जबलपुर।कश्मीर की डल झील में आपने शिकारे देखे होंगे, लेकिन अब आपको यदि शिकारे देखने हैं तो कश्मीर जाने की जरूरत नहीं है. आपको पानी में तैरते हुए खूबसूरत शिकारे जबलपुर में भी देखने को मिल जाएंगे. हम बात कर रहे हैं जबलपुर के ग्वारीघाट की. ग्वारीघाट में आने वाले पर्यटकों के लिए नाविकों ने सुंदर नाव तैयार की है. जिसका अनुभव बिल्कुल अलग है. पर्यटन के अलावा इन नावों का उपयोग हिंदू और सिख धर्मबलंबी भी करते हैं.
ग्वारीघाट में नौका विहार
जबलपुर के ग्वारीघाट में शुरुआत में नाव का इस्तेमाल नदी पार करने के लिए किया जाता था. आज भी नर्मदा के दूसरे किनारे पर बसे हुए गांव के लोग नदी पार करने के लिए नाव का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब ग्वारीघाट नर्मदा का सामान्य घाट नहीं रह गया है, बल्कि इस पर होने वाली आरती और आसपास की सुंदरता को देखने के लिए दिन और रात दोनों समय बड़े पैमाने पर जबलपुर आने वाले पर्यटक यहां आते हैं. इसलिए यहां नौकायन परंपरागत कारोबार से हटकर पर्यटन की तरफ बढ़ गया है.
जबलपुर में कश्मीर का नजारा
शुरुआत में यह नाव परंपरागत नाव की तरह थी. जिनमें पटिए लगे होते थे और उन पर ही बैठकर नर्मदा नदी में नौकायन किया जाता था. यह नौकायन केवल दिन में होता था, क्योंकि रात में यहां उजाला नहीं रहता था और पानी में लोग रात में जाने से डरते थे. इसीलिए जबलपुर के ग्वारीघाट के नाविकों ने एक नया प्रयोग किया और नावों को सजाना शुरू किया. उन्होंने अपनी नाव को प्लास्टिक के फूलों से सजाया और इसके बाद इसमें बैटरी के जरिए लाइट्स लगाये. आज जबलपुर की ग्वारीघाट की यह सुंदर नाव एक चलता-फिरता स्टूडियो है. जिसमें लोग फोटो खिंचवाते हैं, वीडियो बनाते हैं.
वहीं यह कश्मीर की डल झील का नजारा भी पेश करते हैं. नाव को इन नाविकों ने काफी सुविधाजनक भी बनाया है, ताकि घूमने आने वाले पर्यटकों को सुखद आनंद हो और वह दोबारा भी यहां आना चाहे. इसलिए नाव के भीतर सुविधाजनक सीट लगाई गई है. रात में जब यह नाव ग्वारीघाट में नर्मदा नदी में तैरती है, तो ऐसा लगता है कि मानो पानी के भीतर गुलदस्ते तैर रहे हों.