देखें यह रिपोर्ट. (ETV BHARAT) पटनाःपिछले कुछ दिनों से इस चर्चा ने जोर पकड़ रखा था कि पटना के बेऊर जेल में बंद बाहुबली अनंत सिंह को पैरोल पर रिहा किया जा सकता है. शनिवार को इस चर्चा की पुष्टि भी हो गई और 5 मई रविवार को अनंत सिंह 15 दिनों के पैरोल पर बाहर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि अंनत की रिहाई के कई राजनीतिक निहितार्थ हैं.
रिहाई के बाद सीधे अपने गांव जाएंगे अनंतःखबर है कि बेऊर जेल से रिहाई के बाद अनंत सिंह सीधे अपने गांव लदमा जाएंगे. पैतृक जमीन के बंटवारे को लेकर व्यस्त रहेंगे, लेकिन जो अंदर की खबर है वो ये है कि अनंत की रिहाई के पीछे मुंगेर लोकसभा का चुनाव है.
'समाज में जाएगा गलत संदेश': समाजसेवी वीरेंद्र कहते हैं कि "90 के दशक का दौर लौटना अच्छे संकेत नहीं है. बीच में कुछ सालों के लिए जरूर बाहुबलियों की एंट्री पर लगाम लगी थी लेकिन एक बार फिर सियासी दल धनबल और बाहुबल को प्रश्रय देने लगे हैं. इससे समाज में अच्छा संदेश नहीं जा रहा है."
मुंगेर से चुनावी मैदान में हैं ललन सिंहः दरअसल, मुंगेर लोकसभा सीट पर जेडीयू के बड़े नेता ललन सिंह चुनावी मैदान में हैं. पिछले चुनाव में अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को हरानेवाले ललन सिंह को घेरने के लिए आरजेडी नेता लालू प्रसाद ने बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी को चुनावी मैदान में उतारा है.
ललन और जेडीयू की प्रतिष्ठा दांव परः बाहुबली अशोक महतो 17 साल की सजा काटकर जेल से निकले हैं. जेल से निकलने के बाद उन्होंने खरमास में अनीता देवी से विवाह किया. जिसके बाद लालू प्रसाद ने अनीता देवी को मुंगेर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतार दिया.
जातीय समीकरण में उलझे ललन सिंहःअशोक महतो खुद तो धानुक जाति से आते हैं लेकिन उनकी पत्नी कुर्मी जाति से आती है. मतलब लालू प्रसाद यादव दोनों वोट बैंक को एक ही साथ साधना चाहते हैं. रणनीति के तहत चुनाव से ठीक पहले लालू प्रसाद यादव ने अशोक महतो को शादी रचाने का निर्देश दिया और फिर खेल शुरू हुआ.
अनंत के साथ से बनेगी बातःलालू के इस चक्रव्यूह को भेदने के लिए लोहा ही लोहा को काटता है के सिद्धांत पर चलते हुए 'अनंत' प्लान तैयार किया गया और बाहुबली अनंत सिंह की पैरोल पर रिहाई इसी प्लान का हिस्सा माना जा रहा है. रिहाई का समय भी इस बात की तस्दीक भी कर रहा है. 5 मई को रिहा हो रहे अनंत सिंह 18 मई तक जेल से बाहर रहेंगे, वहीं 13 मई को मुंगेर लोकसभा सीट पर वोटिंग है. माना जा रहा है कि इस दौरान अनंत सिंह अपने प्रभाव वाले इलाकों में ललन सिंह के लिए काम करेंगे.
'मुंगेर में अब बाहुबलियों की जंग':राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि "मुंगेर की लड़ाई अब दो बाहुबलियों की लड़ाई हो गई है. एक तरफ अशोक महतो पिछड़ी जाति के बाहुबली हैं तो दूसरी तरफ अनंत सिंह अगड़ी जाति के बाहुबली हैं. दोनों अपनी ताकत आजमाएंगे. अगर ललन सिंह बड़े मतों के अंतर से चुनाव जीते हैं तो उनके लिए राजनीति के कई विकल्प खुल जाएंगे."
ईटीवी भीरत GFX. (ETV BHARAT) भूमिहार वोट बैंक पर है अनंत का बड़ा प्रभावःबाहुबली अनंत सिंह और अशोक महतो के बीच पुरानी अदावत है. मुंगेर लोकसभा सीट पर अनंत सिंह की भूमिका भी अहम मानी जाती है. फिलहाल अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी मोकामा से विधायक हैं. बाढ़ और मोकामा को अनंत सिंह का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है. इसके अलावा पूरी लोकसभा सीट के भूमिहार वोट बैंक पर भी अनंत सिंह बड़ा असर डाल सकते हैं.
ललन और अनंत के बीच करीबी रिश्तेः वैसे 2019 के लोकसभा चुनाव में ललन सिंह ने अनंत सिंह की पत्नी को ही हराया था, बावजूद इसके ललन सिंह और अनंत सिंह के बीच करीबी रिश्ते हैं.बिहार विधानसभा में जब विश्वास मत पर वोटिंग हो रही थी तब ललन सिंह के कहने पर ही अनंत सिंह ने अपनी पत्नी और आरजेडी विधायक नीलम देवी को एनडीए के पक्ष में वोटिंग कराई थी.
क्या देर से तैयार हुआ 'अनंत' प्लान ?:वरिष्ठ पत्रकार कुलभूषण गोपाल का मानना है कि "एनडीए ने बाहुबली को मैदान में उतरने की तैयारी की है लेकिन शायद देर हो गई है. इस मामले में लालू प्रसाद यादव ने अशोक महतो को उतार कर बढ़त ले ली है, लेकिन चुनाव में बाहुबलियों की एंट्री बिहार की सियासत के लिए शुभ नहीं है."
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