पटना:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस ने पार्टी को मजबूती देने के लिए नए राज्य प्रभारी की नियुक्ति की है. मोहन प्रकाश की जगहकृष्णा अल्लावरु को बिहार कांग्रेस का नया प्रभारी बनाया गया है. उनको पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का बेहद करीबी माना जाता है. उनके सामने न केवल संगठन को मजबूती देना बड़ी चुनौती होगी, बल्कि आरजेडी के साथ सीट शेयरिंग पर डील करना भी आसान नहीं होगा.
बिहार कांग्रेस के प्रभारी बने कृष्णा अल्लावरु:अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी ने भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी रहे कृष्णा अल्लावरु को बिहार कांग्रेस का प्रभारी नियुक्त किया है. देर रात कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के सी वेणुगोपाल ने नए प्रभारी की नियुक्ति का पत्र जारी किया है. बिहार समेत कुल 12 राज्यों के प्रभारी बदले गए हैं.
कौन हैं कृष्णा अल्लावरु?: बिहार कांग्रेस के नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरु कांग्रेस के युवा चेहरा रहे हैं. राहुल गांधी के करीबियों में इनकी गिनती होती है. वे एआईसीसी के जॉइंट सेक्रेटरी के साथ-साथ युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी भी रह चुके हैं. वह सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक पार्टी की नीतियों को लेकर मुखर रहे हैं.
मोहन प्रकाश के काम की भी तारीफ:बिहार कांग्रेस के प्रभारी के रूप में वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश के कार्यों की तारीफ की गई. 2023 दिसबंर में मोहन प्रकाश को भक्त चरण दास की जगह बिहार कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था. वह लगातार सक्रिय थे. कई दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल कराने में भी वह सफल रहे थे. अब उनकी जगह कृष्णा अल्लावरु को बिहार कांग्रेस का प्रभारी नियुक्त किया गया है.
'बिहार कांग्रेस होगी मजबूत':प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के रूप में कृष्णा अल्लावरु की नियुक्ति पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने उन्हें शुभकामना दी है. उन्होंने कहा कि चुनावी साल में उनकी नियुक्ति से पार्टी को मजबूती मिलेगी.
कृष्णा अल्लावरु के सामने बड़ी चुनौती:कृष्णा अल्लावरु को ऐसे समय में बिहार कांग्रेस का प्रभार मिला है, जब कुछ ही महीने बाद राज्य में विधानसभा का चुनाव होना है. बेहद कम समय में न केवल उनको पार्टी और संगठन को मजबूती देने पर काम करना होगा, बल्कि आरजेडी के साथ सीट बंटवारे पर भी सांमजस्य बिठाना होगा. 2020 चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटें मिली थी लेकिन सिर्फ 19 सीटों पर जीत मिली थी. इस बार चर्चा है कि आरजेडी 40 से अधिक सीट देने के पक्ष में नहीं है. ऐसे में लालू यादव और तेजस्वी यादव से तालमेल बनाना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी.