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बिजली कंपनियों की कभी कैग से ऑडिट कराने की केजरीवाल करते थे मांग, अब वहीं कराना चाहती है कांग्रेस - Congress demands CAG inquiry

Congress demands CAG inquiry power distribution companies: राजधानी में बिजली बिल को लेकर विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. अब कांग्रेस ने भी बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के वित्त की कैग ऑडिट कराए जाने की मांग की है.

कांग्रेस ने बिजली वितरण कंपनियों की कैग जांच की मांग की
कांग्रेस ने बिजली वितरण कंपनियों की कैग जांच की मांग की (ETV Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 18, 2024, 6:28 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में बिजली की दरें बीते कुछ दिनों से सुर्खियों में है. एक तरफ दिल्ली बीजेपी, केजरीवाल सरकार एवं बिजली कंपनियों की सांठगांठ का आरोप लगा रही है. विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल से मुलाकात कर विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. उधर कांग्रेस ने एक कदम आगे बढ़कर दिल्ली सरकार से इस मामले की कैग से जांच कराने की मांग की है.

दिल्ली सरकार गत मई से उपभोक्ताओं के बिजली बिल में अत्याधिक पावर परचेस एग्रीमेंट चार्ज (पी.पी.ए.सी.), पेंशन सरचार्ज लगाकर बिल वसूल रही है. इसके विरुद्ध बीजेपी नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और बुधवार को कांग्रेस ने भी केजरीवाल सरकार के खिलाफ अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन किया. गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के वित्त की कैग ऑडिट कराने की मांग की है. केजरीवाल सरकार डीईआरसी को तुरंत आदेश दे कि बिजली कम्पनियां बिजली दरों में की गई बढ़ोत्तरी को फौरी तौर पर वापस लें. यदि ऐसा नहीं होता है कि कांग्रेस हर ब्लॉक के चौराहों पर बिजली दरों की बढ़ोतरी के लिए आंदोलन करेगी.

उन्होंने कहा कि डीईआरसी की सांठगांठ से बिजली कंपनियां दिल्ली में बिजली उपभोक्ताओं के बिलों पर विभिन्न तरह के सेस लगाकर हर वर्ष अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल रही है. दरअसल, कांग्रेस और बीजेपी नेताओं का आरोप है कि पीपीएसी में 9 प्रतिशत वृद्धि के बाद बिलों पर 46 प्रतिशत पीपीएसी वसूला जा रहा है. जो वर्ष 2015 में मात्र 1.7 प्रतिशत था. उन्होंने कहा कि इसकी भी जांच हो कि हर वर्ष पीपीएसी सेस में बढ़ोत्तरी वाजिब है, जब पेंशन के लिए बिल पर 7 प्रतिशत लिया जा रहा है और फिक्स चार्ज, सरचार्ज, बिजली रेगुलेटरी चार्ज अतिरिक्त लिए जा रहे हैं.

कुछ दिनों पहले तक दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस साथ-साथ थी. दोनों पार्टियों ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन अब कांग्रेस आप पर हावी है. देवेन्द्र यादव ने कहा कि अरविंद केजरीवाल का 'बिजली हाफ-पानी माफ' का वादा झूठा साबित हुआ. जहां बिजली के दुगने दाम देने पड़ रहे, वहीं बिल देने के बावजूद पानी गंदा मिल रहा है.

पिछले 10 वर्षों में मुफ्त बिजली देने पर आम लोगों को गुमराह किया जा रहा है, क्योंकि 200 यूनिट की सब्सिडी मात्र 10 प्रतिशत तक को ही मिल रही है. 2015 से 2020-21 तक 6 वर्ष में उपभोक्तओं को 200 यूनिट के अंतर्गत 11,743 करोड़ सब्सिडी की छूट दी गई और बिलों पर पीपीएसी, पेन्शन, फिक्स चार्ज, सरचार्ज, बिजली रेगुलेटरी चार्ज आदि के रुप में सरकार ने 37,227 करोड़ की लूट की है.

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बता दें, दिल्ली में जब कांग्रेस की सरकार थी और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री हुआ करती थीं, उस समय अरविंद केजरीवाल लगातार बिजली कंपनियों का कैग द्वारा ऑडिट कराने की मांग करते थे. अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने डीईआरसी को बिजली कंपनियों का ऑडिट कराने के आदेश नहीं दिए. जबकि, उन्होंने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के माध्यम से तीन निजी बिजली वितरण कंपनियों के वित्त का ऑडिट करने का वादा किया था.

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