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कार्तिक पूर्णिमा मेला: छत्तीसगढ़ के सिद्धेश्वर मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का हुजूम - KARTIK PURNIMA FAIR

कार्तिक पूर्णिमा पर छत्तीसगढ़ के सिद्धेश्वर मंदिर में तड़के सुबह से श्रद्धालु पहुंचने लगे.

BALODABAZAR KARTIK PURNIMA FAIR
कार्तिक पूर्णिमा मेला (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 15, 2024, 1:43 PM IST

Updated : Nov 15, 2024, 1:52 PM IST

बलौदा बाजार:छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के पलारी में स्थित ऐतिहासिक सिद्धेश्वर मंदिर में इस बार भी कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर विशाल मेला आयोजित किया गया है. इस दिन की खासियत यह है कि पूरे प्रदेश में लोग सूर्योदय से पहले नदी और तालाबों में पहुंचकर दीपदान करते हैं, ताकि उनके जीवन में सुख-समृद्धि आए और पापों का नाश हो.

सिद्धेश्वर मंदिर तालाब में श्रद्धालुओं ने किया स्नान:सिद्धेश्वर मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी. मेला स्थल पर तड़के 3 बजे से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे. लोगों ने बालसमंद तालाब में स्नान करने के बाद दीपदान किया और भगवान सिद्धेश्वर के दर्शन कर आशीर्वाद लिया. विशेष रूप से इस दिन के महत्व को देखते हुए मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है.

कार्तिक पूर्णिमा मेला (ETV Bharat Chhattisgarh)

पलारी स्थित सिद्धेश्वर मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. यह मेला न केवल स्थानीय निवासियों के लिए, बल्कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां हर साल दूर-दूर से लोग धार्मिक आस्था के साथ पहुंचते हैं, जिससे यह मेला एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थापित हो गया है.

मेला के दौरान मंदिर परिसर में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं. प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है और श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी से बचने के लिए व्यवस्थाएं सुदृढ़ की हैं. इसके अलावा, स्थानीय व्यापारियों ने भी मेले को ध्यान में रखते हुए अपने सामान का स्टॉल लगाया है, जिससे मेले का माहौल और भी रंगीन हो गया है.

मंदिर और मेला का महत्व:सिद्धेश्वर मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. यह मेला केवल स्थानीय निवासियों के लिए नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन चुका है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन आयोजित होने वाला यह मेला एक प्रकार से धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया है. यहां पर आने वाले लोग न केवल धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, बल्कि एक-दूसरे से मिलकर सामाजिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी करते हैं.

सुरक्षा और व्यवस्थाएं: मेला के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को और भी सुदृढ़ किया है. पुलिस बल और आपातकालीन सेवाएं तैनात की गई हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े. इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाएं भी मुहैया कराई जा रही हैं ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना या अस्वस्थता की स्थिति में तुरंत सहायता मिल सके.

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Last Updated : Nov 15, 2024, 1:52 PM IST

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