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केजरीवाल को सिर्फ सत्ता का मोह, निजी हित को ऊपर रखा; जानिए- दिल्ली हाईकोर्ट को क्यों करनी पड़ी ऐसी टिप्पणी - DELHI MCD SCHOOLS

दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को नए शैक्षणिक सत्र में किताबें और यूनिफॉर्म नहीं मिली है. ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तीखी टिप्पणी की है. कोर्ट ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट 29 अप्रैल को इस मामले में फैसला सुनाएगी.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 26, 2024, 8:43 PM IST

Updated : Apr 27, 2024, 10:28 AM IST

नई दिल्ली:दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले करीब दो लाख बच्चों का बैंक खाता नहीं होने की वजह से छात्रों की पढ़ाई में हो रहे नुकसान मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फटकार लगाते हुए तीखी टिप्पणी की है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केजरीवाल व्यक्तिगत हितों को राष्ट्रहित से ऊपर रख रहे हैं. उन्हें सिर्फ सत्ता का मोह है.

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की रुचि केवल सत्ता हथियाने में है. मनी लॉड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के बावजूद केजरीवाल इस्तीफा न देकर वे अपने व्यक्तिगत हितों को राष्ट्रीय हितों से ऊपर रख रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि स्कूलों में किताबों और यूनिफॉर्म का वितरण करना कोर्ट का काम नहीं है.

हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी तब की जब दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कहा कि उन्हें मंत्री सौरभ भारद्वाज का निर्देश मिला है कि निगम के स्टैंडिंग कमेटी की अनुपस्थिति में किसी दूसरे सक्षम प्राधिकार को अधिकार मुख्यमंत्री की सहमति के बिना असंभव है.

हाईकोर्ट ने कहा कि इस दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने खुद ही मुख्यमंत्री को हटाने की कई याचिकाएं खारिज की है. ये तो आप कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री के जेल में रहते हुए भी सरकार चलाई जा सकती है. बता दें, 23 अप्रैल को सुनवाई के दौरान दिल्ली नगर निगम ने कहा था कि निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले करीब दो लाख बच्चों का बैंक खाता नहीं है, जिसकी वजह से उन्हें यूनिफॉर्म, स्कूल बैग और स्टेशनरी खरीदने के लिए राशि का भुगतान नहीं किया गया है. निगम की इस सूचना के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि अगर छात्रों को यूनिफॉर्म और किताबें नहीं मिलेंगी तो इससे उन्हें फी नुकसान होगा.

दिल्ली नगर निगम के आयुक्त ने कहा था कि निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को किताबें और नोटबुक दी जाती है. जबकि यूनिफॉर्म और स्टेशनरी के लिए पैसे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं. निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले 2,73,346 छात्रों के बैंक खाते नहीं हैं, जिसकी वजह से यूनिफॉर्म और स्टेशनरी के पैसे नहीं दिए गए.

उन्होंने कहा था कि निगम ने पिछले चार से पांच महीने में 1,85,188 बच्चों के बैंक खाते खुलवाए हैं. साथ ही निगम के आयुक्त ने कोर्ट को भरोसा दिया कि बाकी दो लाख बच्चों के बैंक खाते भी दो से तीन महीने में खुलवाए जाएंगे. हाईकोर्ट ने 22 जनवरी को नोटिस जारी किया था. याचिका सोशल जूरिस्ट संस्था की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने दायर किया है.

Last Updated : Apr 27, 2024, 10:28 AM IST

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