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हल्के दर्द में भी पेनकिलर खाने की आदत है तो हो जाएं सावधान! नहीं तो हो सकती है ये बीमारियां - Side Effects Of Painkillers

Disadvantages Of Painkillers: आजकल तनाव, भागदौड़ और काम के बोझ से लोगों को अक्सर सिर दर्द या बदन दर्द की परेशानी होती है. दर्द होने के बाद लोग घर पर ही पेनकिलर लेकर राहत की सांस लेते हैं. कभी-कभी एक गोली से आराम नहीं मिलता है तो लोग एक दिन में 2-3 पेनकिलर खा लेते हैं, लेकिन आपकी ये पेनकिलर खाने की आदत आपको कई बीमारियों का शिकार बना रही है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

SIDE EFFECTS OF PAINKILLERS
पेनकिलर के नुकसान (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 18, 2024, 8:37 AM IST

पटना: क्या जरा सी दर्द पर आप पेनकिलर खा ले रहे हैं. अगर ऐसी आदत बन गई है तो कई गंभीर बीमारियों से आप पीड़ित हो जाएंगे. आजकल भाग दौड़ भरी जिंदगी में अगर किसी को हल्का सिर में दर्द हो रहा है अथवा बदन में दर्द हो रहा है तो कई लोग पेन किलर दवाओं का सेवन कर ले रहे हैं. लेकिन अगर यह आदत बन गई है तो सावधान हो जाइए, क्योंकि इस वजह से शरीर में कई प्रकार के गंभीर बीमारी के होने के चांसेस कई गुना बढ़ जाते हैं.

पेनकिलर कैसे पहुंचाता है किडनी को नुकसान: पटना के सत्यदेव सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर राजेश रंजन ने बताया कि पेनकिलर दावों का सबसे अधिक नुकसान शरीर में किडनी पर होता है. इसके अलावा कई मामलों में यह लीवर पर भी असर डालता है. ऐसे में पेनकिलर का बिना चिकित्सक के परामर्श के सेवन नहीं करें.

"विशेष परिस्थिति में पेरासिटामोल अथवा ट्रामाडोल जैसे पेन किलर दावों का इस्तेमाल किया जा सकता है जिनका साइड इफेक्ट बहुत कम होता है. हांलाकि बिना चिकित्सीय परामर्श के कंबिफ्लाम, ब्रूफेन जैसे दवाइयों को खाना किडनी की सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है."- डॉ. राजेश रंजन, यूरोलॉजिस्ट, सत्यदेव सुपर स्पेशलिटी अस्पताल

ज्यादा पेनकिलर खाने पर होंगी ये परेशानी: डॉ राजेश रंजन ने बताया कि लंबे समय तक पेन किलर खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो सकती है. पेन किलर अधिक खाने से कब्ज, सूजन, पेट फूलना, जी मचलना जैसी शिकायत शरीर में हो सकती है, जो तत्काल नजर आती है. इसके अलावा किडनी और लीवर से संबंधित जो बीमारियां होती हैं जिसका लॉन्ग टर्म इफेक्ट देखने को मिलता है.

पेनकिलर के नुकसान (ETV Bharat)

कराएं एलएफटी और केएफटी: बता दें कि चिकित्सक मरीज की बॉडी और उसकी हिस्ट्री को देखते हुए पेन किलर प्रिसक्राइब करते हैं. यदि किसी को विशेष परिस्थिति में लगातार महीना दो महीना अथवा इससे अधिक पेन किलर खाना पड़ रहा है, तो ऐसे व्यक्ति को प्रत्येक 6 महीने पर लिवर की क्षमता का पता लगाने के लिए एलएफटी और किडनी की क्षमता का पता लगाने के लिए केएफटी करा लेनी चाहिए.

दर्द से कैसे मिलेगी राहत: हल्का दर्द है तो एक्सरसाइज, मेडिटेशन से कोशिश कर इसे कम कर लें. इसके अलवा बिना दवाई के ही दर्द को बर्दाश्त करते हुए दर्द कम होने का इंतजार करें. वहीं दर्द अधिक है और काम नहीं हो रहा है तो चिकित्सीय परामर्श के बाद ही पेनकिलर का इस्तेमाल करें. पेनकिलर के तौर पर पेरासिटामोल और ट्रामाडोल जैसे दवाएं काम हानिकारक है, जिसका इस्तेमाल हो सकता है.

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