जयपुर : दीपावली के दिन मिट्टी के दीपक जलाने की धार्मिक मान्यता रही है. इसे भगवान श्री राम के वनवास से लौटने पर स्वागत के रूप में भी देखा जाता है और माता लक्ष्मी की आराधना के रूप में भी, लेकिन लोगों को ये नहीं पता कि तेल का दीपक कहां जलाया जाए और घी का दीपक कहां जलाया जाए. साथ ही दीपावली पर यदि दीपक जला रहे हैं तो वो कितनी संख्या में जलाए जाएं. इसी के बारे में जानकारी दी ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मनोज गुप्ता ने.
ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मनोज गुप्ता (ETV Bharat Jaipur) दीपावली पर दीपक क्यों जलाए जाते हैं ? :घर में सुख-समृद्धि, वैभव-खुशहाली लाने के लिए दीपोत्सव पर दीपक जलाने की परंपरा रही है, लेकिन कितने दीपक जलाए जाएं, ताकि माता लक्ष्मी की कृपा बरसे. ये सवाल हमेशा जहन में बना रहता है. इसी सवाल का जवाब देते हुए ज्योतिषाचार्य मनोज गुप्ता ने बताया कि दीपावली के त्यौहार को दीपोत्सव भी कहते हैं, इसीलिए दीपावली के दिन दीपक जलाए जाते हैं. इसी दिन दिन भगवान राम वनवास से अयोध्या लौटकर के आए थे और भगवान के अयोध्या आगमन की खुशी में दीपक जलाए जाते हैं, जिससे हमारे मन के अंदर जो अंधकार है, वहां राम का प्रकाश विद्यमान हो.
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दीपावली पर कितने दीपक जलाएं ? :उन्होंने बताया कि दीपावली के दिन दीपक संध्याकाल में जलाए जाते हैं. सूर्यास्त के आसपास का समय दीपोत्सव के लिए होता है, तो जब हम दीपक जलाते हैं, उसमें 9 का अंक श्रेष्ठ होता है. इसलिए 9 दीपक जलाएं या फिर 108 दीपक जलाएं, क्योंकि 9 का अंक श्रेष्ठ और पूर्णता का अंक होता है. ऐसे में 9 दीपक, 18 दीपक, 36 दीपक ऐसी किसी भी संख्या में जलाएं जिसका जोड़ 9 हो.
घी या तेल किसका दीपक जलाएं ? :ज्योतिष आचार्य मनोज गुप्ता ने बताया कि जिन देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है, जिन्हें पूजा में सम्मिलित करते हैं, जिनसे विशेष फल चाहिए, उनके समक्ष घी का दीपक जलाते हैं, लेकिन यदि कोई ऐसे देवी-देवता है, जिनको बुलाना नहीं चाहते, लेकिन उनकी कृपा भी आपको चाहिए (जैसे शनि देव, भेरुजी, भोमिया जी) उनके आगे तेल का दीपक जलाया जाता है. उन्होंने बताया कि किसी के आगमन की खुशी में भी तेल के दीपक जलाए जाते हैं. इसलिए भगवान राम का यदि स्वागत कर रहे हैं तो उनके आगमन की खुशी में तेल के दीपक जलाएंगे और दीपावली के पूजन में घी का दीपक जलाएंगे. यही दीपोत्सव की महत्व भी है.
रूप चौदस पर क्यों जलाते हैं तेल का दीपक ? :ज्योतिषाचार्य ने बताया धनतेरस से अगले दिन और दीपावली से एक दिन पहले रूप चौदस पर तेल का दीपक इसलिए जलाते हैं, क्योंकि उस दिन यम की पूजा की जाती है और यम से अकाल मृत्यु से सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं. कोई भी यम को अपने घर बुलाना नहीं चाहता, लेकिन उनसे प्रार्थना भी करनी है, इसलिए तेल का चौमुखी दीपक संध्या के समय अवश्य जलाते हैं.