नई दिल्ली: दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दिया. एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेई ने जमानत पर खारिज करने का आदेश दिया. कोर्ट ने 13 मई को जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
दरअसल, सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से वकील त्रिदिप पेस ने कहा था कि दिल्ली पुलिस चार्जशीट में उमर खालिद के नाम का प्रयोग इस तरह से कर रही है. जैसे कोई मंत्र हो. चार्जशीट में बार-बार नाम लेने और झूठ बोलने से कोई तथ्य सच साबित नहीं हो जाएगा. जमानत पर फैसला लेते समय कोर्ट को हर गवाह और दस्तावेज का परीक्षण करना होगा. पेस ने भीमा कोरेगांव मामले में वर्नोन गोंजाल्वेस और शोमा सेन के मामले का जिक्र करते हुए उमर खालिद की जमानत की मांग की.
पेस ने 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कहा था कि आरोपियों से मिलने का मतलब आतंकी गतिविधि नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर उमर खालिद के पिता इंटरव्यू देते हैं इसका मतलब ये नहीं की उसे जमानत नहीं दी जा सकती. इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि आतंकी गतिविधि को अंजाम दिया गया. उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए की धारा 15 नहीं लगाई जा सकती है.
पेस ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि खालिद ने गुप्त बैठकें की. उन्होंने कहा था कि अभियोजन पक्ष ये कह रहा है कि उमर खालिद, ताहिर हुसैन और खालिद सैफी पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दफ्तर में मिले. अभियोजन के इस कथन का आधार केवल गवाह का बयान और सीडीआर है. उन्होंने पूछा कि क्या जमानत नहीं देने के लिए सीडीआर पर भरोसा किया जा सकता है. सीडीआर के मुताबिक भी सभी आरोपी दिए गए समय और तिथि पर एक साथ नहीं थे.