नई दिल्ली:दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोर पकड़ चुकी हैं, और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल अपनी चुनावी गतिविधियों को बढ़ाते हुए रैलियों और जनसभाओं के माध्यम से जनता तक पहुंचने की पूरी कोशिश में जुटे हैं. इसी क्रम में सोमवार को किराड़ी में जिला सम्मेलन में दिए गए उनके बयान ने पार्टी में हलचल मचा दी है. केजरीवाल ने अपने भाषण में संकेत दिए कि इस बार चुनाव में मौजूदा विधायकों के टिकट काटने की योजना पर विचार हो सकता है.
केजरीवाल ने कहा कि इस बार हम सोच-समझकर टिकट देंगे. मेरा कोई रिश्तेदार या परिवार का सदस्य राजनीति में नहीं है. जब मैं जेल में था, तो कई लोगों ने कहा कि मैं अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाना चाहता हूं, जबकि सच्चाई ये है कि मेरी पत्नी को इसमें कोई रुचि नहीं है. हम टिकट देने में पारदर्शिता बरतेंगे, इस बार केवल उन लोगों को मौका मिलेगा जो पूरी ईमानदारी और निष्ठा से काम कर रहे हैं. जनता की वफादारी केवल केजरीवाल के प्रति होनी चाहिए, किसी विधायक या पार्षद के प्रति नहीं.
पार्टी सभी 70 सीटों पर सर्वे कराएगी. जो लोग तैयारी कर रहे हैं, उनका फीडबैक जनता से लिया जाएगा. जो पूर्व सीएम केजरीवाल ने कहा है उन्हें के आधार पर टिकट का निर्णय लिया जाएगा.
गोपाल राय, दिल्ली प्रभारी, आम आदमी पार्टी
'टिकट वितरण की प्रक्रिया कठिन' केजरीवाल का यह बयान पार्टी के कई विधायकों के लिए चिंता का कारण बन सकता है. उन्होंने साफ कहा कि दिल्ली की 70 सीटों पर चुनाव केजरीवाल ही लड़ेंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए कि जिस किसी को भी टिकट मिले, उसके लिए पूरे मन से काम करना होगा. पार्टी में गिले-शिकवे की कोई जगह नहीं होनी चाहिए और सभी कार्यकर्ताओं को एक-एक वोटर को मतदान केंद्र तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर काम करना है. इन बातों से यह साफ झलकता है कि इस बार आम आदमी पार्टी में टिकट वितरण की प्रक्रिया पहले से काफी अलग और कड़ी हो सकती है.
'लंबे समय से काम करने वाले नए चेहरों को मौका मिलेगा' केजरीवाल का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहली बार है जब वे अपने कार्यकर्ताओं को संकेत देते नजर आए हैं, कि मौजूदा विधायकों की जगह नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है. पिछले चुनावों में कई उम्मीदवारों को पार्टी ने बनाए रखा, जिनकी बदौलत जीत भी हासिल हुई थी. लेकिन इस बार ऐसी चर्चा है कि पार्टी उन कार्यकर्ताओं को भी मौका देना चाहती है जिन्होंने लंबे समय से पार्टी के लिए काम किया है, लेकिन अब तक कोई महत्वपूर्ण पद नहीं मिला है. पार्टी से जुड़े सूत्रों का मानना है कि केजरीवाल ने इस बार नए चेहरों को मैदान में उतारने का इरादा किया है.
भ्रष्टाचार के आरोप और विरोधी चुनौतियां एक और कारण है कि केजरीवाल के इस बयान को खास माना जा रहा है. भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद यह पहला चुनाव है जिसमें आम आदमी पार्टी उतरेगी, और ऐसे में सत्ता-विरोधी लहर (एंटी इनकंबेंसी) भी एक महत्वपूर्ण चुनौती हो सकती है. और कई विधायकों को लेकर जनता के बीच नाराजगी भी है. बिजली, पानी की गुणवत्ता, सड़कों की हालत, और अन्य बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी समस्याएं भी सरकार के खिलाफ गुस्से का कारण बन सकती हैं. इसके साथ ही, कांग्रेस इस बार पूरी मजबूती से चुनावी मैदान में उतरी है. ऐसे में पार्टी इन मुद्दों से निपटने के लिए बड़े फैसले लेने की तैयारी में है.
बीजेपी बोली- केजरीवाल ने हार मान ली केजरीवाल के इस बयान पर बीजेपी ने भी हमला बोला है. बीजेपी के प्रदेश मंत्री हर्ष खुराना ने बयान दिया है कि लगता है कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में अपनी हार मान ली है. किराड़ी विधानसभा में अपने विधायकों के टिकट काटने का संकेत देना इस बात का सबूत है कि उन्हें जमीनी हकीकत का अंदाजा हो गया है. दिल्ली में उनके खिलाफ जनता का गुस्सा बढ़ता जा रहा है, चाहे वो बिजली की समस्या हो, गंदे पानी की शिकायत हो, या फिर खराब सड़कों की समस्या. आम आदमी पार्टी के विधायक जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं.
नए चेहरे उभरकर आएंगे सामने
आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है. अरविंद केजरीवाल के बयान से जहां पार्टी में नए चेहरों को लेकर उत्साह का माहौल बन सकता है, वहीं मौजूदा विधायकों के टिकट कटने की संभावनाएं भी उन्हें चिंता में डाल सकती हैं. बीजेपी और कांग्रेस के लिए भी यह एक मौका है कि वे जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करें. यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार चुनाव में किसे टिकट मिलेगा और कौन से नए चेहरे उभरकर सामने आएंगे.