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जबलपुर में कश्मीर की डल झील के शिकारे का मजा, ग्वारीघाट में नौकायन करने का नया आनंद - Kashmir Dal Lake View in Jabalpur - KASHMIR DAL LAKE VIEW IN JABALPUR

इन दिनों जबलपुर के ग्वारीघाट में कश्मीर की डल झील जैसा नजारा देखने मिल रहा है. आलम यह है कि बड़ी संख्या में पर्यटक इन सजी हुई नावों की सवारी करने पहुंच रहे हैं. बता दें ग्वारीघाट के नाविकों ने इन नावों को बड़ी ही सुंदर तरीके से सजाया है. जिसे देखने के बाद कश्मीर के डल झील में शिकारे जैसा कुछ दृश्य देखने मिल रहा है.

KASHMIR DAL LAKE VIEW IN JABALPUR
जबलपुर में कश्मीर की डल झील के शिकारे का मजा, ग्वारीघाट में नौकायन करने का नया आनंद

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 23, 2024, 8:52 PM IST

जबलपुर में कश्मीर की डल झील के शिकारे का मजा

जबलपुर।कश्मीर की डल झील में आपने शिकारे देखे होंगे, लेकिन अब आपको यदि शिकारे देखने हैं तो कश्मीर जाने की जरूरत नहीं है. आपको पानी में तैरते हुए खूबसूरत शिकारे जबलपुर में भी देखने को मिल जाएंगे. हम बात कर रहे हैं जबलपुर के ग्वारीघाट की. ग्वारीघाट में आने वाले पर्यटकों के लिए नाविकों ने सुंदर नाव तैयार की है. जिसका अनुभव बिल्कुल अलग है. पर्यटन के अलावा इन नावों का उपयोग हिंदू और सिख धर्मबलंबी भी करते हैं.

ग्वारीघाट में नौका विहार

जबलपुर के ग्वारीघाट में शुरुआत में नाव का इस्तेमाल नदी पार करने के लिए किया जाता था. आज भी नर्मदा के दूसरे किनारे पर बसे हुए गांव के लोग नदी पार करने के लिए नाव का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब ग्वारीघाट नर्मदा का सामान्य घाट नहीं रह गया है, बल्कि इस पर होने वाली आरती और आसपास की सुंदरता को देखने के लिए दिन और रात दोनों समय बड़े पैमाने पर जबलपुर आने वाले पर्यटक यहां आते हैं. इसलिए यहां नौकायन परंपरागत कारोबार से हटकर पर्यटन की तरफ बढ़ गया है.

सुंदर फूलों और लाइटों से सजी नाव

जबलपुर में कश्मीर का नजारा

शुरुआत में यह नाव परंपरागत नाव की तरह थी. जिनमें पटिए लगे होते थे और उन पर ही बैठकर नर्मदा नदी में नौकायन किया जाता था. यह नौकायन केवल दिन में होता था, क्योंकि रात में यहां उजाला नहीं रहता था और पानी में लोग रात में जाने से डरते थे. इसीलिए जबलपुर के ग्वारीघाट के नाविकों ने एक नया प्रयोग किया और नावों को सजाना शुरू किया. उन्होंने अपनी नाव को प्लास्टिक के फूलों से सजाया और इसके बाद इसमें बैटरी के जरिए लाइट्स लगाये. आज जबलपुर की ग्वारीघाट की यह सुंदर नाव एक चलता-फिरता स्टूडियो है. जिसमें लोग फोटो खिंचवाते हैं, वीडियो बनाते हैं.

वहीं यह कश्मीर की डल झील का नजारा भी पेश करते हैं. नाव को इन नाविकों ने काफी सुविधाजनक भी बनाया है, ताकि घूमने आने वाले पर्यटकों को सुखद आनंद हो और वह दोबारा भी यहां आना चाहे. इसलिए नाव के भीतर सुविधाजनक सीट लगाई गई है. रात में जब यह नाव ग्वारीघाट में नर्मदा नदी में तैरती है, तो ऐसा लगता है कि मानो पानी के भीतर गुलदस्ते तैर रहे हों.

ग्वारीघाट में डल झील जैसा नजारा

सुरक्षा के इंतजाम में कमी

हालांकि कई बार नाव चलाने वाले लोग ज्यादा पैसे के चक्कर में जरूरत से ज्यादा सवारियां भी बैठा लेते हैं, लेकिन गनीमत यह है कि अभी तक कोई हादसा नहीं हुआ. अच्छी बात यह है कि ज्यादातर नाव चलाने वाले लोग खुद ही गोताखोर भी हैं. इसलिए आपात स्थिति में पुलिस से पहले यही लोग लोगों को बचाते हैं.

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रोजगार के अवसर बड़े

ग्वारीघाट में नाव चलाने वाले वेद वर्मन ने बताया कि 'जब से नावों को नए तरीके से सजाया गया है. तब से उन्हें ज्यादा ग्राहक मिलने लगे हैं और अब लोग रात में नर्मदा दर्शन के साथ ही नर्मदा में जो नौकायन करने के लिए भी आते हैं.' जबलपुर का ग्वारीघाट हिंदुओं के साथ ही सिख धर्म लंबियों के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है, क्योंकि ग्वारीघाट के दूसरे छोर पर एक गुरुद्वारा है. ऐसा बताते हैं कि इसमें सिख गुरु गुरु नानक देव जी महाराज जब जबलपुर से होकर गुजरे थे, तो नर्मदा नदी के किनारे जहां रुके थे. उस जगह पर एक गुरुद्वारा है और सिख धर्मवलंबियों के लिए यह एक पवित्र धार्मिक स्थल है. इसलिए जबलपुर आने वाले सिख धर्मलंबियों के लिए यहां का महत्व पर्यटन से ज्यादा धार्मिक है. वहीं नर्मदा नदी के बीच में एक सुंदर मंदिर है. उस मंदिर तक भी इन नाव के जरिए ही पहुंचा जाता है, इसीलिए ग्वारीघाट में नाव का उपयोग पहले से होता रहा है, लेकिन अब इन नाव का स्वरूप बदल गया है और यह सुविधा के साथ सुंदरता का पर्याय भी बन गई है.

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