पटना:यह सच है कि बिहार के लिए टैक्स कलेक्शन एक बड़ी चुनौती रही है, जबकि राज्य ने 6000 करोड़ रुपये का डारेक्ट टैक्स दिया है. इसका कारण शायद राज्य में औद्योगिक और व्यापारिक विकास का कम होना हो सकता है. जिससे टैक्स कलेक्शन में उतनी वृद्धि नहीं हो पाई है. डायरेक्ट टैक्स में भले ही पीछे है लेकिन अच्छी बात यह है कि बिहार का जीएसटी कलेक्शन देश के टॉप राज्यों में रहा है.
बिहार में औद्योगिकरण नहीं होने से बिहार फिसड्डी:डारेक्ट टैक्स प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो 8 सालों में यह लगातार घटता जा रहा है. 2016-17 में भारत के राष्ट्रीय आय में बिहार का योगदान 0.77% था लेकिन 2023-24 में यह घटकर 0.34% हो गया. अर्थशास्त्री की माने तो बिहार से झारखंड बंटवारा के बाद इंडस्ट्री झारखंड में चली गई. उसके कारण भी बिहार योगदान देने मामले में पीछे है.
गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स( GST): 2017 में जब जीएसटी लागू किया गया था तो उस समय बिहार का कुल राजस्व संग्रह 17236 करोड़ रुपये था. अब जीएसटी संग्रह में बिहार देश के शीर्ष पांच राज्यों में शामिल हो गया. पिछले वित्तीय वर्ष में 18% की जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी हुई थी जबकि राष्ट्रीय औसत 13% के करीब था. वाणिज्य कर विभाग के सचिव सह राज्य कर आयुक्त संजय कुमार ने यह जानकारी दी की 2024-25 में 42500 करोड़ रुपए राजस्व संग्रह का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. अगस्त 2024 तक 15463 करोड़ की राजस्व की वसूली हो चुकी है.
देश के जीडीपी में टॉप 5 राज्य: देश की जीडीपी में टैक्स के माध्यम से योगदान देने वाले टॉप राज्यों में महाराष्ट्र 13.30 फीसदी के साथ नंबर एक पर है. इसके बाद 8.90 प्रतिशत का योगदान देने वाला तमिलनाडु दूसरे स्थान पर है. तीसरे स्थान पर कर्नाटक 8.20 फीसदी और चौथे स्थान पर गुजरात 8.10 फीसदी का योगदान दे रहा हैं. पांचवें स्थान पर उत्तरप्रदेश है जो 8.40 % का योगदान दे रहा है.
डायरेक्ट टैक्स में राष्ट्रीय आय में योगदान बिहार का कम:बिहार ने पिछले 8 वर्षों में भारत की राष्ट्रीय आय में 51692.4 करोड़ का योगदान दिया है. जो लगभग 2.8% के करीब है. 2016-17 से 2023-24 तक के आंकड़ों को देखें तो बिहार ने 6519.42 करोड़ का योगदान केंद्र सरकार को दिया है. 2016-17 से लेकर हर साल 2023- 24 तक बिहार का योगदान कोरोना काल को छोड़ दें तो हर साल 6000 करोड़ से अधिक रहा है. कोरोना काल में 2020-21 में केवल 5381.96 करोड़ टैक्स केंद्र सरकार को बिहार ने दिया था.
"बिहार में औद्योगिकरण नहीं हुआ सर्विस सेक्टर का विकास नहीं हुआ है. कृषि को उद्योग से जोड़ने पर जो काम होना चाहिए वह नहीं किया गया है और इन सब के कारण ही डायरेक्ट टैक्स विकसित राज्यों की तरह यहां नहीं बढ़ा."- प्रोफेसर विद्यार्थी विकास, विशेषज्ञ, एएन सिंह इंस्टिट्यूट
हर साल केंद्र से अब अधिक राशि मिल रही है:वहीं केंद्रीय करों में भी बिहार को हर साल केंद्र से अब अधिक राशि मिल रही है फाइनेंस कमिशन केंद्रीय करों में राज्यों की क्या हिस्सेदारी होगी. यह तय करता है. 14वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32% से बढ़कर 42% तक करने की सिफारिश की थी. वहीं 15 वें वित्त आयोग ने जो 2021-2026 तक के लिए केंद्रीय करों में 41% राज्यों को हिस्सेदारी केंद्रीय करो में देने की सिफारिश की. वित्त आयोग के सिफारिश के अनुसार ही केंद्र सरकार राज्यों को हिस्सेदारी देती है.
आबादी के हिसाब मिल रही कम राशि: वहीं ए एन सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोफेसर विद्यार्थी विकास का कहना है कि बिहार को आबादी के हिसाब से केंद्र से कम राशि मिल रही है.आबादी का वैटेज जिस हिसाब से मिलना चाहिए नहीं दिया गया और हर साल बिहार को 1 लाख करोड़ की राशि का नुकसान हो रहा है. यदि अधिक राशि मिलेगी तो शिक्षा स्वास्थ्य और बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्रों में बेहतर काम बिहार में हो सकता है.