रांचीः झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सुखदेव सिंह 31 मार्च 2024 को सेवानिवृत हो गये हैं. रविवार का दिन होने के बावजूद वह श्री कृष्ण लोक प्रशासन संस्थान में बतौर महानिदेशक पहुंचे और अपने उत्तराधिकारी को जिम्मेदारी सौंप कर एक आम इंसान की तरह अपनी गाड़ी में बैठे और रवाना हो गए. सुखदेव सिंह की पहचान एक ऐसे ब्यूरोक्रेट्स के रूप में होती है, जिनके सिर पर प्रशासन की हनक कभी सवार नहीं हुई. वह आम लोगों के करीब रहे लेकिन अपने सबोर्डिनेट के प्रति बेहद सख्त.
हरियाणा के हिसार में जन्मे सुखदेव सिंह 1987 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में आए. उनकी पहली पोस्टिंग रांची जिला में एक बीडीओ के रूप में बतौर प्रोबेशनर हुई. लेकिन अपनी कार्य कुशलता की बदौलत राज्य में प्रशासनिक स्तर पर सबसे शीर्ष पद कहे जाने वाले झारखंड के चीफ सेक्रेटरी बने. सुखदेव सिंह के कदम जब रिटायरमेंट की तरफ बढ़ रहे थे, उसी दौरान मई 2022 में झारखंड कैडर की आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी और भारी कैश की बरामदगी से यहां की ब्यूरोक्रेसी पर कीचड़ उछले.
पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के कुछ समय बाद ही लैंड स्कैम मामले में रांची के तत्कालीन डीसी छवि रंजन की गिरफ्तारी से झारखंड की ब्यूरोक्रेसी पर लगे दाग और गहरे हो गए. इसके बावजूद सुखदेव सिंह बेदाग रहे. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बेहद करीब होने के बावजूद एक वक्त ऐसा आया जब रिटायरमेंट के चार माह पहले उन्हें मुख्य सचिव के पद से हटाकर एटीआई का महानिदेशक बना दिया गया.
इस पोस्टिंग को लेकर आज भी चर्चा होती है, कई तरह के कयास लगाए जाते हैं. हालांकि, सुखदेव सिंह ने आईटीआई के महानिदेशक पद की जिम्मेदारी भी उसी शिद्दत के साथ निभाई. वह हमेशा सुर्खियों से दूर रहे.
ईटीवी भारत के साथ भी उनका एक वाक्या जुड़ा है. कोविड काल के दौरान आए दिन गाइडलाइंस जारी होते थे. उस वक्त जिला प्रशासन की स्वीकृति लेकर कांग्रेस के एक नेता रांची आए थे लेकिन बिना परमिशन के गिरिडीह चले गए. क्योंकि सारा गाइडलाइन चीफ सेक्रेटरी के हवाले से जारी होता था. लिहाजा, ईटीवी भारत ने उनसे नियम के उल्लंघन का हवाला देते हुए सवाल पूछा तो उसका असर भी फौरन दिखा. कांग्रेस के नेता को गिरिडीह से वापस भेज दिया गया.