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विजय हजारे ट्रॉफी के लिए सत्यम दुबे ने छत्तीसगढ़ टीम में बनाई जगह, अब भारत का सबसे तेज गेंदबाज बनने का सपना

छत्तीसगढ़ के छोटे से शहर कोरबा का सत्यम दुबे भारत में उभरता हुआ तेज गेंदबाज बनने की ओर अग्रसर हैं. हाल ही में सत्यम दुबे ने विजय हजारी ट्रॉफी खेली. अब आईपीएल में खेलने का सपना है. Satyam Dubey Chhattisgarh team

Vijay Hazare Trophy
सत्यम दुबे विजय हजारे ट्रॉफी

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 29, 2024, 2:38 PM IST

Updated : Mar 1, 2024, 7:45 PM IST

सत्यम दुबे विजय हजारे ट्रॉफी

कोरबा:छोटे शहर के टेस्ट गेंदबाज सत्यम दुबे ने बड़ी छलांग लगाई है. भारत के डोमेस्टिक फॉर्मेट में एज ग्रुप के सभी कॉम्पटीशन में सत्यम ने छत्तीसगढ़ को रिप्रेजेंट किया है. हाल ही में विजय हजारे ट्रॉफी में भी छत्तीसगढ़ की ओर से खेलते हुए सत्यम ने प्रदेश में अच्छी खासी पहचान बना ली है. इस दौरान ईटीवी भारत से सत्यम दुबे ने अपने अब तक के सफर के बारे में खास बातचीत की.

डोमेस्टिक क्रिकेट की एज ग्रुप में सभी प्रतियोगिताएं खेली : सत्यम दुबे से ETV भारत ने उनके करियर के बारे में बात की. सत्यम ने बताया "मैंने अब तक डोमेस्टिक क्रिकेट में भारत में एज ग्रुप की हर कॉम्पटीशन में हिस्सा लिया है. फिर चाहे वह कूच बिहार ट्रॉफी हो या फिर हाल ही में खेले गए सीके नायडू टूर्नामेंट. सीके नायडू, अंडर 23 एज ग्रुप में भारत का डोमेस्टिक क्रिकेट होता है. जो 4 दिन के डेज फॉर्मेट में खेला जाता है. इस साल विजय हजारे ट्रॉफी में मैने अपने लिस्ट ए करियर का भी डेब्यू किया है."

ट्रिपल सेंचुरी लगाने वाले करुण नायर से लेकर उमेश यादव के साथ खेले:सत्यम ने आगे बताया "डोमेस्टिक क्रिकेट में यह सीजन काफी अच्छा रहा. वीरेंद्र सहवाग के बाद टेस्ट मैच में भारत की ओर से ट्रिपल सेंचुरी लगाने वाले करुण नायर को गेंदबाजी की. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके उमेश यादव के साथ समय बिताने का मौका मिला. जिन्होंने मुझे काफी अच्छे टिप्स दिए, बताया कि एक तेज गेंदबाज की ट्रेनिंग किस तरह की होनी चाहिए और कितनी मेहनत करनी पड़ती है. करुण नायर को गेंदबाजी करते हुए, उस मैच में मैंने काफी प्रेशर हैंडल किया. जो मेरे लिए काफी अच्छा अनुभव रहा. हमारी रूटीन में ट्रेनिंग और स्ट्रेंथ पर फोकस करना पड़ता है. चार दिनों तक लगातार क्रिकेट खेलने के लिए यह जरूरी है."

पिता का सपना था कि मैं क्रिकेटर बनूं :सत्यम के पिता गजानन साहू जिले के गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल मुढाली में शिक्षक हैं जबकि मां हाउसवाइफ हैं. सत्यम ने क्रिकेट खेलने और कोरबा जैसा छोटे शहर से निकलकर अपनी पहचान बनाने के सवाल पर कहा कि "मेरे लिए यह काफी बड़ी बात है. खासतौर पर मेरे परिवार के लिए यह गर्व का विषय है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं क्रिकेट में करियर बनाऊंगा. मेरे पिता का यह सपना था कि मैं क्रिकेट खेलूं, जो कुछ हूं पिता की वजह से ही हूं. उन्होंने मुझे प्रेरित किया."

140 किलोमीटर की रफ्तार से फेंकी गेंद, आईपीएल और भारतीय टीम अगला लक्ष्य : सत्यम ने बताया "मैंने सबसे तेज गेंद 140 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा की रफ्तार से फेंकी है. अभी मैं अपनी रफ्तार पर काम कर रहा हूं. अंतरराष्ट्रीय स्तर के बल्लेबाजों को गेंदबाजी करना काफी अच्छा अनुभव रहा. विजय हजारे ट्रॉफी खेलने के दौरान मुझे आईपीएल ट्रायल्स के लिए भी कॉल आया था लेकिन तब मेरे मैच चल रहे थे, इसलिए मैं जा नहीं सका. मेरा अगला लक्ष्य आईपीएल में खेलने का है. मैं भारत का सबसे ज्यादा तेज गति से गेंद फेंकने वाला गेंदबाज बनना चाहता हूं."

खुद पर भरोसा होना सबसे जरूरी :छोटे शहर से निकलकर बड़ी पहचान बनाने का ख्वाब देखने और क्रिकेट के क्षेत्र में अपना करियर बनाने की इच्छा रखने वाले युवाओं को सत्यम कहते हैं ठखुद पर भरोसा रखना सबसे जरूरी है. मैंने कभी ये नहीं सोचा कि मैं कोरबा जैसे छोटे शहर से हूं. इसलिए बड़े लेवल पर नहीं खेल सकता. यदि कोरबा में रहकर मैं इतना कर सकता हूं. तो कोई भी युवा जरूर ये कर सकता है."

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Last Updated : Mar 1, 2024, 7:45 PM IST

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