भोपाल। क्या छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का चुनाव कमलनाथ के राजनीतिक जीवन का सबसे मुश्किल चुनाव बन गया है. मैदान में भले कमलनाथ नहीं है, लेकिन नकुलनाथ की उम्मीदवारी के साथ भी साख तो कमलनाथ की ही है. क्या कमलनाथ ये मान चुके हैं कि उनकी सियासी विरासत को बचाने का आखिरी दांव है ये चुनाव. इतना मुश्किल कि कमलनाथ को अपनी जवानी का हवाला देना पड़े. ये कहना पड़े कि उन्होंने जवानी के चालीस साल कहां खपा दिए. कमलनाथ इन चुनावों में जो इमोशनल अपील कर रहे हैं क्या उसकी वजह यही है.
किसे दिया कमलनाथ ने जवानी का वास्ता
कमलनाथ को आपने पहले कब कब जज़्बाती होते देखा है. एमपी में सत्ता जाने के बाद भी कमलनाथ की राजनीति के अंदाज में कोई बहुत बड़ा फर्क नहीं आया. लेकिन 2023 की हार और छिंदवाड़ा में भाजपा की नाकेबंदी क्या कमलनाथ को अहसास करा गई है कि इस बार चुनौती बड़ी है. क्या वजह है कि कमलनाथ अब अपनी सभाओं में छिंदवाड़ा को दिए गए अपने कीमती बरस का हवाला देते हैं. क्या वजह है कि कमलनाथ को अपने ही छिंदवाड़ा के लोगों को ये कहना पड़ रहा है कि उनकी आखिरी सांस भी छिंदवाड़ा के लिए है.
आखिरी सांस तक छिंदावड़ा के लिए समर्पित रहूंगा
छिंदवाड़ा की सभा में कमलनाथ ने कहा कि "मैंने अपनी जवानी के चालीस साल छिंदवाड़ा को समर्पित कर दिए. आज ये कहना चाहता हूं कि आखिरी सांस तक अपने आप को छिंदावड़ा के लिए समर्पित करता रहूंगा." हांलाकि, सीएम मोहन यादव ने कमलनाथ के इमोशनल कार्ड पर दांव खेलने में एक मिनट का भी वक्त नहीं लगाया और पलटवार करते हुए कहा कि "अगर चालीस साल बाद भी कमलनाथ को रोना पड़ रहा है, इमोशनल होना पड़ रहा है तो ये जनता के साथ केवल छलावा है."