सवाई माधोपुर : जन जन के आराध्य देव रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश जी का लक्खी मेला रणथंभौर में 6 सितंबर की सुबह से शुरू होगा. रणथंभौर में बड़ी तैयारी को अंजाम दिया जा रहा है. मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए दर्जनों निःशुल्क भंडारे लगाए जा रहे हैं. पग-पग पर भंडारे लगाने के लिए भंडारा संचालक जुटे हुए हैं. लगभग 14 किलोमीटर का सफर श्रद्धालु पैदल तय करते हैं. इस बार बारिश अधिक होने से रणथंभौर के सभी जलाशय लबालब भरे हुए हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं की सुरक्षा की देखते हुए जलाशयों पर बैरिकेडिंग की गई है. साथ ही मेला परिसर में सिविल डिफेंस और एसडीआरएफ की टीम भी तैनात रहेगी. मंदिर में सुगमता से दर्शन हो सके, इसका भी खास खयाल रखा जा रहा है.
एसडीएम अनिल चौधरी ने बताया कि 6 से 8 सितंबर के बीच लक्खी मेला आयोजित किया जाएगा. इस मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यवस्थाओं को बेहतर बनाया गया है. त्रिनेत्र गणेश मंदिर के प्रधान सेवक हिमांशु गौतम ने बताया कि रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है. मंदिर रणथंभौर दुर्ग में स्थित है. त्रिनेत्र गणेश को लेकर लोगों में कई प्रकार किंवदंतियां भी प्रचलित है. कई लोगों का मानना है कि भगवान गणेश की इस प्रतिमा कि उत्पत्ती अपने आप हुई थी. वहीं, कई लोगों का मानना है कि भगवान शिव ने जब बाल्य अवस्था में गणेश जी का सिर काटा था तो वो सिर यहा आकर गिरा था. तब से ही यहा भगवान गणेश के शीश की पूजा की जाती है. साथ ही कुछ लोगों का कहना है कि जब भगवान कृष्ण का विवाह हुआ था, तब भगवान गणेश अपना विवाह नहीं होने को लेकर नाराज हो गए थे और अपनी मुसा सैना के सहयोग से भगवान कृष्ण की बारात के रास्ते में बाधाएं उत्पन्न कर दी थी. तब कृष्ण ने रणथम्भौर की ही रिद्धी-सिद्धी के साथ भगवान गणेश का विवाह सम्पन्न करवाया था. यही कारण है इस मंदिर में भगवान गणेश रिद्धी-सिद्धी के साथ विराजमान है.