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Jharkhand Election 2024: सरना कोड और 1932 खतियान को लेकर कल्पना सोरेन का केंद्र को खुला चैलेंज

कल्पना सोरेन ने खूंटी के कर्रा में चुनावी सभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार को चैलेंज दिया है.

Kalpana Soren challenged Modi
लोगों को संबोधित करतीं कल्पना सोरेन (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 4 hours ago

Updated : 54 minutes ago

खूंटी: डबल इंजन की सरकार ने राज्य को खोखला कर दिया है. राज्य की संपत्ति को भाजपा शासित राज्यों में भेजकर बर्बाद कर दिया है. यहां के स्कूल बंद कर दिए गए हैं और यहां के बच्चों को शिक्षा से दूर रखा गया है. ये सारी बातें गांडेय विधायक कल्पना सोरेन ने कर्रा में आयोजित चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कही. कल्पना सोरेन ने रघुवर सरकार के साथ-साथ मोदी सरकार पर भी जमकर हमला बोला. कल्पना सोरेन ने केंद्र को चुनौती देते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार में हिम्मत है तो सरना धर्म कोड पारित करे. अगर उनमें हिम्मत है तो 1932 का खतियान पारित करे.

कल्पना सोरेन तोरपा और खूंटी प्रत्याशियों के पक्ष में वोट की अपील करने कर्रा प्रखंड क्षेत्र के जलटंडा बाजार टांड में आयोजित चुनावी सभा को संबोधित करने आई थीं. बाजार टांड में आयोजित सभा में पहुंचे बाजार वासियों और ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कल्पना सोरेन ने कहा कि जिस तरह लोकसभा चुनाव में गठबंधन को समर्थन देकर कालीचरण को सांसद बनाया था, उसी तरह झारखंड में हेमंत की सरकार बनाने में अपना समर्थन दें, ताकि हेमंत सरकार झारखंड का विकास करती रहे.

लोगों को संबोधित करतीं कल्पना सोरेन (ईटीवी भारत)

गांडेय विधायक कल्पना सोरेन ने कहा कि झारखंड के आदिवासियों की अस्मिता और पहचान बनाने का काम शुरू हुआ था लेकिन केंद्र ने हेमंत को कई चुनौतियां दीं. इसके बावजूद हेमंत ने हिम्मत नहीं हारी और राज्य के विकास के लिए काम करते रहे. सरना धर्म कोड कैबिनेट से पास हुआ लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर ब्रेक लगा दिया. उन्होंने राज्य की रघुवर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि झारखंड का पैसा भाजपा शासित राज्यों को देकर खजाना खाली कर दिया गया.

कल्पना सोरेन ने कहा कि महागठबंधन सरकार ने सरना धर्म कोड को विधानसभा से पास कराया लेकिन केंद्र सरकार ने इसे रोक दिया. केंद्र सरकार के ढोंगी इस पर ब्रेक लगा देते हैं और हमें आदिवासी नहीं कहते. बल्कि ये लोग हमें वनवासी कहते हैं. जो आदिवासी शब्द से नफरत करते हैं, वो हमें वनवासी कहते हैं. जो आदिवासियों से नफरत करते हैं, ऐसे लोग आदिवासियों की पहचान बचाने की बात करते हैं.

उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार में हिम्मत है, तो सरना धर्म कोड पारित करें. अगर उनमें हिम्मत है, तो 1932 का खतियान पारित करें. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन झारखंड के बच्चों को शिक्षित करना चाहते हैं, ताकि वे अपने अधिकारों की लड़ाई में हेमंत का मानसिक रूप से साथ दे सकें.

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