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कानपुर का लेदर चीन को दे रहा टक्कर; आयात 85% घटा, निर्यात 20% बढ़ा, दुनिया में भारत का दबदबा

लेदर इंडस्ट्री में दुनिया में चीन पहले, भारत दूसरे नंबर पर, एक जूते में 32 कंपोनेंट्स का उपयोग होता है, जो भारत खुद बना रहा.

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कानपुर का लेदर चीन को दे रहा टक्कर. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 18, 2024, 7:42 AM IST

Updated : Oct 18, 2024, 8:14 AM IST

कानपुर: दुनिया में बहुत तेजी के साथ लेदर कारोबार को लेकर भारत का दबदबा बढ़ता जा रहा है. चीन के बाद भारत ही एक ऐसा देश है, जहां के जूतों की विदेश में अब जबरदस्त मांग हो रही है. इसके पीछे एक बड़ा वजह चमड़े की बेहतर गुणवत्ता और जूतों में लगने वाले सभी तरह के कंपोनेंट्स है.

खुद काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के पूर्व चेयरमैन और चमड़ा कारोबारी मुख्तारुल अमीन का कहना है, 7-8 साल पहले तक कानपुर से लेकर पूरे देश में जूतों का आयात 85 प्रतिशत तक होता था. हालांकि अब यह आयात घटकर 10 प्रतिशत तक ही रह गया है. जबकि, निर्यात साल दर साल बढ़ रहा है.

कानपुर लेदर इंडस्ट्री पर संवाददाता की खास रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat)

भारत में जूतों के कंपोनेंट्स का बड़ा कारोबार: जिस तरह कानपुर से लेकर देश में बने जूतों की मांग विदेश तक है, ठीक वैसे ही शू कंपोनेंट्स के देश में 5000 कारोबारी मौजूदा समय में 2.8 बिलियन यूएस डॉलर का कारोबार कर रहे हैं, जिसे साल 2028 तक 6 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य भी कारोबारियों ने तय किया है. कारोबारियों का कहना है, एक जूते में 32 कंपोनेंट्स का उपयोग किया जाता है. लेदर इंडस्ट्री के लिए शू कंपोनेंट्स बैकबोन की तरह है.

क्रिएट इन इंडिया के कांसेप्ट पर कारोबारी कर रहे काम: इंडियन फुटवियर कंपोनेंट्स मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन (इफकोमा) के प्रेसीडेंट संजय गुप्ता ने बताया, कि पीएम मोदी ने कुछ समय पहले कहा था कि हमें मेड इन इंडिया के कांसेप्ट पर काम करना है. हालांकि, फिर वह क्रिएट इन इंडिया के कांसेप्ट को सभी के बीच ले आए. शू कंपोनेंट्स कारोबारी भी अब इसी कांसेप्ट पर काम कर रहे हैं. इसकी बानगी इन्हीं आंकड़ों से देखी जा सकती है कि कुछ साल पहले तक हम जूता तैयार करते समय 70 प्रतिशत कंपोनेंट्स बाहरी देशों से लेते थे. मगर, अब 80 प्रतिशत हम उन कंपोनेंट्स का प्रयोग कर रहे हैं, जो भारत में ही बनते हैं.

2030 तक हर व्यक्ति को तीन जोड़ी जूतों की जरूरत होगी: काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट (सीएलई) के पूर्व चेयरमैन व चमड़ा कारोबारी मुख्तारुल अमीन ने बताया कि साल 2030 तक भारत में प्रति व्यक्ति को तीन जोड़ी जूतों की जरूरत होगी. यह स्टडी सीएलई की ओर से पूरे देश में जूतों की जरूरत पर कराई गई थी, जिसकी रिपोर्ट हम केंद्र सरकार को भी भेजेंगे. वहीं, आने वाले 6 सालों में देश के अंदर 140 करोड़ जूतों की जरूरत होगी. क्योंकि, मौजूदा समय में प्रति व्यक्ति जूतों की खपत एक से दो जोड़ी के बीच है.

आंकड़ों में फुटवियर निर्यात

  • मौजूदा समय में देश से फुटवियर का कुल निर्यात कारोबार: 26 बिलियन यूएस डॉलर
  • साल 2028 तक इस निर्यात कारोबार को बढ़ाने का कुल लक्ष्य: 47 बिलियन यूएस डॉलर
  • साल 2023 में फुटवियर का कुल निर्यात कारोबार था: 23 बिलियन यूएस डॉलर
  • साल 2022 में फुटवियर का कुल निर्यात कारोबार था: 20 बिलियन यूएस डॉलर

फुटवियर और कंपोनेंट्स की विदेश में कहां-कहां डिमांड: भारतीय फुटवियर और उसके कंपोनेट की विदेश में बांग्लादेश, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, यूरोप, अमेरिका, ब्राजील, जर्मनी, इटली, वियतनाम, ताइवान, इंडोनेशिया से ज्यादा डिमांड आ रही है. लेदर कारोबारी प्रेरणा वर्मा ने बताया कि पिछले कुछ साल से लेदर इंडस्ट्री में थोड़ी गिरावट जरूर देखने को मिली है, जिसका मुख्य कारण मिडिल ईस्ट देशों की दिक्कतें रहीं. हालांकि, कानपुर से लेकर देश में लेदर इंडस्ट्री का अपना एक बड़ा मार्केट है. हमारे उत्पादों को पूरी दुनिया में पसंद किया जा रहा है. फिर वो चाहे जूते, लेडी फुटवियर हो, बैग्स हों या अन्य उत्पाद. लेदर इंडस्ट्री के साथ कंपोनेंट्स इंडस्ट्री भी लगातार ग्रो कर रही है.

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Last Updated : Oct 18, 2024, 8:14 AM IST

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