भरतपुर : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को 3 साल बाद 'अमृत' मिला है. उद्यान में बीती रात पांचना बांध का पानी पहुंचा. पांचना बांध से अजान बांध में करीब 400 एमसीएफटी पानी डाला जाएगा. ऐसे में संभावना है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को पांचना बांध का करीब 300 एमसीएफटी से अधिक पानी उपलब्ध हो सकेगा. पांचना बांध का पानी मिलने से पर्यटन सीजन में अच्छी संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचने की उम्मीद जग गई है. वहीं, पक्षी प्रेमियों में भी पानी मिलने से खुशी की लहर है.
डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि मंगलवार देर रात को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पांचना बांध का पानी पहुंच गया. उससे एक दिन पहले अजान बांध के बरसाती पानी के द्वार घना के लिए खोल दिए गए थे. अजान बांध में पांचना बांध का करीब 400 एमसीएफटी पानी डाला जाएगा. जिसमें से करीब 300 एमसीएफटी से अधिक पानी घना को उपलब्ध कराने का प्रयास रहेगा. सबसे पहले पांचना बांध का पानी घना के एल ब्लॉक में छोड़ा गया है. गंभीरी नदी में अभी भी पानी का फ्लो काफी अच्छा बना हुआ है.
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अच्छी संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचेंगे : डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 2021 के बाद पांचना बांध का पानी मिला है. पांचना बंध का पानी केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए अमृत के समान है, क्योंकि इस पानी में पक्षियों के खाने के लिए भरपूर मात्रा में मछली और अन्य भोजन आता है. ऐसे में संभावना है कि इस बार के पर्यटन सीजन में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अच्छी संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचेंगे.
वर्षों से चल रही मांग :असल में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए पांचना बांध से नियमित रूप से पानी उपलब्ध कराने की लंबे समय से मांग चल रही है. एक पर्यटन सीजन में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है. लेकिन यह जरूर बीते कई वर्ष से पांचना का पानी नहीं मिलने की वजह से पूरी नहीं हो पा रही. मजबूरन गोवर्धन ड्रेन, चंबल परियोजना और बरसात के पानी से काम चलाना पड़ता है. गौरतलाप है कि सर्दियों के मौसम में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में दुनिया भर से करीब 350 प्रजाति के हजारों प्रवासी पक्षी प्रवास पर आते हैं. जिन्हें देखने के लिए देश विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं.