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कोर्ट से स्टे लेकिन रास्ते से श्मशान जाने पर अड़े परिजन, 30 घंटे बाद भी नहीं हुआ शव का अंतिम संस्कार - Dispute Over Route

Dead Body Cremation, राजस्थान के ओसियां में 30 घंटे बाद भी शव का अंतिम संस्कार नहीं हुआ है, क्योंकि कोर्ट से स्टे के बावजूद परिजन उसी रास्ते से श्मशान जाने पर अड़े हैं. यहां जानिए पूरा मामला...

Dead Body Cremation
30 घंटे बाद भी नहीं हुआ शव का अंतिम संस्कार (ETV Bharat Jodhpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 29, 2024, 4:11 PM IST

जोधपुर. जिले के ओसियां पुलिस थाना क्षेत्र के खेतासर गांव में दलित परिवार की मृतक के शव का पिछले 30 घंटे से अंतिम संस्कार नहीं हुआ है. वजह है, श्मशान जाने के रास्ते में रुकावट. जिस रास्ते से परिजन श्मशान जाना चाहते हैं, उस पर कोर्ट का स्टे है. खेत के पास से अलग से रास्ता उतनी ही दूरी का है, लेकिन परिजन अड़े हुए हैं. अब इस मामले में राजनीतिक दखल हो गया है.

इसको लेकर ओसियां की पूर्व विधायक दिव्या मदेरणा ने सोशल मीडिया पर इसे जोधपुर प्रशासन और सरकार की घोर विफलता बताते हुए हमला बोला है. पूर्व विधायक ने ओसियां एसडीएम की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. इधर जिला प्रशासन ने स्टे वाले रास्ते और खुले रास्ते का मैप जारी कर दिया है, जिसमे बताया गया है कि सफेद रास्ता अभी खुला है, जिसका उपयोग किया जा सकता है. फिलहाल, गतिरोध बना हुआ है. ग्रामीण एसपी धर्मेद्र सिंह ने बताया कि मौके पर पुलिस मौजूद है. संबंधित अधिकारी समाधान का प्रयास कर रहे हैं. जिस रास्ते से जाने की मांग है वहां स्टे है. दूसरा रास्ता खुला है.

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दरअसल, खेतासर के पास ढाणी में रहने वाली पप्पू देवी पत्नी चकाराम का शुक्रवार को निधन हो गया था. खेत से श्मशान की तरफ जाने वाला कटान का रस्ता बंद होने से परिजन शव लेकर नहीं गए. किशन खुरीवाल ने बताया कि खेत पर आने-जाने का रास्ता खुला है, लेकिन श्मशान जाने का रास्ता बंद है. संबंधित अधिकारी कोर्ट का स्टे बता रहे हैं, जबकि परिजन उसी रास्ते से अंतिम संस्कार करने पर अड़े हैं, क्योंकि गत वर्ष अंतिम संस्कार के लिए रास्ता खुलवाया था.

एसडीएम बोलीं- ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं : दिव्या मदेरणा ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि पीड़ित परिवार की एक ही मांग है कि उनका सार्वजनिक रास्ता कटान खुलवाया जाए एवं मृतका का अंतिम संस्कार करने दिया जाए. मैंने कलेक्टर और ओसियां एसडीएम से बात की. एसडीएम का कहना है कि मृतक का परिवार गलत है. वह ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं. मैं स्तब्ध हूं कि कोई इंसान यह भी सोच सकता है और कह सकता है. जिसके प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में एक लाश कल से रखी है. उस अधिकारी की सर्वप्रथम जिम्मेदारी मृतक का अंतिम संस्कार करना है, लेकिन एसडीएम महोदया को एक नजीर पेश करनी है. इससे अमानवीय भाव कोई नहीं हो सकता.

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