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छठ पूजा का नाम सुनते ही हम बिहार के लोग इमोशनल क्यों हो जाते हैं?

बिहार का कोई भी व्यक्ति किसी भी राज्य में रहे, लेकिन छठ पूजा पर घर जरूर लौटता है. आखिर क्या हैं हमारे लिए छठ?.

CHHATH PUJA 2024
महापर्व छठ पर बिहार आ रहे लोग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 22, 2024, 6:16 PM IST

Updated : Oct 23, 2024, 1:50 PM IST

पटना: अगर कोई हमसे पूछता है कि छठ आपके लिए क्या है तो हम उन्हें नहीं समझा पाते हैं. हम अपने इमोशन को शब्दों के माध्यम से उनको एक्सप्लेन नहीं कर पाते. हम जानते हैं छठ के बारे में वही लोग समझ पाएंगे, जिन लोगों ने बचपन से अपने घर में छठ पूजा होते हुए देखा है.

छठ से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात को वही समझ पाएगा, जिसने नहाय-खाय के दिन सुबह से दाल-भात और लौकी की सब्जी बनते हुए देखा है. ये वही समझ पाएगा, जो खरना वाले दिन मोहल्ले में बोलहटा (लोगों को प्रसाद खाने के लिए निमंत्रण) देने गया होगा कि 7 बजे तक आ जाइयेगा.

CHHATH PUJA 2024
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

छठ के दिन दोपहर के ढाई बजे से ही जिस घर में मां चिल्लाना शुरू कर देती है कि जल्दी-जल्दी नहाओ. कपड़ा पहनो, घाट जाना है, दउरा उठाना है. छठ के महत्व को वही समझ सकता है , जिसने अपने घर में ठेकुआ का लोऊ बनाया हो या बनते देखा हो.

CHHATH PUJA 2024
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

छठ का मतलब तो वही समझ सकता है, जो नवंबर की ठंड में भी सुबह के 3 बजे नहा-धोकर घाट पर जाने के लिए रेडी हो जाए. बचपन के दिनों में जब दिवाली में फोड़ने के लिए पटाखे आते थे, तब उन पटाखों में से कुछ पटाखे हम इसलिए बचा लेते थे ताकि छठ में घाट पर जाकर फोड़ेंगे.

छठ की हर बात खास होती है. पापा, चाचा या मौसी के साथ घाट की सफाई क्या होती है. घाट छेकाना क्या होता है, ये सब कुछ तो वही लोग समझ सकते हैं, जो छठ खत्म होने के बाद अपने काम पर हैदराबाद लौटते हुए अपने ऑफिस के दोस्तों के लिए बैग में ठेकुआ पैक कर ले गया हो.

दूसरे शहर में नौकरी करने वाला हर वो शख्स, हर वो इंसान छठ को समझ पाएगा, जिसने चार महीने पहले से ही छठ का टिकट कटा लिया हो और छठ की छुट्टी एप्लाई कर रखी है. फिर भी डर रहा हो कि टिकट कंफर्म होगी कि नहीं, बॉस से छुट्टी मिलेगी या नहीं?.

'छठी मैया का आता है बुलावा': बिहार के बड़ी संख्या में लोग बिहार से बाहर दूसरे प्रदेश अथवा विदेशों में रहते हैं. वहीं काम करते हैं और परिवार के साथ रहते हैं. लेकिन छठ एक ऐसा पर्व है जो बिहारियों को बिहार से बाहर का होने नहीं देता और छठ के समय एक बार बिहार बुला ही लेता है. प्रवासी बिहारी कहते हैं कि यह बिहार नहीं बुलाता बल्कि छठी मैया बुलाती हैं.

बड़ी संख्या में बिहार आते हैं लोग: छठ का समय जैसे-जैसे नजदीक आने लगता है, बिहार के लोगों को अपने गांव-घर से दूर एक पल भी गुजारा करना अच्छा नहीं लगता. सभी इस कोशिश में रहते हैं कि कौन सी गाड़ी, कौन सा ट्रेन और कौन सा हवाई जहाज पकड़ के कितनी जल्दी बिहार आ जाएं. शारदा सिन्हा के छठी मैया के गाने जैसे ही बजते हैं, जहन में पूरा बिहार जाग जाता है. मानो अपना बिहार बुला रहा है.

टिकट कंफर्म होते ही बाकी टिकट कराया जाता है कैंसिल: दिल्ली में बसे बिहार के प्रवासी सुमित सिन्हा कहते हैं कि, अगर हम अंदर से खुश नहीं है तो पैसे का क्या महत्व है. ट्रेन का टिकट कंफर्म होने पर जो खुशी मिलती है वह टिकट कैंसिलेशन चार्ज के दुख से कई गुना अधिक होता है. इतना तो तय हो जाता है कि छठ महापर्व में पूरे परिवार के साथ हम शामिल हो सकेंगे.

6 ट्रेनों में लाख रुपए का टिकट : हैदराबाद में अपने परिवार के साथ रहने वाली सानू झा ने छठ पर्व में अपने गांव आने के लिए लगभग 90,000 रुपए का टिकट कटा लिया है. 6 ट्रेनों में अपने परिवार के तीन सदस्यों के लिए टिकट लिया है और लगभग दो महीने पहले यह टिकट लिए हैं, लेकिन अभी तक कोई टिकट कंफर्म नहीं है. उन्हें डर है कि कहीं यह सभी टिकट कैंसिल ना हो जाए और कहीं पूजा स्पेशल ट्रेन में टिकट कंफर्म कराने के लिए जद्दोजहद न करना पड़े.

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ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

''परिवार में हमारी सास छठ करती हैं. छठ के समय जैसे ही मैं पटना आती हूं, चारों तरफ छठी मैया के गाने सुनाई देने लगते हैं और चेहरे पर इस बात की खुशी आ जाती है कि अब हम घर आ गए हैं. परिवार के साथ छठ मनाएंगे.'' - सानू झा, पटना निवासी

अमेरिका से आई है वंदना : अमेरिका में रहने वाली वंदना प्रभाकर दो दिनों पूर्व छठ मनाने के लिए बिहार आई हैं. परिवार के चार सदस्यों के साथ अमेरिका से बिहार आई हैं. पहले वह फ्लाइट से दिल्ली आई और फिर दिल्ली से पटना आई और इसमें 5 लाख से अधिक रुपए खर्च हो गए हैं.

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अमेरिका की क्रिस्टीन ने छठ गीत गाकर बनाया VIDEO

"साल में एक बार छठ के मौके पर ही घर आती हूं और छठ महापर्व ही है जो बिहार से दूर नहीं होने देता है. छठ सिर्फ बिहार में अपने घर में ही अच्छा लगता है. छठ महापर्व प्रकृति से जुड़ने का पर्व होता है, लेकिन यह अपनी जड़ों से जुड़ने का भी पर्व होता है और जब भी मैं घर आती हूं तो अपने जड़ से जुड़ाव महसूस करती हूं."- वंदना प्रभाकर, अमेरिका से पटना आई महिला

स्कॉटलैंड से एक महीना पहले आये वेदांत : स्कॉटलैंड में जॉब करने वाले पटना के युवक वेदांत वर्मा ने बताया कि छठ मनाने के लिए महीना दिन की लंबी छुट्टी लेकर के वह बिहार आ गए हैं. छठ के समय टिकट अधिक महंगा हो जाता है और कंफर्म टिकट जल्दी मिलती भी नहीं है, इसलिए जिस समय का टिकट कंफर्म उन्हें मिला उसी समय टिकट लिए और बिहार आ गए.

"दशहरा के समय बिहार आ गए हैं और आने में लगभग ₹100000 टिकट में खर्च हुए हैं. छठ पर्व पटना के गंगा घाट पर अच्छा लगता है और बिहार से जोड़कर रखता है. छठ के समय घर से बाहर रहना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता है और पढ़ाई के दिनों में जब छठ पर्व के समय घर से बाहर रहते थे तो दिनभर मायूस रहते थे."- वेदांत, स्कॉटलैंड से पटना आए युवक

ये भी पढ़ें : विदेश में छठ के लिए छटपटाहट, 'आना चाहते हैं बिहार लेकिन मजबूरी ने हमें रोक रखा है'

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ये भी पढ़ें : छठ के लिए घर आने की जद्दोजहद, ट्रेनों में सीट फुल, सुनिये बिहार के लोगों से बिहार लौटने की खुशी

पटना: अगर कोई हमसे पूछता है कि छठ आपके लिए क्या है तो हम उन्हें नहीं समझा पाते हैं. हम अपने इमोशन को शब्दों के माध्यम से उनको एक्सप्लेन नहीं कर पाते. हम जानते हैं छठ के बारे में वही लोग समझ पाएंगे, जिन लोगों ने बचपन से अपने घर में छठ पूजा होते हुए देखा है.

छठ से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात को वही समझ पाएगा, जिसने नहाय-खाय के दिन सुबह से दाल-भात और लौकी की सब्जी बनते हुए देखा है. ये वही समझ पाएगा, जो खरना वाले दिन मोहल्ले में बोलहटा (लोगों को प्रसाद खाने के लिए निमंत्रण) देने गया होगा कि 7 बजे तक आ जाइयेगा.

CHHATH PUJA 2024
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

छठ के दिन दोपहर के ढाई बजे से ही जिस घर में मां चिल्लाना शुरू कर देती है कि जल्दी-जल्दी नहाओ. कपड़ा पहनो, घाट जाना है, दउरा उठाना है. छठ के महत्व को वही समझ सकता है , जिसने अपने घर में ठेकुआ का लोऊ बनाया हो या बनते देखा हो.

CHHATH PUJA 2024
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छठ का मतलब तो वही समझ सकता है, जो नवंबर की ठंड में भी सुबह के 3 बजे नहा-धोकर घाट पर जाने के लिए रेडी हो जाए. बचपन के दिनों में जब दिवाली में फोड़ने के लिए पटाखे आते थे, तब उन पटाखों में से कुछ पटाखे हम इसलिए बचा लेते थे ताकि छठ में घाट पर जाकर फोड़ेंगे.

छठ की हर बात खास होती है. पापा, चाचा या मौसी के साथ घाट की सफाई क्या होती है. घाट छेकाना क्या होता है, ये सब कुछ तो वही लोग समझ सकते हैं, जो छठ खत्म होने के बाद अपने काम पर हैदराबाद लौटते हुए अपने ऑफिस के दोस्तों के लिए बैग में ठेकुआ पैक कर ले गया हो.

दूसरे शहर में नौकरी करने वाला हर वो शख्स, हर वो इंसान छठ को समझ पाएगा, जिसने चार महीने पहले से ही छठ का टिकट कटा लिया हो और छठ की छुट्टी एप्लाई कर रखी है. फिर भी डर रहा हो कि टिकट कंफर्म होगी कि नहीं, बॉस से छुट्टी मिलेगी या नहीं?.

'छठी मैया का आता है बुलावा': बिहार के बड़ी संख्या में लोग बिहार से बाहर दूसरे प्रदेश अथवा विदेशों में रहते हैं. वहीं काम करते हैं और परिवार के साथ रहते हैं. लेकिन छठ एक ऐसा पर्व है जो बिहारियों को बिहार से बाहर का होने नहीं देता और छठ के समय एक बार बिहार बुला ही लेता है. प्रवासी बिहारी कहते हैं कि यह बिहार नहीं बुलाता बल्कि छठी मैया बुलाती हैं.

बड़ी संख्या में बिहार आते हैं लोग: छठ का समय जैसे-जैसे नजदीक आने लगता है, बिहार के लोगों को अपने गांव-घर से दूर एक पल भी गुजारा करना अच्छा नहीं लगता. सभी इस कोशिश में रहते हैं कि कौन सी गाड़ी, कौन सा ट्रेन और कौन सा हवाई जहाज पकड़ के कितनी जल्दी बिहार आ जाएं. शारदा सिन्हा के छठी मैया के गाने जैसे ही बजते हैं, जहन में पूरा बिहार जाग जाता है. मानो अपना बिहार बुला रहा है.

टिकट कंफर्म होते ही बाकी टिकट कराया जाता है कैंसिल: दिल्ली में बसे बिहार के प्रवासी सुमित सिन्हा कहते हैं कि, अगर हम अंदर से खुश नहीं है तो पैसे का क्या महत्व है. ट्रेन का टिकट कंफर्म होने पर जो खुशी मिलती है वह टिकट कैंसिलेशन चार्ज के दुख से कई गुना अधिक होता है. इतना तो तय हो जाता है कि छठ महापर्व में पूरे परिवार के साथ हम शामिल हो सकेंगे.

6 ट्रेनों में लाख रुपए का टिकट : हैदराबाद में अपने परिवार के साथ रहने वाली सानू झा ने छठ पर्व में अपने गांव आने के लिए लगभग 90,000 रुपए का टिकट कटा लिया है. 6 ट्रेनों में अपने परिवार के तीन सदस्यों के लिए टिकट लिया है और लगभग दो महीने पहले यह टिकट लिए हैं, लेकिन अभी तक कोई टिकट कंफर्म नहीं है. उन्हें डर है कि कहीं यह सभी टिकट कैंसिल ना हो जाए और कहीं पूजा स्पेशल ट्रेन में टिकट कंफर्म कराने के लिए जद्दोजहद न करना पड़े.

CHHATH PUJA 2024
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

''परिवार में हमारी सास छठ करती हैं. छठ के समय जैसे ही मैं पटना आती हूं, चारों तरफ छठी मैया के गाने सुनाई देने लगते हैं और चेहरे पर इस बात की खुशी आ जाती है कि अब हम घर आ गए हैं. परिवार के साथ छठ मनाएंगे.'' - सानू झा, पटना निवासी

अमेरिका से आई है वंदना : अमेरिका में रहने वाली वंदना प्रभाकर दो दिनों पूर्व छठ मनाने के लिए बिहार आई हैं. परिवार के चार सदस्यों के साथ अमेरिका से बिहार आई हैं. पहले वह फ्लाइट से दिल्ली आई और फिर दिल्ली से पटना आई और इसमें 5 लाख से अधिक रुपए खर्च हो गए हैं.

CHHATH PUJA 2024
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)
अमेरिका की क्रिस्टीन ने छठ गीत गाकर बनाया VIDEO

"साल में एक बार छठ के मौके पर ही घर आती हूं और छठ महापर्व ही है जो बिहार से दूर नहीं होने देता है. छठ सिर्फ बिहार में अपने घर में ही अच्छा लगता है. छठ महापर्व प्रकृति से जुड़ने का पर्व होता है, लेकिन यह अपनी जड़ों से जुड़ने का भी पर्व होता है और जब भी मैं घर आती हूं तो अपने जड़ से जुड़ाव महसूस करती हूं."- वंदना प्रभाकर, अमेरिका से पटना आई महिला

स्कॉटलैंड से एक महीना पहले आये वेदांत : स्कॉटलैंड में जॉब करने वाले पटना के युवक वेदांत वर्मा ने बताया कि छठ मनाने के लिए महीना दिन की लंबी छुट्टी लेकर के वह बिहार आ गए हैं. छठ के समय टिकट अधिक महंगा हो जाता है और कंफर्म टिकट जल्दी मिलती भी नहीं है, इसलिए जिस समय का टिकट कंफर्म उन्हें मिला उसी समय टिकट लिए और बिहार आ गए.

"दशहरा के समय बिहार आ गए हैं और आने में लगभग ₹100000 टिकट में खर्च हुए हैं. छठ पर्व पटना के गंगा घाट पर अच्छा लगता है और बिहार से जोड़कर रखता है. छठ के समय घर से बाहर रहना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता है और पढ़ाई के दिनों में जब छठ पर्व के समय घर से बाहर रहते थे तो दिनभर मायूस रहते थे."- वेदांत, स्कॉटलैंड से पटना आए युवक

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Last Updated : Oct 23, 2024, 1:50 PM IST
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