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मिर्जापुर में सीता कुंड के पास भूस्खलन, विंध्य पर्वत का एक हिस्सा गिरा, मंदिर में लगे टाइल्स टूटे, पर्यटकों को हो रही भारी परेशानी - Vindhyachal Dham

मिर्जापुर में जोरदार बारिश के चलते विंध्य पर्वत का एक हिस्सा सीता कुंड के पास गिर गया. जिसके चलते भारी मात्रा में पत्थर सीता कुंड में आ जाने से मंदिर के कई हिस्सों को भारी नुकसान पहुंचा है. वहीं अबतक किसी ने सुध नहीं ली है.

लैंडस्लाइड से पर्यटकों को परेशानी
लैंडस्लाइड से पर्यटकों को परेशानी (PHOTO Source ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 27, 2024, 10:28 PM IST

सीता कुंड को खतरा (Video Source ETV BHARAT)

मिर्जापुर: यूपी के मिर्जापुर में विंध्याचल धाम के त्रिकोण मार्ग पर स्थित सीता कुंड के पास विंध्य पर्वत का एक हिस्सा भरभरा कर गिर गया है. जिसके चलते सीता कुंड पर लगे टाइल्स क्षतिग्रस्त हो गया है. वहीं सीता कुंड जाने वाले रास्ते में पत्थर गिरे होने से पर्यटकों को आने-जाने में भारी परेशानी हो रही है. बुधवार रात हल्की बारिश के बाद ये भूस्खलन हुआ है. वहीं कुंड के आस पास भारी मात्रा में पत्थर जमा होने से पुजारी और पर्यटकों को डर लग रहा है. पर्यटन विभाग की ओर से सीता कुंड संरक्षित स्थल घोषित है. बावजूद इसके पुजारी ने आरोप लगाया है कि, मौके पर कोई अधिकारी अब तक नहीं पहुंचा है.

भोलेनाथ की नगरी काशी और संगम नगरी प्रयागराज के बीच स्थित मिर्जापुर जिला भी धार्मिक स्थल के रूप में विख्यात है. मिर्जापुर के विंध्याचल धाम में स्थित है विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी का मंदिर जहां पर हर दिन हजारों की संख्या में लोग पहुंचकर दर्शन पूजन करते हैं. मां विंध्यवासिनी के साथ ही मां काली,मां अष्टभुजा और सीता कुंड को दर्शन करना नहीं भूलते है. यह सभी स्थान त्रिकोण मार्ग पर स्थित है.

सीताकुंड आने वाले पर्यटकों भूस्खलन की आशंका का डर सता रहा है. बुधवार रात हल्की बारिश के बीच विंध्य पर्वत का एक हिस्सा भरभराकर गिर पड़ा है. जिससे सीता कुंड पर लगे फर्श की टाइल्स क्षतिग्रस्त हो गई है. कुंड पर पहुंचने वाले भक्तों को पहाड़ के पत्थरों के बीच दर्शन करना पड़ रहा है. सीता कुंड और मंदिर के चारों तरफ पत्थर के टुकड़े बिखरे पड़े है. बताया जा रहा है कि, पहली बार इस तरह का पत्थर टूट कर पहाड़ों से सीता कुंड और मंदिर तक पहुंचा है. गनीमत रही कि, रात होने के कारण कोई पर्यटक और पुजारी नहीं था, नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था.

कहा जाता है कि, त्रेता युग में विंध्याचल धाम के त्रिकोण पथ पर माता सीता ने जहां विश्राम किया था, उस स्थल को आज सीता कुंड के नाम से जाना जाता है. इस स्थान को पर्यटन विभाग ने संरक्षित किया हैं. पर्यटकों ने कहा कि, मार्ग में छोटे छोटे पत्थर रखे होने से आने जाने में परेशानी हो रही है. सीता कुंड के पुजारी राजेश दूबे ने बताया कि, हल्की बारिश होने के चलते रात में पहाड़ का पत्थर टूट कर सीता कुंड और राम सीता मंदिर के पास तक बिखर गया है. चैत शारदीय नवरात्रि के दिनों में अगर भूस्खलन होता तो बड़ा हादसा हो सकता था. क्योंकि काफी संख्या में साधक कुंड के पास अपना डेरा डालकर साधना करते हैं. गनीमत रही की गुप्त नवरात्रि के दौरान रात में पर्वत का हिस्सा ढहने से कोई जनहानि नहीं हुई. कुंड के पास भक्तों की सुविधा के लिए लगाई गई टाइल्स क्षतिग्रस्त हो गई. मंदिर जाने वाले मार्ग और आस पास पत्थरों का ढेर पड़ा है. अभी तक कोई भी अधिकारी सुध लेने नहीं आया है.

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