रांची: भारत निर्वाचन आयोग की टीम लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड नहीं आयी है. पूर्व की परंपरा के अनुसार निर्वाचन आयोग की टीम चुनाव की घोषणा से पूर्व राज्य मुख्यालय में अधिकारियों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर जरूरी निर्देश देती रही है. ऐसे में पड़ोसी राज्यों भारत निर्वाचन आयोग की टीम के जाने और झारखंड को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने पूछा है कि यह महज संयोग है या कोई नया प्रयोग.
क्या, झारखंड प्रदेश चुनाव आयोग की प्राथमिकता में नहीं है- झामुमोः
झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रदेश कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन कर झामुमो के केंद्रीय महासचिव ने कहा कि देश के सबसे बड़े लोकतंत्र को जीवंत बनाये रखने की जिम्मेवारी जिस संस्था पर है उसने अभी तक उस परम्परा का निर्वहन नहीं किया है. जिसके तहत आयोग की टीम राज्य में आकर वहां के अधिकारियों-राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर राज्य की जनता को यह भरोसा दिलाती है कि लोग दबाव मुक्त होकर मतदान करें.
जेएमएम नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि चुनाव आयोग की यह परंपरा रही है चुनाव से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों से विचार विमर्श करती है. लेकिन पर इस बार ऐसा लगता है इस परंपरा को भी चुनाव आयोग ने पीछे छोड़ दिया है. अन्य प्रदेशों से आई जानकारी का जिक्र करते हूए झामुमो नेता ने कहा कि चुनाव आयोग ने खर्च की राशि बढ़ा दी है. गाड़ियों की संख्या भी बढ़ाई है लेकिन इसकी कोई औपचारिक सूचना हमें नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि यह भाजपा या केंद्र की सरकार के इशारे पर किया कोई प्रयोग तो नहीं है या यह सिर्फ संयोग भर है.
जेएमएम केंद्रीय सचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पिछले चुनाव में लोगों के साथ कनेक्ट करने में हमारे नेताओं के समक्ष कई बाधा पैदा की गई थी. इस बार भी ED को आगे रखकर षडयंत्र रची गयी. झामुमो नेता ने शीघ्र चुनाव आयोग के टीम के झारखंड आने की अपील करते हुए पूछा कि क्या चुनाव आयोग के लिए झारखंड में चुनाव होना कोई जरूरी नहीं रह गया है.
2014 के बाद से सिर्फ पंरंपरा ही टूट रही है- कांग्रेसः