रांची: झारखंड में एक बार फिर मुख्यमंत्री बदलने की प्रबल संभावना के बीच रांची के कांके स्थित मुख्यमंत्री आवास पर सत्ताधारी विधायक दल की बैठक चल रही है. सियासत की गलियारों में यह चर्चा है कि आज सत्ताधारी विधायक दल की बैठक में विधायकों से इस बात की रायशुमारी हो रही है कि क्या राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर फिर से सत्ता की बागडोर हेमंत सोरेन के हाथों में सौंपना बेहतर रहेगा या फिर चंपाई सोरेन के मुख्यमंत्री रहते ही INDIA महागठबंधन चुनावी समर में उतरे.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कुछेक विधायक ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री फेस बनाकर 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को परास्त किया गया था. ऐसे में अब जब पांच महीने बाद हेमंत सोरेन जमानत पर बाहर हैं तो नेतृत्व उन्हें सौप देना चाहिये. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने सहयोगी कांग्रेस को आगे कर तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की तैयारी कर ली है. इसका जवाब आज शाम तक मिलने की उम्मीद है.
झारखंड के वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार जितेंद्र कुमार कहते हैं कि जो बातें सामने आ रही हैं उसके अनुसार राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के प्रबल आसार हैं. कुछ लोग यह भी दबी जुबान में कह रहे हैं कि कांग्रेस की इच्छा हेमंत को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने की है. इसके पीछे की वजह यह है कि चंपाई सोरेन कांग्रेस के नेताओं को उतनी तवज्जों नहीं दे रहे हैं जितनी हेमंत दिया करते थे. लेकिन विधानसभा चुनाव के मुहाने पर राज्य खड़ा है, ऐसे में क्या नेतृत्व परिवर्तन का अच्छा मैसेज जनता में जाएगा. इसी सवाल पर मंथन के लिए विधायकों के साथ चर्चा हो रही है.
तो...फिर नया मुख्यमंत्री कौन ? हेमन्त या कल्पना
अगर राज्य में पांच महीने बाद नेतृत्व परिवर्तन होता है तो नया मुख्यमंत्री कौन ? इस काल्पनिक सवाल के जवाब में वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि कल्पना या फिर हेमंत, दोनों में से कोई भी. ईटीवी भारत से सतेंद्र सिंह कहते हैं कि हेमंत सोरेन के जेल में रहने के दौरान जिस तरह से अकेले कल्पना सोरेन ने स्टार प्रचारक के रूप में भाजपा के खिलाफ मोर्चा संभाला. रांची, दिल्ली और मुम्बई तक में INDIA ब्लॉक की महारैली में मोदी और भाजपा पर हमला बोला और झारखंड मुक्ति मोर्चा के लोकसभा सदस्यों की संख्या 01 से 03 कराने में अपनी भूमिका निभाई, उससे यह तो साफ है कि कल्पना भले ही राजनीति में नई हों लेकिन उनकी राजनीतिक समझ किसी परिपक्व राजनेताओं जैसी है.