाभ पहुंचाया जा रहा है.
केंद्र में जुमलेबाजी की सरकार- हेमंत
सीएम हेमंत सोरेन केंद्र सरकार के कामकाज को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 की रिपोर्ट का हवाला देकर कहा है कि 125 देशों की सूची में भारत 105 वें स्थान पर है. उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार के 11 साल के कामकाज को जुमलेबाजी और सफेद झूठ बताकर निशाना साधा है. सलाह दी है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स वाले मामले में केंद्र सरकार को साफगोई के साथ काम करना चाहिए था.
भाजपा की चौतरफा घेराबंदी
दूसरी, तरफ भाजपा के तमाम बड़े नेता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चौतरफा घेर रहे हैं. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी यह बता रहे हैं कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार भ्रष्टाचारी है. युवाओं के साथ छल किया है. चुनाव के समय सम्मान राशि का झांसा देकर देकर महिलाओं को गुमराह कर रहे हैं. वहीं नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी इस बात पर फोकस कर रहे हैं कि 2019 के चुनाव के समय हेमंत सोरेन द्वारा किए गए सारे वादे झूठे साबित हुए हैं. जबकि झारखंड बीजेपी के विधानसभा चुनाव प्रभारी सह केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा शासित राज्यों में चल रही लाडली बहन योजना, महतारी वंदन योजना की याद दिला रहे हैं. लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा को सबसे ज्यादा कोई खटक रहा है तो वह हैं असम के मुख्यमंत्री और भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा. क्योंकि सीएम हिमंता बांग्लादेशी घुसपैठ का हवाला देकर आदिवासियों की घट रही जनसंख्या के मसले को जोर शोर से उठा रहे हैं. सबसे खास बात है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के कभी सबसे विश्वस्त सिपाही रहे चंपाई सोरेन परंपरागत तरीके से आदिवासी समाज को भाजपा की तरफ गोलबंद कर रहे हैं.
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