गोड्डाः लगातार चौथी जीत, मंत्री बनने की थी प्रबल दावेदारी लेकिन इस बार भी निशिकांत दुबे के नसीब में इंतजार ही रहा. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे को मंत्री नहीं बनाया गया है. जबकि झारखंड से दो लोगों को मोदी कैबिनेट में जगह मिली है.
सांसद के साथ-साथ गोड्डा लोकसभा के लोगों को लगा था कि इस बार मोदी कैबिनेट में उनके प्रतिनिधि को जगह मिलेगी. ऐसा हुआ नहीं. लोगों का इंतजार इंतजार ही रह गया. मोरारजी देसाई के बाद किसी भी प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल में गोड्डा के सांसद को जगह नहीं मिली है. वही इस सिलिसला इस बार भी चलता रहा.
क्यों मिलनी चाहिए थी मंत्रिमंडल में जगह
दरअसल निशिकांत दुबे झारखंड के इकलौते सांसद हैं, जिन्होंने लगातार चौथी बार जीत दर्ज़ किया है. ऐसा किसी ने झारखंड निर्माण के बाद करनामा नहीं किया है. सवर्ण वोटरों को भाजपा का कोर वोटर माना जाता है. अगर निशिकांत दुबे को मंत्री बनाया जाता तो सवर्णों में सकारात्मक संदेश जाता.
क्षेत्र में किया काम
निशिकांत दुबे के कॉर्पोरेट घराने से बेहतर ताल्लुकात रहे हैं. वे खुद भी कॉर्पोरेट क्षेत्र मे बड़े ओहदे पर काम कर चुके है. गोड्डा लोक सभा क्षेत्र में अडानी पावर प्लांट का आना, या फिर रेल प्रोजेक्ट की मंजूरी दिलाना किसी भी सरकार मे, फिर एम्स और एयरपोर्ट को देवघर लाना बड़ी उयलब्धि रही है. ऐसे मे गोड्डा के लोगो को उम्मीद थी कि वे केंद्र मे मंत्री बनेंगे तो औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा. जातिगत गणित में पिछड़ने के बावजूद निशिकांत दुबे की जीत इस बात के संकेत हैं कि उनके विकास के दावे को लोगों ने माना.
संथाल की जनता को मिलता संदेश
जिस संथाल ने नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा परेशान किया, पीएम मोदी के संथाल के क्लीन स्वीप के सपना हर बार तोड़ा, इस बार तो मोदी के संथाल दौरे के बाद भी दुमका की सीट झामुमो ने छीन ली. ऐसे मे संथाल से निशिकांत दुबे को मंत्री बनाने पर एक बेहतर संदेश लोगों के बीच जाता.
आस-पास के क्षेत्रों में भी पड़ता असर
सांसद निशिकांत दुबे को मंत्रिमंडल में जगह मिलने से बिहार के बांका, भागलपुर जैसे लोक सभा क्षेत्र भी प्रभावित होते. वे खुद भागलपुर के रहने वाले हैं. उनकी हर परियोजना भागलपुर और बांका को छूती है और प्रभावित करती है. उन्होंने कहा भी है कि अगली रेल को अपने घर पीरपेंती, बटेश्वर स्थान होते हुए नवगाछिया में मिलाने की है.